Monday 13 November 2017

Dhauli Shanti Stupa and Pipli

             यूँ तो सूरज की किरणें हर रोज एक नये सवेरे की चमक दमक से इस धरा को सराबोर करती हैं लेकिन ये सुबह तो कुछ अलग ही लग रही हैं। सारा का सारा शहर आध्यात्म के रंग में रंगा हुआ और सब लोग आध्यात्मिक रस से ओतप्रोत लग रहे हैं!! ऐसा होना स्वाभाविक ही है , अब उड़ीसा की राजधानी भुबनेश्वर आ कर ये अनुभूति ना हो तो और कहाँ होगी!! हमारे होटल में सुबह सात बजे से कॉम्प्लिमेंट्री ब्रेकफास्ट मिलना शुरू हो रहा है तो जल्दी जल्दी तैयार हो कर रेस्तरां ही पहुँच जाते हैं !! आज जल्दी जल्दी करना थोड़ा जरुरी भी है क्यूंकि आज के दिन में बहुत कुछ देखना है और बहुत कुछ जानना भी है अगर यहीं से देर कर दी तो अपनी देखने वाली जगहें छूट जाएँगी !! ये शायद घुमक्क्ड़ी का कीड़ा ही है जो एक बार किसी को काट ले तो फिर फिर वो बेचारा कहीं चैन से नहीं रह सकता !! बेचारे का दिन का चैन और रात की नींद तो गायब  होनी तय है !! ये ही लाइलाज बीमारी अपने को भी लग गयी है तो बस अब तो जिंदगी इसके साथ निकलनी है !!
          ब्रेकफास्ट में ही पर्याप्त खाना खा लिया या ये कहूं कि ठूंस लिया कौन जाने दिन में खाने का अवसर मिले न मिले और फिर कौन बेवफूफ खाने में समय जाया करे !! खाना तो रोज ही खाते हैं घूमना कभी कभी होता है !! खाना निपटाते निपटाते ही टेक्सी बुला ली और  होटल से चेक इन कर के निकल पड़े !! सामान टेक्सी में भर दिया क्यूंकि अब रात की ट्रैन से तो  वापस ही जाना है !! एक बार आज के कार्यक्रम में नजर डाल लेते हैं !! वैसे बड़ा ही हेक्टिक प्लान सा लग रहा है मुझे !! यूँ तो घूमने के लिये जितने भी दिन हो वो कम ही लगते हैं पर अभी तो कुछ ज्यादा ही कम हो गया टाइम !! अब कलिंग की धरती पर आये हैं तो धौली स्तूप जाना जरुरी है, पीपली को भी कैसे छोड़ सकते हैं , कोणार्क तो हुआ ही और जागनाथ जी के धाम जाने के लिए तो इतनी दूर से आये हैं !! तो जी आज के दिन में  सात किलोमीटर  जाना है और करीब करीब साठ किलोमीटर वापस आना है !! इस तरह से चलिये चलते हैं रोमांचक और आध्यात्मिक सफर की तरफ कदम बढ़ाते हैं !!
             सफर का पहला पड़ाव है धौली,  धौली जहाँ सफ़ेद रंग का शांति स्तूप है !!  शायद इसी सफ़ेद/धवल रंग से बने होने कारण  धौली कहा जाता है !! होटल से चौदह किलोमीटर दूर इस जगह  हमे करीबन आधा घंटा लगा !! उड़ीसा में  कहीं  पार्किंग के पैसे तो तगड़े लग ही जाते हैं सो चालीस रूपये यहाँ  गए !! ये ही वो धरती है जिस  पर कलिंग के युद्ध वाला नर संहार हुआ था !! आज कितनी  शांत लग रही है ये जगह !! जैसे कभी कुछ हुआ  ही ना हो !! कैसा खतरनाक मंजर रहा होगा वो जिसे देख कर अशोक का ह्रदय ही परिवर्त्तन हो गया !! हर जगह मार काट मची होगी !!  ये दया नदी जो आज इतनी निश्छल लग रही है इसमें पानी की जगह रक्त का बहाव हो रहा होगा !!  एक अलग सी  बेचैनी का अनुभव होता है ऐसी जगहों में जा कर !! खैर सफ़ेद रंग की बनी ये  इमारत आँखों को बहुत शांति देती हैं, थोड़ा थोड़ा पीले रंग की आभा भी बिखरी हुई है !! अन्य पर्यटक स्थलों की तरह यहाँ भी फोटो खींचने वाले ढेर सारे फोटोग्राफर घूम रहे थे !! ऊपर जा कर अलग अलग मुद्राओं में बने बुद्ध की प्रतिमाएं नजर आती हैं !! इस बारे में अपने को ज्यादा अंदाजा नहीं तो हमने आस पास के व्यू देख कर वापस लौटने में भलाई समझी!!
           
कोई भी जगह हो भीड़ सब जगह मिल जाएगी !!
धवल रंग का धौली शांति स्तूप। 

तू खींच  मेरी फोटो !!
कलाकृतियाँ  न जाने क्या क्या बना है !!
बैठे हुए बुद्ध !
धौली स्तूप से नजारा !!


यहाँ पर सो रहे हैं !!
शेर को क्या मालूम बैठा एक और शेर है !!
ये भी नजर आ रहा है !!
         अब हमारे सफर की अगली मंजिल पीपली है !! आधे घंटे का सफर तय कर के हम पीपली नामक इस छोटे से कसबे में पहुँच गये !! ये जगह देश विदेश में  अपने हाथ के काम के लिये जानी जाती है !! जगह क्या है बड़ी ही रंग बिरंगी जगह है, जिसमे सड़क के दोनों तरफ छोटी छोटी दुकानों में खूब रंग बिरंगा सामान लगा हुआ है !! चमकदार कपड़ो में खूब रंग बिरंगी कढ़ाई करी हुयी छोटी छोटी छाता, रंग बिरंगे वॉल हैंगिंग, चादरें और ढेर सारा सजावट का सामान !! कुल मिलाकर बड़ी ही रंगीन जगह लगी मुझे तो ये !! अरे हाँ एक बात और ,  आप लोगों ने  द्वारा अभिनीत फ़िल्म पीपली लाइव तो  देखी होगी !! ये तो मुझे नहीं मालूम कि उस पिक्चर से इस जगह का कोई सम्बन्ध है या नहीं  लेकिन मेरा अनुमान ये कहता है कि सम्बन्ध जरूर रहा होगा क्यूंकि एक तो नाम एक  सा है और उस पर यहाँ जगह जगह पीपली लाइव कर के बोर्ड भी लगे हुये हैं !! इन्ही रंग रंगीली दुकानो में से एक में हम भी चल दिये और बहुत देखने के बाद एक चादर मैंने भी ले डाली !! इस रंगीली दुनिया को अलविदा करने का मन तो नहीं कर रहा है पर आगे सफर बहुत लम्बा है तो जाना ही होगा !! तब तक देखिये यहाँ की तस्वीरें 
कमाल की कलाकारी  है !!
गिन कर बताना कितने रंग हैं !!
चमकदार रंगो का बढ़िया प्रयोग हुआ है !!
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2 comments:

  1. पिपली लाइव फ़िल्म का संबंध भोपाल से है और बढ़िया घुमक्कड़ी अभी तो पूरा दिन बाकी है....

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