बैंगलोर से लगभग ढाई सौ किलोमीटर की दूरी पर पश्चिमी घाट पर बसे कुर्ग को कोडागु भी कहा जाता है, जिसका मतलब है पहाड़ियों पर बसा हुआ धुंध का जंगल।पंद्रह सौ पच्चीस मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ कुर्ग साउथ इंडिया का मुख्य हिल स्टेशन है, और यहाँ के जिला मुख्याल मदिकेरी को स्कॉटलैंड ऑफ़ इंडिया भी कहते हैं, जहाँ की हरी भरी पहाड़ियों और कॉफ़ी बागानों के द्रश्य इसे अविस्मरनीय दर्शनीय स्थल बना देते हैं और इसके आस पास काफी धार्मिक स्थल भी है जिनसे इसका महत्व और भी जाता है, और दक्षिण की मुख्य नदी कावेरी का उद्गम स्थल भी यहीं है। मदिकेरी के अलावा यहाँ का मुख्यालय विराजपेट और सोमवारपेट भी है। कहते हैं ये जगह कर्नाटक की सबसे सुरक्षित सथानो में से एक है।ट्रिप के बारे में डिटेल के लिए क्लिक करिए-
सुबह साढ़े पांच बजे हम लोग निकल पड़े बैंगलोर से मैसूर होते हुए चल पड़े, फिर से नाश्ता किया मंड्या पे, बच्चा साथ में था तो रुकते रुकता चल पड़े। रोड की कंडीशन बहुत ही अच्छी थी तो कुशालनगर कब पहुंचे पता ही नहीं चला।वहाँ एक बार फिर चाय के लिए ब्रेक लिया, और मदिकेरी के लिए चल पड़े कुछ देर बाद।यहाँ तक तो सही था, पर मदिकेरी पहुँचने के बाद पता लगा की जी होमस्टे हमने बुक कराया था वो नहीं मिल पायेगा वहां कुछ प्रॉब्लम था तो उन्होंने हमारे लिए एक दूसरा इंतजाम करवाया, नयी जगह मिल तो गयी व्यू भी अच्छा था पर हॉस्पिटैलिटी उतनी अच्छी नहीं थी, और उसका कोई नाम भी नहीं था।बस ये पता था की क्लब महिंद्रा का जो रिसोर्ट है उसके अपोजिट डाउन को जाना है।शायद अब तो कोई नाम भी आ गया हो।दिन में थोडी देर रेस्ट किया कुछ बाहर के फोटोग्राफ्स लिए। क्यूंकि मुझे नींद नहीं आ रही थी और बाकि दो लोग सोये थे।खिड़की से बाहर का द्रश्य |
सामने दिखती पहाड़ियाँ |
हरी-भरी वादियाँ |
कुछ देर बाद आराम करने के बाद चल पड़े घुमने के लिए।सबसे पहले जगह सोचा था अब्बी फाल्स ,यहाँ को जाने वाली रोड की कंडीशन तो बहुत ही खराब थी, लग नहीं रहा था की किसी टूरिस्ट स्पॉट को जा रहे हैं, चलो निकल पड़े तो जाना तो था ही,इसलिए चल पड़े।खैर पहुँचने के बाद अच्छा लगा। सबसे ज्यादा मजेदार था वहां पर बना एक बड़ा सा पुल जिसे हमने लक्ष्मण झूला कहा,पहले तो बच्चे के साथ उसमे जाने की हिम्मत नहीं आ रही थी, फिर गए तो रुक ही गए क्यूंकि यहाँ से व्यू बहुत अच्छा था।
अब्बी फाल्स |
यहाँ के बाद पहुंचे मदिकेरी फोर्ट, यहाँ पर छोटे बड़े मंदिर और बड़े बड़े हाथियों की मूर्तियाँ थी,तो उनके बीच घूमते हुए अगला लक्ष्य ओम्कारेश्वर मंदिर था। यहाँ से निकल कर राजा सीट जाने का प्लान था यहाँ का लाइट एंड साउंड शो काफी प्रसिद्द है,यहाँ पर सूर्यास्त देखने के लिए भीड़ जमा रहती है। हम पहुंचे ही थे की हमारा छोटा पार्टनर थक गया परेशान हो गया तो वापस आना पड़ा, तो सोचा कभी और देखते हैं लेज़र शो।यहाँ से निकल कर खाना खाया और फिर दुबारा अपने ठिकाने की और चल पड़े,तभी लाइट भी चली गयी तो बिना नाम के होमस्टे को ढूँढना तो टेढ़ी खीर हो गयी।अँधेरे में घूमते रहे चक्कर काट काट के परेशान हो गए पर अंततः सफलता हासिल हुयी और अपना होमस्टे मिल ही गया।यहीं नहीं वहां पहुँचते पहुँचते लाइट भी आ गयी।इससे आगे की कहानी अगले पार्ट में सुनते हैं की कैसे हम मदिकेरी से बेकाल होते हुए मंगलौर पहुंचे।
इस यात्रा की सभी कड़ियाँ-
कुर्ग (Coorg)
तालाकावेरी:कावेरी का उद्गम स्थल (Talakaveri: Origin of Kaveri River)
बेकाल फोर्ट( Bekal Fort)
मैंगलोर आकर्षण :सोमेश्वर और पेनाम्बूर समुद्र तट (Mangalore attractions: Someshwar and Panamboor beach)
निसर्गधाम(Nisargdham)
दुबारे एलीफैंट कैंप (Dubare Elephant Camp:Coorg attraction)
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