Saturday 25 February 2017

Gananath,Almora

            जागेश्वर दर्शन के बाद अब चलते हैं भोले भंडारी के दूसरे धाम। जी हाँ अब चल रहे हैं गणनाथ मंदिर में दर्शन के लिये। अल्मोड़ा से पचास किलोमीटर दूर कोतवाल गाँव का ये मंदिर एक गुफा के अंदर बना हुआ है। यहाँ तक जाने के लिये उतनी अधिक सुविधा नहीं होने के कारण ये जगह बहुत हद तक अनछुई है मतलब सामान्य भाषा में बोला जाये तो हिडन है अभी तक। हम लोगों का परिचय भी इस जगह से इसलिये है क्योंकि ये हमारे गाँव का मंदिर है और  कभी कभार पूजा पाठ के लिये हम यहाँ जाया करते हैं। वैसे ये कभी कभार बहुत नगण्य ही है क्योंकि अपनी याद में, मैं यहाँ सिर्फ दो बार गयी हूँ।
         बात बहुत पुरानी है मतलब अक्टूबर दो हजार चौदह की है तब तक अपने पास वहाँ गाड़ी नहीं थी और हमें आने जाने के लिये गाड़ी ही बुक करनी होती थी, वैसे अपने पास गाड़ी होती भी तो भी दूसरी गाड़ी से ही जाना होता क्योंकि जिस जगह जाना है वो छोटी गाड़ियों के आने जाने के लिये सही नहीं है। पथरीली सड़क में सीधी चढ़ाई चढ़नी होती है, जिसने छोटी गाड़ियों के पलटने का डर रहता है। इसलिये पापा ने पहले दिन रात के बोलेरो वाले से बात कर ली और वो दो हजार रूपये में जाने को तैयार हो गया। अगले दिन सुबह सात बजे हम लोग अपने घर के नीचे खड़े गाड़ी वाले की प्रतीक्षा में खड़े हो गये। उसने भी आने में देर नहीं लगायी इसलिए ज्यादा देर तक इंतजार नहीं करना पड़ा।अल्मोड़ा से यहाँ जाने के लिये दो रास्ते हैं पहला सोमश्वर से हो कर और दूसरा ताकुला से होते हुये। ताकुला वाले रास्ते में बारिश के दिनों में थोड़ा रिस्क रहता है। खुला नीला आसमान देख कर हम अल्मोड़ा ताकुला वाले रास्ते जाने का विचार बना लिया।
कुछ इस तरह का रूट मैप है। 
         हमारा रूट कुछ इस तरह से था कि पहले घर से दीनापानी जायेंगे। ये अल्मोड़ा की एक ऐसी जगह है जहाँ से ऊपर नीचे दोनों तरफ का दृश्य देख सकते हैं और बहुत सुंदर हिमालय श्रंखला यहाँ से नजर आ जाती है। दीनापानी से अभी हम उसी सड़क पर हैं जिससे बिनसर को जाया जाता है। जगह जगह बिनसर वाइल्ड लाइफ में आपका स्वागत है ये बोर्ड लगे हुये हैं जिन्हें देख कर लग रहा है जैसे हम बिनसर ही जा रहे हों। अभी दीनापानी से सात किलोमीटर आगे पहुंचे तो हम अयारपानी नाम की जगह पहुँच गये। यहाँ पर एक डायवर्जन    मिलता  है एक सड़क बिनसर की तरफ जाती है और दूसरी ताकुला की साइड। हमने बिनसर वाले रास्ते को बाय-बाय किया और अल्मोड़ा ताकुला रोड पर आगे चल दिये। इस सड़क में दस किलोमीटर आगे जाने पर हम बसोली पहुंचे। नाम थोड़ा अजीब सा लगता है बसोली, लेकिन क्लब महिंद्रा वालों ने यहाँ पर अपना रिसोर्ट बना रखा है। वैसे इस जगह से कोई खास व्यू नहीं हैं जाने क्या सोच के उसने यहाँ बनाया होगा। आगे पीछे और भी बहुत अच्छी अच्छी जगहें हैं जहाँ पर बन सकता था या और रिसोर्ट बनाये जा सकते हैं। खैर उसकी मर्जी जहाँ भी बनाये हमें क्या!!
     अभी भी हमारी मंजिल दूर ही है, पर आगे तो बढ़ना ही है। छह किलोमीटर चलकर पर ताकुला(कोतवाल गाँव) पहुँच गये। अब !!अब क्या ,अभी नहीं आया!! अब ताकुला बागेश्वर रोड करीब ढाई किलोमीटर आग जाना है। अभी भी नहीं आया जी,अब तो ड्राइवर साहब की असली परीक्षा की घडी आ रही है। यहाँ से हम ताकुला गणानाथ मार्ग जो कि वन विभाग का रास्ता है पर आगे बढे। ये एक अंतहीन सा रास्ता लग रहा था, पतली सी सड़क और उस पर पड़े हुये कंकड़ पत्थर जिनमे कोई भी छोटी  रपट सकती है। रास्ते भर हम ये मनाते रहे कि दूसरी साइड से कहीं कोई गाड़ी ना आ जाये। इस सड़क में सिर्फ एक ही गाड़ी डगमगाते हुये चल सकती है। फाइनली इस सड़क पर नौ किलोमीटर का सफर तय कर के हम मल्लिका मंदिर पहुँच गये। वैसे तो हमें यहाँ भी जाना है पर मंदिर का कुछ कर्म ऐसा है कि पहले गणानाथ जाना होगा। लो जी फिर से चल पड़ो इसी सड़क पर आगे, पर अब ज्यादा नहीं जाना है बस तीन किलोमीटर का सफर है और हम पहुँच गये। पर ये क्या अब शुरू हुआ पैदल सफर, लेकिन ज्यादा नहीं है यहाँ से करीब दो किलोमीटर गाँव में उतरना होगा तब जा कर मंदिर में पदार्पण होगा। उतरते समय तो आसान ही रहता है जल्दी जल्दी उतर गये और गणनाथ पहुँच गये। 
                  कोई भीड़ भाड़ नहीं, कोई दुकाने नहीं, भौतिकवाद से बिलकुल दूर है ये जगह। एक छोटे से मुख्य गेट से प्रवेश किया तो सामने बड़ा सा आंगन नजर आया।  इस मंदिर की विशेषता ये है कि एक तो शिवलिंग यहाँ एक गुफा के अंदर है और दूसरी ये कि इस पर प्राकृतिक रूप से जटाओं द्वारा पानी पड़ता है। इसी को देखने के लिये यहाँ लोग आया करते हैं। पूजा अर्चना के बाद हम वापस रवाना हुये मल्लिका मंदिर के लिये।अभी ऊपर चढ़ाने में थोड़ा टाइम लगा, रास्ते में पूलम ,आड़ू के पेड़ हैं सीजन के दिनों में खूब अच्छा लगता होगा। एक बार फिर गाड़ी में बैठकर हम उसी रास्ते पर चल पड़े जिसमे आये थे और तीन किलोमीटर में मंदिर आ गया। ये एक देवी मंदिर है एक दम ऊंचाई पर। बड़ा विरोधाभास है दोनों मंदिरों में, एक एक दम नीचे है तो दूसरा बिलकुल ऊंचाई पर। ये मंदिर प्रकृति की गोद  में बना हुआ है और हिमालय श्रृंखला के मनोरम द्रश्य यहाँ से दिखते हैं पर हम इतने किस्मत वाले नहीं हैं हमें कुछ नहीं दिखा। बस बाबाजी ने अपनी कुटिया में चाय बनवाकर दे दी वर्ना पेट के हाल ऐसे हो रहे थे जैसे भूखे भजन ना होय गोपाला वाली। खैर अब हमारा भजन कार्यक्रम हो गया, अब अगला लक्ष्य है यहाँ से सावधानी पूर्वक नीचे उतर कर ताकुला पहुँचना और कुछ चाय नाश्ते का जुगाड़ करना। जैसे तैसे इस खतरनाक रोड से वापस उतरे और भगवान को धन्यवाद दिया सुरक्षित वापस पहुचने के लिये। अब तो सीधा रास्ता है, अल्मोड़ा बागेश्वर रोड में कंगडछीना के पास एक छोटी सी चाय नाश्ते की दुकान मिली और हमने वहीँ डेरा जमा दिया। दो राउंड की चाय,चने की सब्जी और पूरी उड़ाने के बाद हम घर के लिये निकल पड़े। फिर मिलते हैं कहीं जल्दी ही..... 
तब तक इस यात्रा के चलचित्र-

