Tuesday 18 June 2013

Ooty ,The Red hills-ऊटी भ्रमण

              ऊटी पहुँचते-पहुँचते बहुत जोरों की भूख लग आई थी, और पहले से बुकिंग होने के कारण होटल ढुढ्ने का काम भी नहीं था। तो सोचा पहले पेट पूजा फिर काम दूजा। शहर  में कदम रखते ही दिखाई दिया होटल चार्रिंग क्रॉस (Charring Cross),  तो उसके रेस्तरां में भोजन के लिए घुस गए। खाने का अनुभव तो कुछ ऐसा था कि, ज्यादा पैसे में कम स्वाद। अब हमें जाना  था होटल डिलाइट इन टाइगर हिल रिसोर्ट। ये शहर से काफी उंचाई पर स्थित है, तो अति उत्तम नज़ारे देखने को मिले। पर रस्ते का तो कुछ कहना ही न था, बिलकुल हेयर पिन बैंड को मात करते हुए मोड़ जगह जगह पर थे। यहाँ पर रेस्तरां तो नहीं है , पर निवेदन करने पर खाना उपलब्ध हो जाता है। ये होटल पैसे के हिसाब से अति उत्तम है। कुछ देर आराम करने के बाद लगा अब चल पड़ना चाहिए, तो निकल पड़े। प्लान  के मुताबिक टोय-ट्रेन से कुन्नुर जाना था, तो गाड़ी वहीँ छोड़ के दोनों पैदल उतर गए। पर स्टेशन पहुँच के पता चला की ट्रेन जा चुकी है। फिर टूरिस्ट ऑफिस जा के ऊटी के अन्य आकर्षणों पर नजर डाली और बोटैनिकल गार्डन के बारे में पता चला। एक मजेदार बात ये की ऑटो किराये के बारे में एक बोर्ड लगा है,  जिसका अनुसरण कोई भी ऑटो चालक नहीं करता।
ऑटो किराया 
              बोटेनिकल गार्डन के बारे में विस्तार से पढ़िए-

      ये २२ हेक्टो-एकर जगह में फैला हुआ है जिसमे ६५० जातियों के पेड़-पोधे लगे हुए है। ये जगह अत्यंत आकर्षक है, जिसमे भिन्न-भिन्न प्रकार के पौधे तो है ही और उन से बना हुआ भारत का नक्शा भी है। प्रवेश करते ही नजर पड़ती है तो रखी हुई आकर्षक तोपों पर। अगर एक बार अन्दर आ गए तो बाहर निकलने का मन ही नहीं करता। प्रवेश करते ही  कुछ चित्र सलंग करे जा रहे हैं।
ऊटी गार्डन में रखी तोप और मनमोहिनी हरियाली 


एक अन्य द्रश्य हरियाली का 


फूलों का अदभुत भण्डार 


सुन्दर सा फूल 


फूलों से बनी कलाकृतियाँ 


कुछ नया सा दिखने वाला पेड़ 


घास से बने हाथी 
               यहाँ से बाहर निकल कर गए वेक्स वर्ल्ड,इतने में ऊटी की माल रोड का लुफ्त भी उठा लिया और साथ के साथ Espresso Coffee House में चाय नाश्ता भी कर लिया। घूमते घूमते पहुँच गए वेक्स वर्ल्ड के गेट पे।
ऊटी मार्केट 


वेक्स वर्ल्ड 
             यहा जाने का अनुभव बस ठीकठाक ही था, कलाकृतियाँ मूल जैसी प्रतीत नहीं होती है। आप स्वयं देख के बताइए-
चाचा नेहरु
मनमोहन सिंग और अब्दुल कलाम
विरप्पन
                   पास में ही रोज गार्डन था, पर ऑफ सीजन होने के कारण जाने का कोई महत्व नहीं था, इतने में शाम हो आई, तो ऊटी के प्राकतिक द्रश्यों का मजा लेते हुए होटल की और प्रस्थान किया ,और नज़ारे देखते हुए ६किमी की खड़ी चढ़ाई, हलकी हलकी बारिश की बूंदों का आन्नद लेते हुए पार हो गयी। होटल पहुँचने तक बारिश जोर से होने लगी बारिश के बीच दुधिया रौशनी से नहाये हुए होटल के द्रश्य कुछ इस प्रकार है-
होटल जाने का रास्ता 


बादल और कोहरे से घिरा ऊटी 


बारिश में नहाया हुआ होटल 


होटल के बाहर कैंप फायर का इंतजाम 

                हमने यहीं होटल में ही खाना देने का अनुरोध किया और अपने कमरे में बैठकर खाने का आन्नद लिया, पर तब तक ठण्ड इतनी बढ़ गयी थी की मुझे लगा रूम हीटर के बिना काम चलना तो  असंभव सा ही है और हमने हीटर भी मांग लिया( ये जुलाई की बात है) अगले दिन कुन्नूर एवम ऊटी लेक जाने का प्लान था, ये वृतांत कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया, तो अब कुन्नूर के बारे में अगले भाग में चर्चा करते है।
ऊटी श्रंखला की समस्त पोस्ट-
       


5 comments:

  1. ऑटो वाली बात मजेदार है।

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  2. ऑटो वालों का अक्सर सभी जगह ये ही किस्सा रहता है

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  3. सुन्दर यात्रा वृत्तांत और मनमोहक फोटो.........!!!

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