Thursday 20 June 2013

Scenic Connor and nilgiri railway

            सुबह उठने के बाद कमरे से बाहर निकले तो प्राकतिक नजारों को देखने पे लगा की वक्त यहीं थम सा जाये और अनायास ही मन गुनगुनाने लगा , "ये हसीं वादियाँ ये खुला आसमां, आ गए हम कहाँ ए मेरे साजना।"तो उन नज़रों के लिए क्लिक करिए-
होटल से दिखता हुआ नजारा १ 


नजारा २ 


नजारा ३ 
                तत्पश्यात नित्य कर्मो के उपरान्त होटल में चाय-नाश्ता करने के बाद ऊटी रेलवे स्टेशन को चल पड़े,क्यूंकि कुन्नूर देखने को मन अत्यंत ही बेताब था, और टोय ट्रेन से दिखने वाले ऊटी के सौदर्य के बारे में बहुत  कुछ पहले से सुन लिया था।
ऊटी रेलवे स्टेशन 
                टॉय ट्रेन में बैठने वाले लोगों में कुछ पर्यटक थे, तो कुछ लोकल लोग, सभी पर्यटक अपने हाथों में कैमरा  लिए फोटोग्राफी और विडियो रिकॉर्डिंग के लिए तैयार बैठे थे। कभी एक और से द्रश्य दिखाई पड़ते तो कभी दूसरी और से। जब जिस और से नहीं दिख रहे हों, वहां बैठे लोग मायूस हो जाते। कई बार ट्रेन सुरंगों से होते हुए  गुजरती , तो अँधेरा सा छा जाता और उसके बाद मस्ती में चिल्लाते लोग और उनकी उत्साह से भरी हुयी आवाजें। इस तरह से टॉय ट्रेन में अति आन्नद की प्राप्ति हुई और मन अति प्रसन्न हो उठा।
फोटोग्राफी करते पर्यटक 


ऊटी का ट्रेन से दिखने वाला सौन्दर्य १  


पहाड़ों के मध्य दिखने वाली टोय ट्रेन 


ट्रेन से दिखने वाले चाय बागान 


दूसरी और का द्रश्य 
              उतरने के बाद हमने आस पास में कुछ फोटो खीचें और रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने के बाद बहुत समय तक सोच में पड़े रहे कि अब घुमा कैसे जाये? काफी देर बाद हमने एक ऑटो चालक से बात की ,तो उसने कहा कि वो हमें चाय बागान, सिम'स पार्क, डोल्फिन नोज दिखाते हुए टी-फैक्ट्री दिखा लायेगा। अब क्या था, बस उसके साथ ही हो लिए और जहाँ पर रुकने का मन हुआ, वहां उतर कर फोटो ले लिए। चाय बागान का आन्नद लेते हुए जा ही रहे थे तो देखा वहां पर परम्परागत वेशभूषा में चाय बागान में फोटो खिचाई जा रही है, फोटो खिचाने वालों को देख के लग रहा था, "एक कली दो पत्तियां, नाजुक नाजुक उँगलियाँ ,तोड़ रहीं हैं कौन ये" और उन फोटो खिचवाने वालों के साथ हम भी शामिल हो लिए थे। 
               इसके बाद पहुंचे डोल्फिन नोज, यहाँ से बहुत ही सुन्दर नज़ारे देखने को मिले, कहीं प्रकति के अद्भुत नज़ारे, तो कहीं सामने दिखता हुआ कोयम्बटूर, और  सामने से दिखता हुआ  कैथरीन झरना (Catherine fall) झरने में कुछ ज्यादा पानी तो नहीं था, पर द्रश्य अति उत्तम था।


