Thursday 5 June 2014

Dolphin trip and Aguada Fort डॉल्फ़िन ट्रिप और अगोडा फोर्ट:गोवा का अलोकिक सौंदर्य...........६

             आज का दिन इस बार के गोवा भ्रमण का अंतिम दिन था, और देखने के लिए काफी कुछ रह गया था जिसमे सब से मुख्य था डॉल्फ़िन देखना। बागा बीच पर डॉल्फ़िन दिखाने के लिए जो पैसा बताया जा रहा था वो जरुरत से कुछ ज्यादा ही था और उसके लिए जाना भी सुबह सुबह था, इसलिए सोचा था कि एक लास्ट ट्रॉय करके देख लेंगे। परन्तु पहले सुबह उठने में ही देर हो गयी और उसके बाद होटल में लेट चेकआउट स्वीकृत नहीं हुआ तो होटल से निकलने में ही देर हो गयी और डॉल्फ़िन दर्शन का विचार एक तरह से छोड़ ही दिया। प्लान में चेंज कर के हम लोग अगोडा फोर्ट के लिए निकल पड़े। अगोडा फोर्ट हमारे होटल से लगभग सात किलोमीटर की दूरी में था, हम वहां जा ही रहे थे कि तब तक एक नवयुवक बाइक में डॉल्फ़िन डॉल्फ़िन चिल्लाता हुआ जा रहा था तो हम लोगों ने वहीँ उतर  कर उससे बात करी तो वो सज्जन हम चारों को १२०० रुपये (बारह सौ) में डॉल्फ़िन दर्शन कराने को राजी हो गए और हमारे लिए तो ये कुछ इस प्रकार था कि अंधे को दो आँखे मिल गयी।  इसे सिंक्वेरिम जेटी (Sinquerim Jetty)बोट हाउस कहा जाता है। इसके बारे में जानकारी के लिए एक लिंक इस प्रकार है सिंक्वेरिम जेटी बोट एसोसिएशन । ये जेटी गोवा सरकार के द्वारा चलायी जाती है।  तो इस तरह अचानक से मिले डॉल्फ़िन ट्रिप और अगोडा फोर्ट के बारे में ज्यादा पढ़ने के लिए क्लिक करिये  


            शुरुवात करते हैं अपनी बारी के इन्तजार में खड़ी नौकावों के चित्र के साथ -


                  ये जगह काफी भीड़भाड़ वाली थी पर पेड़ों से घिरे होने के कारण गर्मी का उतना अंदाजा नहीं आ रहा था और खाने पीने के लिए आइस क्रीम ,कोल्ड ड्रिंक, नारियल पानी वगेरह सभी चींजे उपलब्ध थी ,तो हमलोगों ने भी कुल्फी का आंनद उठाते हुए अपनी बारी का इन्तजार किया। करीबन दस से पंद्रह मिनट में हमारा नंबर लग ही गया था, सावधानी से बोट में सभी लोगों को बैठाने के बाद बोट का इंजन ऑन हुआ और इस तरह से हम निकल पड़े डॉल्फ़िन देखने के लिए। यहाँ पर एक शर्त ड्राइवर ने खुद ही रखी थी भले ही डॉल्फ़िन का पूंछ ही देखे पर दिखाए बिना वापस न लाएगा। इतने में हम चलते चलते आगे बढ़ गए थे और ड्राइवर साहब हमें नौका में बैठाये हुए ही अगोडा फोर्ट,और कुछ बंगलों के दर्शन करा रहे थे जिनमे से एक में शायद हसीना मान जाएगी (Hasina Maan Jayegi ) हिंदी फिल्म की शूटिंग हुयी थी तथा एक हिंदी फिल्म अभिनेता जैकी श्रॉफ  का बंंगला था। आप भी देखिये -


