शिवरात्रि के अवसर पर भोलेनाथ के मंदिरों का ध्यान आना स्वाभाविक है और यही मेरे साथ भी हो रहा है। रह रह कर अपने द्वारा देखे गये कुछ मंदिरो की बरबस याद आ रही है, तो कुछ देर पुराने फोटो देखने में व्यस्त हो गयी। अब जब लैपटॉप खुल ही गया है तो सोच रही हूँ अपने साथ साथ आप सभी को भी इस पावन अवसर पर जागेश्वर के दर्शन करा दूँ। तो चल पड़ते हैं इस छोटी सी पोस्ट के माध्यम से शिव जी के पास। अभी पिछले बरस घर मई में घर जाना हुआ तो जोगेश्वर भी गये। दस मई २०१६ को घर पहुंचे,उसी दिन भाई भी रानीखेत से आ गया। हमारी इस ट्रिप का मुख्य उद्देश्य जागेश्वर जाना ही था क्योंकि किसी पंडित ने वहाँ पर कालसर्प योग के निवारण की पूजा करवाने को कहा था। इस तरह से ११ मई २०१६ की सुबह हम तैयार हो कर जागेश्वर चल पड़े।
अल्मोड़ा से चौतीस किलोमीटर दूर इस धाम को भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवदार के घने जंगलों में भोलेनाथ नागेश्वर के रूप में विराजमान है। जागेश्वर जाने के लिये हम अपने घर से लक्ष्मेश्वर की तरफ आगे बढे। यहाँ पर बाई पास में डाइवर्जन मिलता है। नीचे को जाने वाली रोड रानीखेत पहुंचाती है और दूसरी रोड जिसे अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ रोड कहा जाता है हम उस रोड पर आगे बढ़ गये। करीब तीस किलोमीटर तक जाने के बाद हम आरतोला नाम की जगह पहुँच गये। अब बस महादेव हमसे ज्यादा दूर नहीं थे। यहाँ पर फिर से एक डाइवर्जन मिला और हम अपनी मंजिल की और नीचे जाने वाली सड़क पर आगे बढ़ गये। अगर सीधे सीधे आगे बढ़ जाते तो हम पनुवनौला पहुँच जाते। खैर हम तो जागेश्वर जा रहे थे ओर वहीँ जाने वाली सड़क में आगे बढ़ रहे थे। ये रोड पहले जितनी अच्छी तो नहीं थी लेकिन किसी भी एंगल से बुरी भी नहीं थी मतलब सड़क के दोनों तरफ देवदार के जंगल नजर आ रहे थे। सच में बहुत आनन्ददायक द्रश्य था। रुकने का बहुत मन था लेकिन अभी हमारा उद्देश्य पहले कालसर्प योग का निवारण करवाना था तो हम आगे बढ़ गये। अब तक मौसम में ठंडक आ गयी थी, इसका कारण आस पास में देवदार के जंगल का होना था।
वैसे मई के महीने के महीने में ठंडक कहना उचित नहीं लग रहा, मौसम सुहावना हो रहा था कहूँ तो ज्यादा अच्छा लगेगा। तो इस सुहावने मौसम के मजे लेते हुये हम मंदिर परिसर के पास पहुँच गये। इससे पहले जब भी हम जागेश्वर आये थे तो यहाँ पंडितों की थोड़ा मनमानी सी चलती थी लेकिन अब थोड़ा व्यवस्था में सुधार हो गया है। अब मंदिर के गेट के समीप जिसे जिस प्रकार की पूजा करानी हो उसकी पर्ची कटवा देते हैं और पूजा अर्चना के बाद पंडितों को कुछ देना आवश्यक नहीं है। यदि आप देना चाहें तो कोई हर्ज नहीं हुआ,अपनी अपनी श्रद्धा के हिसाब से दे सकते हैं कोई मना नहीं करेगा। अपनी पर्ची कटवा के हम सर्वप्रथम दर्शन के लिये पंक्ति में लग गये और उसके बाद पूजा अर्चना के लिये मंदिर चल पड़े। मंदिर जाने के कर्म में सबसे पहले महामृत्युंजय के दर्शन करे, वहीँ पर पंडित जी ने पाठ कराया, इसके बाद चाँदी का नाग नागिन का जोड़ा दे कर कहा इसे गंगा में प्रवाहित कर देना। अब मैं सोच में पद गयी कि इतनी जल्दी हम हरिद्वार कैसे जा पायेंगे पर उसी समय उन्होंने शंका का निवारण कर दिया नीचे जटा गंगा में जा कर प्रवाहित कर आओ, जल्दी से पंडित जी ने वहाँ जा के आने को बोला और इसीके साथ हिदायत दे डाली कि प्रवाहित करने के बाद ना वहाँ रुकना और ना ही पीछे पलट कर देखना। इतने को पूजा पाठ के मामले में हम भी थोड़ा डरपोक ही हुये झट गये और पट वापस आ गये। महाम्रत्युन्जय मंदिर के बारे में ये माना जाता है कि इसे आजादी गुरु शंकराचार्य ने कीलित कर रखा है, इस वजह से यहाँ यदि कोई किसी के बुरे के लिये कामना करे तो वो फलीफूत नहीं होती। इसके बाद पंडित जी ने कर्म से नागेश्वर के दर्शन कराये फिर मंदिर समूह का चक्कर लगा कर हम चल पड़े वापस घर।
जागेश्वर मन्दिर दर्शन के समय के कुछ द्रश्य-
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देवदार के पेड़ों के मध्य मंदिर समूह। |
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ॐ नागेश्वराय नमः। |
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महामर्त्युन्ज्य, ये ही सबके तारणहार हैं। |
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यही है जटा गँगा। |
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पतित पावनी गँगा और पार्श्व में धन के देवता कुबेर का मंदिर। |
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देवदार के जंगल। |
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पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित दंडेश्वर मंदिर। |
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मंदिर के बाहर लगी दुकाने। |
हर हर महादेव। जागेश्वर महादेव के दर्शन कराने के लिए आभार।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा हर्षा ,हम इस मंदिर को दूर से देखते रहे और अल्मोड़ा को निकल गए । कालसर्प योग होता है मैंने भी त्रयम्बकेश्वर में शांति करवाई थी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteBeautiful details of Jogeshwar temple and diversions. and of course kalsarp yog poja.
ReplyDeletevery nice and thanks for sharing.
Simmi
badhiya vivran..foto sabhi sunder lage
ReplyDeletebadhiya vivran..foto sabhi sunder lage
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..... हमे भी अपनी जागेश्वर यात्रा की याद आ गयी ....
ReplyDeleteफोटो अच्छे लगे ..
शानदार पोस्ट .खूबसूरत चित्र .जागेश्वर ज्तोतिर्लिंग के दर्शन कराने के लिए आभार।
ReplyDelete👍👍
ReplyDeleteबढ़िया यात्रा वृतांत और उसके साथ जबरदस्त फोटो ! मन ललचा देते हैं ये फोटो !!
ReplyDeleteहर हर महादेव
ReplyDeleteसुंदर यात्रा वृतांत
हर हर महादेव। जागेश्वर महादेव के दर्शन कराने के लिए आभार।
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