डोल्फिन नोज से दिखता कोयम्बटूर
कैथेरिन झरना
एक अन्य द्रश्य
डोल्फिन नोज से दिखता एक और द्रश्य
            जिन लोगों को घुड़सवारी का शौक है, उनके लिए घोड़े की सुविधा भी  थी, हम तो बस घोड़े में बैठ के फोटो खिचाने से ही संतुष्ट हो गए।
            उसके बाद टी-फैक्ट्री गए, यहाँ चाय के बनने की पूरी विधि का ज्ञान हुआ और दुबारा से चाय के घने जंगलों के दर्शन हुए। आप भी देखिये-
चाय बनाने में लगे हुए लोग 
                            

                           
               इसके बाद पहुंचे सिम'स पार्क, ये ऊटी बोटैनिकल गार्डन का सा भव्य है, किन्तु यहाँ पेड़- पौधों के साथ साथ अन्य आकर्षण भी मौजूद है। यहाँ पर घास द्रवारा विश्व का नक्शा बना है, पर ऊटी में बना भारत का नक्शा ज्यादा आकर्षक लगा। यहाँ बच्चों के मनोरंजन के लिए झूलों की वयवस्था भी थी, जिनका आन्नद बच्चों के साथ-साथ बड़े भी उठा रहे थे। एक कृतिम झील भी यहाँ बनी हुयी है, जिसमे बोटिंग की वयवस्था भी है , हमारे प्लान के मुताबिक हमें ऊटी लेक में बोटिंग करनी थी, तो हमने आस पास के फोटो ले लिए-
tree wealth of sim's park 


लेक 


सिम'स पार्क 
             अब पेट पूजा की बारी आ गयी थी, क्यूंकि हम लोग वेजिटेरियन है, इसलिए हमारे लिए रेस्तरां ढूढ़ना भी एक बड़ा काम ही था। अब कुन्नूर भ्रमण करते करते वेंकी रेस्तरां दिखाई दिया। यहाँ पर बहुत ही अच्छा खाना खाने को मिला जिसमे बेबी कार्न मंचूरियन सबसे उत्तम था।आस पास के फोटो देखिये-
स्टेशन में खड़ी ट्रेन 


वेजिटेरियन रेस्तरां 
        इसके बाद दुबारा ट्रेन में बैठ के ऊटी पहुंचे। अब हमारा अगला काम किसी तरह समय से ऊटी लेक पहुँच कर  बोटिंग का आन्नद उठाना था।दौड़ भाग कर के पहुँच तो गए पर तब तक बोटिंग का टिकट काउंटर बंद हो गया था तो एक मायूसी सी छा गयी। यहाँ पर एक मोटर बोट में ८ लोगों के बैठने की व्यस्था है,और एक नाव में ६ लोगों का समूह जा रहा था। नाविक से बात करने पर उसने हम दोनों को भी नाव बैठा लिया। इस तरह से हमारी नाव की सवारी भी हो ही गयी।
ऊटी लेक 
                 अब तक शाम ही हो गयी थी, तो खाने का सामान पैक करा के हम लोग होटल वापस हो लिए और अपने कमरे में बैठ कर भोजन का आन्नद लिया।अगले दिन गुडलुर के रस्ते पयकारा डैम और पयकारा लेक देखते हुए बैंगलोर वापसी का प्रोग्राम था, पर सुबह उठने पर देखा तो बहुत ही कोहरा था, तो निकलने में देर हो गयी, तो सोचा पयकारा डैम के दर्शन कभी ओर किये जाएँ और हम सीधे बैंगलोर को रवाना  हो गए।
ऊटी श्रंखला की समस्त पोस्ट-
Road trip to Ooty बैंगलोर से ऊटी की यात्रा
Ooty ,The Red hills-ऊटी भ्रमण
Scenic Connor-कुन्नूर की चाय बागान

7 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद,इंदौर के बारे में भी प्रकाश डालिए

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  2. बहुत बढ़िया...... रोचक और जानकारी युक्त वृतांत

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  3. बढ़िया जानकारी, शानदार फ़ोटो।

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    1. ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद

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  4. kerla kafi guma hua hai par abhi tak munnar nahi dekha :-(

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    1. munar nahi mahesh ji coonoor ki tea state hai ye

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