Tuesday 26 September 2017

Syahi Devi Shitlakhet, Almora

              नवरात्रि के पांच दिन गुजर गये और मैं आज तक आपको किसी भी माता रानी के दर्शन कराने नहीं ले गयी। अब तो मुझे खुद भी लग रहा है ,बेटा बहुत अलसा लिये !! डांडिया गरबा में इतना रमना भी ठीक नहीं !! कम से कम इन नौ दिनों में से एक दिन तो किसी मंदिर को याद कर ले!! जा नही सके तो फोटो ही देख लो और बाकियों को भी दिखा तो !! तो चलिये आज अपना आलस छोड़ कर आपको ले चलते हैं माता के दरबार में !!देवी माँ के नौ रूप हैं और अलग अलग जगह वो अलग अलग रूप में विराजती हैं कहीं देवी भगवती  के रूप में तो कहीं माँ कालिका के रूप में!! देवों की नगरी यानिकि देवभूमि उत्तराखंड में बसने वाली स्याही देवी के सानिध्य में।

Friday 1 September 2017

Udaygiri and Khandgiri Hills,Bhubneshwar

           भारत की पूरब दिशा में बसा से उड़ीसा राज्य हर तरह से समद्ध है चाहें वो धार्मिक दृष्टि से हो या फिर प्राकृतिक दृष्टि से। चार धामों से से एक जगन्नाथ पुरी भी यहीं है और राजधानी भुबनेश्वर में लिंगराज जैसा विख्यात मंदिर भी यहीं है। इसकी धार्मिक समर्द्धता के विषय मे ज्यादा कुछ कहने की आवश्यकता ही नही है वो यहां के प्रतीक चिन्हों से अपने आप झलकने लगती है!! यहाँ ना केवल हिन्दू धर्म स्थल हैं अपितु जैन और बौद्ध धर्म के भी प्रतीक चिन्ह उपस्थित हैं!!  इसी क्रम में यहाँ के कुछ मंदिर दर्शन के तदोपरांत हम लोग उदयगिरि और खंडगिरि से रूबरू होने के लिये आगे चल पड़े। लिंगराज मंदिर से यहाँ की दूरी करीब आठ किलोमीटर की है ओर हम आधे घंटे में इन गुफाओं के प्रवेश द्वार तक पहुंच गये!! यहाँ भी सभी पर्यटक स्थलों की तरह जगह जगह पार्किंग के नाम पर पैसा वसूलने वाले लोग विराजमान है और चालीस रुपये के रूप में हमसे भी वो अपनी फीस झटक ले गये!! खैर अब घूमने निकले ही हैं तो इतना तो करना ही पड़ेगा।
         बहुत देर से उदयगिरि खंडगिरि का जाप लगा रखा है ना!! चलिये अब एक छोटा सा परिचय भी दे डालती हूँ, बिना परिचय के यात्रा वर्त्तान्त में आंनद नही आ पाता है!! उदयगिरि और खंडगिरि दोनों आमने सामने स्थित दो पहाड़ियाँ है जिनमे छोटी बडी गुफाएं बनी हुई हैं। ये गुफाएं प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों का संगम हैं।
      जैसा कि नाम से ही पता लगा रहा है उदयगिरि से तात्पर्य है उगते सूरज की पहाड़ी और खंडगिरि का अभिप्राय अवशेषो से है!! एक ही दिन में दोनों पहाड़ियों में चढ़ना तो जम नही  रहा तो दोनो में से एक का चयन जरूरी है तो हम भी उदयगिरि की गुफायें देखने का तय किया!! उदयगिरि में छोटी बड़ी पंद्रह और खंडगिरि में अट्ठारह गुफाएं है !! चलिये हल्का फुल्का परिचय तो हो गया अब उदयगिरि की गुफाओं के दर्शन भी कर लेते हैं!! नीचे से ऊपर तक गुफायें ही गुफायें बनी हुयी है और इन को देखने के लिये सीढियां चढ़ना जरूरी है!! जो एक बार सीढियां चढ़ना शुरू करे तो सभी गुफायें क्रम से नजर आ ही जाती हैं। कुछ गुफाएं दुमंजिली जैसी भी लग रही है तो कुछ एक मंजिली ही हैं!! लेकिन उनकी ऊंचाई इतनी नही लग रही कि उनके अन्दर आराम से खड़ा हुआ जा सके। अब पुराने समय मे भी आदमी की लंबाई इतना कम तो नही रही होगी कि इतनी सी गुफा में समा जाये, इसका मतलब है कि ये लोग गुफा के अंदर झुककर प्रवेश करते होंगे और इनका उपयोग बैठने  या सोने के लिये ही करते होंगे!! सच मे छोटे छोटे