Monday 6 November 2017

Nandan Kanan Zoo,Odisha

          बड़ी गरम जगह है यार ये उड़ीसा!! जनवरी के महीने में ये चिलचिलाती धूप और चिपचिपी वाला पसीना होता है तो ना जाने गर्मियों में क्या हाल होता होगा!! उस पर उदयगिरि की सीढ़ियों में चढ़ाना ये तो वो ही हाल हुआ करेला उस पर नीम चढ़ा हुआ!! अरे अब मैं ये सब क्यों सोच रही हूं अब तो हम लगभग इन सीढ़ियों से उतर कर सड़क पर ही आ पहुंचे हैं!! नारियल पानी वाले दिख रहे हैं पास में ही, एक एक नारियल ले कर थोड़ा गला तर कर लेते हैं और धूप से बचने को गाड़ी में ही जा के बैठ जाते हैं!! अब तो मन कर रहा किसी छांव वाली जगह बैठकर आराम मिल जाये तो अब चलते हैं वृक्षों से आच्छादित और वन्य जीवों के आवास नंदन कानन!! नारियल पानी पीते पीते अब हम सड़क पर चलते जा रहे हैं और वाइट टाइगर से साक्षात्कार की उम्मीद लिए नंदन कानन जो कि यहां से अट्ठारह किलोमीटर दूर है उसकी तरफ आगे बढ़ते जा रहे हैं!! बहुत नाम सुना है इसका जहाँ ये दिखता है वो दिखता ना जाने क्या क्या!! मुझे तो नाम भी याद नही रहते अब क्या कहूँ!! खैर बाते तो होती ही रहेगी अब एक छोटा सा परिचय दे देते हैं!!
               नंदन का अर्थ होता है आंनद देने वाला और कानन का अर्थ है जंगल तो नंदन कानन का मतलब हुआ आनंद देने वाला जंगल!! अब क्या जंगल भी आनन्द देने वाला हो सकता है अब तक तो जंगल की कल्पना से ही ऐसा लगता है जैसे डरावना भुतहा और जगंली जानवरों से भरा!! पर ये जंगल तो ऐसा नही यहाँ आ कर तो मन की साध पूरी हो जाती है !! यहां के मयूर देख कर मन मयूर नाच उठता है!!
             भारत के सात आश्चर्यों में से एक ये चिड़ियाघर जो कि  चंडाक के वृक्षों से आच्छादित है करीब एक हजार एकड़ जगह में फैला हुआ है और उन्हीं पेडों के नीचे आशियाना है अकूत जैव संपदा का!! जाते ही हम लोगों ने टिकट ले लिया और साथ के साथ बैरटी वाले रिक्शा और सफारी का टिकट भी ले लिया क्योंकि इतनी गर्मी में ना पैदल चलने की हिम्मत लग रही और ना ही बार बार लाइन में लगने की!!
          रिक्शे में बैठ गए और वो बारी बारी से हमे अलग अलग जगहों पर ले जा कर यहाँ के सदस्यों से परिचित करवाता रहा!! इनके बारे में ज्यादा क्या बोलूं अब फ़ोटो दिखा कर सीधे पहचान ही करवा दूंगी!! कई सारे जानवरों से साक्षत्कार के बाद अब जगंल सफारी की बारी आ गयी है और एक से एक खतरनाक जानवरों को पास से देखने के रोमांच मात्र से रोम रोम से सिरहन सी दौड़ रही है!! धीरे धीरे कर ले गाड़ी भर गई और हम चल पड़े!! साथ मे एक गाइड भी है गाड़ी में जिनकी मजेदार  कहानियों के बीच ये सफर और भी मजेदार होता जा रहा है!! यहाँ आ के पता लगा कि शेर का नाम सलमान भाई और शेरनी का नाम शीला भाभी भी हो सकता है!! इतना ही नही भालुओं के नाम तो सुन लीजिये एक बार पैट्रोल, डीजल, कैरोसिन और एलपीजी!!अब गाइड महाराज बोले इन भालू को वो मूंगफली खिलाएंगे !! जैसे ही भालू को खिड़की से मूंगफली दिखाई तो वो लपक के पास आ गया और खिड़की के सामने उछलने लगा जैसे अब बस अंदर ही आ जायेगा !!  छोटे बच्चों की तो साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी !! बहुत देर तक  चलता रहा !! एक को खिला दिया तो उसके बाकि साथियों को भी खिलाना जरुरी हो गया वो आ गए गाड़ी के सामने !! एक भालू एक खिड़की पर तो दूसरी खिड़की पर दूसरा भालू !!
            इसके बाद बब्बर शेर का नंबर आया !! एक तो खुले जंगल में विचरण कर रहे थे बड़ी शान में !! अब क्यों न करे अब जंगल का राजा जो हुआ !! दूसरा शेर कुछ उदास लगा शायद गरमी की वजह से परेशान हो या फिर बीमार हो लेकिन शेर की मुख मंडल पर परेशानी अच्छी नहीं लगती उसके मुहं पर तो ऐसा तेज होना चाहिए कि लोग डर स्व कपङे लगे !!
           बंदर और बंदरिया जो कि पहले प्यार में पड़ गए और उसके बाद उनमे झगड़ा भी हो गया, मतलब पहले एक ही बाड़े में रहते थे !! चार दिन प्यार हुआ इकरार हुआ और उसके बाद मारा पिटी!! तो इन लोगों ने तलाक करा दिया यानी अलग अलग बाड़े में रख दिया!! अब भला कहीं ऐसा होता है की जानवरों में प्यार हुआ। साथ जीने मरने की कसमें खायी और जुमा- जुमा चार दिन नहीं हुए की लड़ाई कर के तलाक ले लिया !! ऐसा गजब तो इंसानो में ही संभव है  !! बड़े ही मजेदार किस्से हैं इन जगंल के प्यारे प्यारे सदस्यों के तो!! जितना मजा इन लोगों से मिलने आया उससे कई गुना ज्यादा इनके किस्सों में आ गया !! ये सब हमारे गाइड की मेहरबानी का नतीजा निकला जिसने सफर को इतना अच्छा बना दिया !! सही कहा है किसी ने कि अच्छा वक्ता किसी भी चीज में रंग भर सकता है फिर ये जगह तो अपने आप में ही निराली है !! चिड़ियाघर तो हमने बहुत देखे है पर नन्दन कानन का जैसा कोई नहीं और ना ही कहीं यहाँ के जैसे रोमाँचक किस्से और नाम सुने !! आधा मजा तो इनके नाम सुनकर ही आ जा रहा था !! तो अब ज्यादा बातें नहीं करते हैं और इन लोगों की कुछ तस्वीरें दिखा देते हैं -
      
