यूँ तो सूरज की किरणें हर रोज एक नये सवेरे की चमक दमक से इस धरा को सराबोर करती हैं लेकिन ये सुबह तो कुछ अलग ही लग रही हैं। सारा का सारा शहर आध्यात्म के रंग में रंगा हुआ और सब लोग आध्यात्मिक रस से ओतप्रोत लग रहे हैं!! ऐसा होना स्वाभाविक ही है , अब उड़ीसा की राजधानी भुबनेश्वर आ कर ये अनुभूति ना हो तो और कहाँ होगी!! हमारे होटल में सुबह सात बजे से कॉम्प्लिमेंट्री ब्रेकफास्ट मिलना शुरू हो रहा है तो जल्दी जल्दी तैयार हो कर रेस्तरां ही पहुँच जाते हैं !! आज जल्दी जल्दी करना थोड़ा जरुरी भी है क्यूंकि आज के दिन में बहुत कुछ देखना है और बहुत कुछ जानना भी है अगर यहीं से देर कर दी तो अपनी देखने वाली जगहें छूट जाएँगी !! ये शायद घुमक्क्ड़ी का कीड़ा ही है जो एक बार किसी को काट ले तो फिर फिर वो बेचारा कहीं चैन से नहीं रह सकता !! बेचारे का दिन का चैन और रात की नींद तो गायब होनी तय है !! ये ही लाइलाज बीमारी अपने को भी लग गयी है तो बस अब तो जिंदगी इसके साथ निकलनी है !!
Monday 13 November 2017
Monday 6 November 2017
Nandan Kanan Zoo,Odisha
बड़ी गरम जगह है यार ये उड़ीसा!! जनवरी के महीने में ये चिलचिलाती धूप और चिपचिपी वाला पसीना होता है तो ना जाने गर्मियों में क्या हाल होता होगा!! उस पर उदयगिरि की सीढ़ियों में चढ़ाना ये तो वो ही हाल हुआ करेला उस पर नीम चढ़ा हुआ!! अरे अब मैं ये सब क्यों सोच रही हूं अब तो हम लगभग इन सीढ़ियों से उतर कर सड़क पर ही आ पहुंचे हैं!! नारियल पानी वाले दिख रहे हैं पास में ही, एक एक नारियल ले कर थोड़ा गला तर कर लेते हैं और धूप से बचने को गाड़ी में ही जा के बैठ जाते हैं!! अब तो मन कर रहा किसी छांव वाली जगह बैठकर आराम मिल जाये तो अब चलते हैं वृक्षों से आच्छादित और वन्य जीवों के आवास नंदन कानन!! नारियल पानी पीते पीते अब हम सड़क पर चलते जा रहे हैं और वाइट टाइगर से साक्षात्कार की उम्मीद लिए नंदन कानन जो कि यहां से अट्ठारह किलोमीटर दूर है उसकी तरफ आगे बढ़ते जा रहे हैं!! बहुत नाम सुना है इसका जहाँ ये दिखता है वो दिखता ना जाने क्या क्या!! मुझे तो नाम भी याद नही रहते अब क्या कहूँ!! खैर बाते तो होती ही रहेगी अब एक छोटा सा परिचय दे देते हैं!!
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