कोठे जैसे बने हुये हैं!! अरे हाँ याद आया अंडमान के काला पानी , अरे यार वो ही सेलुलर जेल की कोठरियों का जैसा आकार है इनका भी। ना कोई खिड़की ना कुछ!! बस अंतर इतना है कि इनमे दरवाजा नही है और यहाँ खुली हवा और प्रकाश बेखटके आ सकता है तो जैन साधक भी एक दूसरे से मिलने जरूर आते ही होंगे!! कुछ लोग बता रहे थे कि इनका निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है जिससे दिन में सूर्य देव अपनी  कृपा बरसाते रहें और रात में चाँद की चांदनी से भरपूर रोशनी होती रही!! पुराने लोग बडा ही दिमाग लगाते थे इन सब चीजों में, इनके सामने तो आज के बड़े बड़े आर्किटेक्ट भी फेल हो जायें!!
       एक समय रहा होगा जब ये जगह जैन साधुओं से गुलजार रहा करती होगी लेकिन अब तो यहाँ बंदरों और आजकल के लव बर्ड्स का डेरा लगा रहता है!! ठीक ही बात है समय बदलते क्या देर लगती है😀😀। गुफाओ के मुख्य द्वार पर कुछ कुछ अलंकरण से बने हुये हैं जो कि समय के साथ साथ धूमिल होते जा रहे हैं!! सामने से खण्डगिरि की पहाड़ियों पर बने मंदिर के दर्शन हो रहे हैं, अब वहाँ जाना तो संभव नही है सो यहीं से हाथ जोड़ लेते हैं!! अब थोड़ा मलाल सा लग रहा है कि काश पहले इन्हीं पहाड़ियों में चले गये होते तो मंदिर भी जाया जा सकता था। यहीं से मंदिर के साथ साथ भुबनेश्वर शहर का भी अवलोकन हो जा रहा है। सीढियाँ चढ़ते चढ़ते थोड़ा थकन तो हो ही जाती है तो इसका भी उपाय यहाँ पर है !! बैठने के लिये भरपूर मात्रा में गोल गोल वाले पत्थर है जो कि लगभग सभी गुफा के समीप वाली जगहों पर मिल जाते हैं !! दायें-बायें जाने के लिए सीधे समतल रास्ते बने हुये हैं जिनमे दोनों तरफ पेड़ों की छावं मिलने से अच्छा लगता है और साथ में गुलाबी रंग के खूब सारे कागजी फूल भी अपनी छटा बिखरते हुये मिल जायेंगे !! यहाँ पर कुछ लड़के हमारे आगे आगे जा रहे थे तो हम भी उनके पीछे हो लिये कि शायद ये कोई व्यू पॉइंट देखने जा रहे होंगे लेकिन थोड़ी ही देर में वो ना जाने क्या सोच क्र जंगल में उतर गए और हम वापस अपने रास्ते पर !! यूँही बिना सोचे किसी के पीछे लगने से कई बार ऐसा हो जाता है !! अब  वाले रास्ते में पहुंचे तो वहाँ बंदरों की फौज जमा थी !! बानर सेना   बंदरों से बचते बचाते किसी तरह अपने कैमरा का प्रयोग करते हुये अब हम नीचे उतर रहे हैं।  हम नीचे उतरते उतरते फ़ोटो लेते गये और आप देखते जाइये !! नीचे उतरने के बाद भूख प्यास सब अपना जोर लगाने लगी है तो एक एक नारियल पानी हम तीनो ने ले  लिया और उसे पीते पीते ही पार्किंग स्थल में जा पहुंचे !! उदयगिरि की पहाड़ियों के बाद हम हमारा अगला पड़ाव नन्दन कानन है तो अगली पोस्ट में मिलते हैं नन्दन कानन की जैव सम्पदा के विस्तार पूर्वक वर्णन के साथ और तब तक आप लोग उदयगिरि की इन पंद्रह गुफाओं के चलचित्र देखिये-

छोटी छोटी गुफायें 
ये सीढियाँ भी गुफानुमा पत्थरों को काट कर बनायीं गयी हैं। 



बलुवे भूरे रंग की गुफाओं के बीच धानी रंग अदभुत लग रहा था !!

इनके प्रवेश द्वार पर कुछ अलंकरण बनाये गये हैं जो कि समय के साथ धूमिल से हो रहे हैं !!

खंडगिरि की पहाड़ियों पर बना सफ़ेद मंदिर , बढ़िया दृश्य था बहुत। 

भुबनेश्वर की कुछ इमारतें   
गुफायें  ही गुफायें 
कुछ हद तक तो ये ऐसे लग रहे हैं जैसे किसी बरामदे में छत को स्पोर्ट देने के लिये स्तम्भ बनाये हों !!
ये ही वो लड़के थे !!


धूप के बाद छाँव बहुत अच्छी लगती है !!