हाथी मेरे साथी !!

फाउंटेन और उसके अलग बगल तस्वीरें खिचवाते लोग !!

इन्हे भी देख ही लो !! 
आराम में कोई खलल ना डाले !!

दो दो लंगूर !!

हिरणो का झुण्ड ना जाने क्या चर्चा कर रहे है!!

रंगीन चिड़ियाँ अब मैं नाम भूल गयी हूँ !!

ठंडक का अहसास लेने पानी के पास बैठी है !!

ये तो अब बस डूबने ही वाले हैं !!

सफारी वाली बस 

मिल ही गया ,वाइट टाइगर मिल ही गया !!

जरा मुखड़ा दिखा तो ये पर्दा हटा दो !!

सलमान भाई शीला भाभी की तलाश में !!
गाइड महाराज की जय !!
गाड़ी वाले बाबू मुझे मूंगफली दे दे !!
दूसरा क्यों पीछे रहता !!
कितना मासूम है ना !!
अइयो !!
मोरनी बागा मा बोले आधी रात मा, ना न दिन में 😆😆!!
सो लो ,सो लो जिंदगी का मजा इसीमे है !!
बंदर !!
इन्ही दोनों में पहले प्यार और फिर तकरार हुयी !!
रंग बिरंगे खिलोने, भगवान इन बच्चों  जिंदगी में  खुशियों के रंग भर दो !!
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4 comments:

  1. वाह आपके साथ नंदन कानन की सैर करके बहुत बढि़या लगा। हमने नंदन कानन वन तो नहीं देखा था पर नंदन कानन एक्सप्रेस ट्रेन से दिल्ली से गया तक का सफर जरूर किया है। आज आपके साथ वन भी देख लिया। बहुत ही सुंदर विवरण किया आपने और फोटो तो कमाल के हैं। वो एक फोटो क्या कहते हैं उसको हिंदी में शायद भालू ही कहते हैं न, जो गाड़ी वाले से मुंगफली मांग रहा है, ऐसा लगता है वो भालू भी बस में बैठना चाहता है। बहुत बढि़या जी, शुभकामनाएं आपको।

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  2. ​बहुत बढ़िया !! नंदन कानन की शानदार यात्रा का शानदार वर्णन ! गर्मी का हाल फोटो में दिख रहा है

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  3. आज के लेख में दिखाया कुछ नहीं देख पाया।

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  4. लिखने की शैली कमाल की थी नन्दन कानन का अर्थ भी पता चला ,फुल मस्ती पोस्ट

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