Sunday 15 September 2013

Big Banyan Tree,Bangalore

              आज के यात्रा वृतांत में फिर से आप लोग लोकल बैंगलोर को ही एक्सप्लोर करेंगे और आज का विषय है "बरगद का पेड़" एक बार कभी बचपन में हम लोग अहमदनगर(महाराष्ट) गए थे, तो वहां खूब सरे बरगद के पेड़ों से भरी हुयी सड़कें देखने को मिलती थी। तो यहाँ जाने का काफी उत्साह था मन में कि शायद कुछ पुरानी यादें ताजा हो जाएँगी। बैंगलोर में इस जगह को बिग बैनियन ट्री (Big Banyan Tree ) के नाम से जाना जाता है। यहाँ के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आपको थोडा मेहनत तो करनी ही पड़ेगी, तो देर किस बात की है जल्दी से क्लिक करिए-
            बरगद के पेड़ की हमारे देश में बहुत ही मान्यता है, कहीं धार्मिक रूप में तो कहीं किसी और रूप में,और तो और रहा ये हमारे देश का राष्ट्रिय वृक्ष भी है। यूँ तो बरगद का पेड़ अपनेआप में ही काफी बड़ा होता है,पर हमारे भारत में कुछ बरगद के पेड़ बिग बैनियन ट्री के नाम से जाने जाते हैं, जिनमे से एक हमारे बैंगलोर में भी स्थित है। इन बरगद के पेड़ों की लोकेशन इस प्रकार से है-
१-थिम्माम्मा मार्रिमाणु(Thimmamma Marrimanu)-इस पेड़ का नाम थिम्माम्मा नाम की एक महिला के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अपने पति की बहुत सेवा की। ये पेड़ आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में है। इस पेड़ की उम्र दो सौ साल है और यह आठ एकड़ एरिया में फैला हुआ हुआ हैइसे विश्व के सबसे बड़े बरगद के पेड़ के नाम से जाना जाता है
२-महान बरगद के पेड़(The Great Banyan Tree)-लगभग दो सौ या ढाई सौ साल पुराना यह बरगद के पेड़ कोलकाता के बोटेनिकल गार्डन में स्थित है। लगभग तीन सौ तीस मीटर लम्बी रोड इस पेड़ की परिधि पर बनी हुयी है
३-डोड्डा अलदा मारा (Dodda Alada Mara)-ये है हमारी आज की डेस्टिनेशन। चार सौ साल पुराना यह पेड़ बंगलौर -मैसूर के रास्ते पर स्थित एक गाँव में है।ये अकेला वृक्ष तीन एकड़ जगह में फैला हुआ है और इसकी परिधि भी लगभग दो सौ पचास मीटर है। ये जगह कई पेड़ों का एक समूह सा लगती है, जी कारण माहौल काफी मनमोहक बन जाता है और यह जगह बैंगलोर का एक आकर्षक पर्यटन स्थल बना हुआ है। यहाँ के आसपास में सावनदुर्गा नामक पर्यटन स्थल भी है,वहां जाने का सौभाग्य तो हम लोगों को अभी तक नहीं हुआ,चलिए कभी ओर चलते हैं,क्यूंकि एक ही दिन में सब कर लेंगे तो अगले वीकेंड्स का क्या होगा? 
              ये जगह बैंगलोर से अठाईस  किलोमीटर की दूरी पर स्थित है,मैसूर रोड में कुम्बलागोड़ तक तो रास्ता सही है,पर उससे राईट लेने के बाद के  सात किलोमीटर थोडा कठिन है, इसलिए  बरसात के दिनों में जाना हितकारी नहीं है। यहाँ पेड़ की शाखाओं के मध्य बैठने के लिए कई सारे बेंच बने हुए है और एक छोटा सा मंदिर भी है,जो कि लोगों के आकर्षण का केंद्र है। यहाँ पर बहुत से बन्दर पाए जाते हैं तो बच के निकलना पड़ता है।खाने का कोई सामान है तो बैग तो अतिआवश्यक है,वर्ना कुछ नहीं बचेगा।अगले यात्रा वृतांत के साथ पुन्ह: आने के वादे के साथ अभी के लिए यहाँ के द्रश्यों का आन्नद उठाते हुए अनुमति दीजिये -
बाहर से दिखता हुआ बरगद का पेड़ 