साथ किसे नहीं अच्छा लगता है , पेड़ भी एक दूसरे के नजदीक जाने के लिये तिरछे हो जाते हैं। 

अल्मोड़ा बिनसर रोड के मनोरम जंगल। 
मंदिर को जाने वाला पैदल रास्ता। 


वीराने में एक घर तो दिखा।  
बस आ गया बायीं तरफ जो गुम्बद जैसा लग रहा है वो मंदिर ही है। 
गुफा के अंदर विराजे हुये महादेव। 

इसी झरने से प्राकृतिक रूप से शिव जी पर जल चढ़ता है, ये इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है।  

सारे देवी देवता गुफा के अंदर विराजे हुए हैं। 
नंदी जी का जोड़ा 
मंदिर प्रांगढ़ 



मल्लिका मंदिर का प्रवेश द्वार।









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11 comments:

  1. कुमाऊं के अनछुए एहसास वाकई कुमाऊं अपने आप में एक अलग दुनिया है

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  2. कुमाऊं के अनछुए एहसास वाकई कुमाऊं अपने आप में एक अलग दुनिया है

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  3. a new place.... well and detailed log

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  4. bahut sunder or saral sabdo mei khoobsurat varnan.
    nice photography as well. Almora aane pr es anchuye Gandnath mandir ke darshan krenge.
    simmi

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  5. खूबसूरत चित्रों से सजी एक शानदार पोस्ट .

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  6. Ver nice descriptive article. One of the few good hindi travel blogs.

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  7. दुनिया वालो से दूर जलने वालो से दूर ....,भोले बाबा कहाँ बैठे है।शानदार यात्रा और एक छुपा हिरा ��झरना भी बढ़िया है । पहाड़ो पर कई मंदिर ऐसे ही अनछुए रहते है

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  8. जबरदस्त लिखा है ! बढ़िया बढ़िया विश्लेषण प्रयोग किये हैं ! और कैप्शन गज़ब के दिए हैं !!

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  9. kya ab bhi waha ki roads jane layak nahi hai.. Car choti hai hamari..

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