बंगला 


                   यहाँ पर एक तरफ से नारियल के पेड़ों से बहुत ही मनभावनी हवा आ रही थी वहीँ पास में कोको समुद्र तट  से ठन्डे ठन्डे हवा के झोंके आ रहे थे। कुल मिलाकर गर्मी तो बस गायब ही हो गयी थी ,अब तक हम लगभग समुद्र तट पर ही पहुँच गए थे जहाँ पर नौका हिचकोले खाने लगी तो बचपन में एक नाटक का गाना सा याद आया जो कि ये था "अगर मगर डोले नैया ,लहर लहर जाये रे पानी ,डूबे ना डूबे ना मेरा जहाजी।  " इस तरह से लहरों के बीच हम काफी आगे निकल आगे पर डॉल्फ़िन का तो कोई नाम ही नहीं। काफी देर ड्राइवर जी ने इन्तजार किया और फिर आगे बढ़ चले उन्हें देख बाकि नौका वाले भी बढ़ गए।  ये सिलसिला काफी देर तक चलता ही रहा और एक बार तो सभी नाव वाले शिकारियों की तरह ही बस खड़े हो गए। अंततः काफी इन्तजार के बाद डॉल्फ़िन दिख गयी और हम सभी ख़ुशी वापस आ गए। लगभग डेढ़ घंटे की इस डॉल्फ़िन ट्रिप ने सब का मन प्रसन्न कर दिया था या यूँ कहिये एक तरह से गर्मी में ठन्डे का एहसास करा दिया। इस ट्रिप के कुछ नज़ारे आप लोग भी देखिये -

डॉल्फ़िन दर्शन के लिए आई नौकाएं 

इतना आगे तक बढ़ गए की समुद्री जहाज भी दिखने लगे 



             इसके बाद अब अगला पड़ाव था अगोडा फोर्ट।  गोवा को अगर सूरज और समंदर की जगह कहा जाये तो ये यहाँ के पुरातत्व के साथ एक तरह से अन्याय ही होगा, यहांँ कई सारे किले ,चर्च और मंदिर है जिन्हे देखने के लिए भी बहुत समय की आवश्यकता है, हम तो बस अगोडा फोर्ट के दर्शन कर पाये। अगोडा एक पुर्तगाली शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है पानी का भंडार स्थल। इस किले का निर्माण सुरक्षा तथापानीकेभण्डारण के लिए किया गया था। ये एक तरफ समुद्र तट और लाइट हाउस से घिरा है तो वहीँ दूसरी औरमांडवी नदी बहती है। यहाँ  पर हिंदी फिल्म भूतनाथ(Bhoothnath ) और दिल चाहता है की शूटिंग भी हुयी 


 है,जिससे यहन की प्रसिद्धि ओर भी बढ़ गयी है। यहाँ पर एक सेंट्रल जेल भी है जो की पर्यटकों के लिए खुली नहीं होती। यहाँ आने के लिए सुभह का या फिर शाम का समय उपयुक्त होता है,क्यूंकि ये सुबह १० बजे खुलता है तथा शाम को ५ बजे बंद हो जाता है। इसलिए या तो खुलते समय पहुँच जाना चाहिए या फिर शाम को ,क्यूंकि दिन में गर्मी अपनी प्रचंडता पर रहती है। अगोडा फोर्ट के कुछ नज़ारे-

लाइट हाउस 

दिल चाहता है 

किले की बाहरी दीवार 
        इसके बाद का अगला पड़ाव था डोना -पौला और मीरामार बीच,तो डोना- पौला की खूबसूरती देखने के बाद हमने मीरामार बीच के सूर्यास्त का आनंद उठाने का प्लान बनाया। मीरामार बीच बहुत ही हरियाली से भरा हुआ हुआ है,यहाँ जा कर तो लगता है की बस यहीं थम जाओ, परन्तु समुद्र तट  का एकदम  नजदीकी छोर उतना स्वच्छ नहीं है कि पानी में खेलने के लिए उतरा जा सके. मीरामार बीच की हरियाली का एक नजारा -


                    यहाँ का सौंदर्य तो देखते ही बनता है,एक तरफ नारियल के पेड़, दूसरी और हरी भरी घास और साथ में समुद्री किनारा,एक तरह से कहा जाये तो दर्शकों को सबकुछ एक साथ ही देखने को मिल जाता है।इसके साथ ही गोवा भ्रमण की श्रृंखला समाप्त होती है,इस श्रृंखला की समस्त कड़ियाँ एक साथ इस प्रकार हैं-