पेड़ के बारे में पूरी जानकारी 


बरगद की शाखाएं है या अलग अलग पेड़ 


मंदिर 


बड़ी बड़ी शाखाएं और लोगों द्वारा उन पर लिखे गए नाम 


देखिये क्या हुआ अगर खोलना नहीं आता तो,फिर भी माजा पिया जा सकता है 

Wednesday 4 September 2013

पिरामिड वेली (Pyramid Valley)बैंगलोर

              चेन्नई ट्रिप के बाद बहुत दिनों से हम लोग घर पर ही बैठे हुए थे,घुमक्कड़ी कुछ कम सी हो गयी थी। पर जहाँ चाह होती है,वहां राह तो मिल ही जाती है और अचानक से बैंगलोर में ही रहने वाले कुछ रिश्तेदार हमारे घर पर हमारे घर पर आ गए तो बस देर किस बात की थी उन्हें कहीं ना कही ले जाना तो बनता ही था। उन लोगों के पास जितना समय था उसके हिसाब से बैंगलोर में लोकल ही कहीं जाया जा सकता था, इस तरह से पहले नंबर पर चुना गया पिरामिड वेली। यहाँ के बारे में पूरी जानकारी के लिए पढ़िए- 
          हमारे वहां से से ये जगह नाइस रोड जंक्शन से कनकपुरा रोड के रास्ते बत्तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है रोड की हालत तो ठीक थी इसलिए कोई ज्यादा समय नहीं लगा बस एक घंटा। अब आपको बता दे ये जगह एक अंतराष्टीय मैडिटेशन सेण्टर है और यहाँ पर एक बड़ा सा पिरामिड है यहाँ पर बैठकर हजारों लोग मैडिटेशन कर सकते हैं। यहाँ पर पिरामिड के अलावा गोतम बुद्ध की एक प्रतिमा, एक छोटी सी झील जिसे देखने से लग रहा था कि शायद कमल खिलते होंगे, सुन्दर सा हरा-भरा गार्डन और जगह- जगह लगे हुए फूल हैं,जिन्हें देखने से ये नहीं लगता कि हम बैंगलोर में ही हैं। कुल मिला कर के यहाँ बहुत ही अच्छे द्रश्य देखने को मिल जाते हैं और मौसम अगर साथ दे दे तो आध्यात्म के साथ-साथ पिकनिक के लिए भी बहुत ही खुशनूमा जगह है।  एक बात तो यहाँ ये है कि यहाँ पर दिन का खाना भी मिलता है,पर खाने के इरादे से जाना सही नहीं है क्यूंकि खाना उतना फ्री ऑफ़ कास्ट है तो क्वालिटी उतनी ज्यादा नहीं थी, पर वैरायटी काफी थी जिसमे चावल, सांभर, चटनी और बटरमिल्क सम्मिलित था और मैडिटेशन के इच्छुक लोगों को थोड़ी देर का एक प्रेजेंटेशन यहाँ पर देते हैं जिसके बाद ही आगे जा पाना संभव है।तो यहाँ से ज्ञान ले कर हम आगे पिरामिड की ओर को बढ़ते है पर वहां पहुँच के पता  कि ६ साल से छोटे बच्चे अन्दर नहीं जा सकते तो हम छह लोगों का ग्रुप दो भाग में विभाजित हो गया और थोड़ी थोड़ी देर कर के हम पिरामिड में गए। अन्दर बहुत ही शांतिपूर्ण वातावरण था और हजारों लोग ध्यान में मग्न थे और बहुत ही गर्मी भी लग रही थी जो शायद पिरामिड के आकर के कारण  होगी। वहां से आने के बाद थोड़ी देर इधर उधर घुमा और उसके बाद हम लोग बैंगलोर ले विख्यात बरगद के पेड़  जाने के लिए निकल पड़े।इस तरह से अगली पोस्ट में मिलते हैं बरगद के पेड़ पर।तब तक आप पिरामिड वेली के द्रश्यों का आन्नद उठाइए- 
छोटी सी लेक में बैठे हुए गांधीजी 

भव्य पपिरामिड 

नज़ारे ही नज़ारे 

शांति का प्रतिक गौतम बुद्ध 

क्या ये बैंगलोर ही है?

घने जंगलों के मध्य हमारी टीम