Monday 12 February 2018

Kotilingeshwar Temple,Kolar

                        कोटिलिंगेश्वर जहाँ महाकाल विराजते हैं अपने महा विशाल रूप में   
              कोटिलिंगेश्वर, एक ऐसी जगह जहां भोले भंडारी एक सौ आठ फ़ीट के विशाल अवतार में विराजमान हैं। वैसे तो भारत मे महादेव के अनेक मंदिर हैं और हर मंदिर में वो एक अलग रूप में धूनी रमाते हैं पर कर्नाटक के कोलार जिले में एक ऐसा मंदिर है जहाँ कदम रखते ही अपार शिव शक्ति का आभास दूर से ही हो जाता है।
            बंगलोर से सत्तर किलोमीटर दूर कोलार, वो ही कोलार जिसे सब सोने की खानों के लिए जानते हैं अपने आप मे एक बहुत बड़ा आश्चर्य समेटे हुये है। यहाँ पर एक ऐसा मंदिर है जिसमे दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग जिसकी ऊंचाई एक सौ आठ फ़ीट है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर छोटे बड़े सब शिवलिंगों की अगर गिनती कर ले तो वो करीबन एक करोड़ निकलेंगे। एक करोड़ शिवलिंग होने के कारण ही इसे कोटिलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है।
         ऐसा माना जाता है कि देवराज इंद्र ने गौतम ऋषी के शाप से मुक्ति पाने के लिए यहां पर शिवलिंग की स्थापना करने के बाद दस लाख नदियों के जल से पूजा अर्चना की थी और तब से यहाँ से लोग मनोकामना पूर्ति के उद्देश्य से अपनी सामर्थ्यानुसार छोटे बड़े शिवलिंग की स्थापना करते हैं ठीक उसी प्रकार जैसे कई सारे मंदिरों में घंटियां चढ़ाई जाती हैं।
मंदिर जाते समय कोलार रोड में दूर से ही छोटे बड़े शिवलिंग सडक की दोनों तरफ दिखते हैं जिससे दूर से आभास हो जाता है कि अब मंदिर आने ही वाला है।
         मंदिर के मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही एक छोटा सा बाजार नजर आता है जहां से पूजा अर्चना की सामग्री ले सकते हैं। मंदिर परिसर में जहां तक नजर दौड़ाओ चारो तरफ शिवलिंग ही शिवलिंग दिखाई पड़ते हैं। इन्ही शिवलिंगों के दर्शन करते हुए आगे बढ़ो तो अनायास ही एक विशाल शिवलिंग पर नजर जाती है। अरे ये क्या!! यही तो वो एक सौ आठ फ़ीट ऊंचा शिवलिंग है जो दुनिया मे सबसे बड़ा है। जब शिव जी इतने विशाल रूप में विरराजमान हैं तो नंदी जी कैसे पीछे रह सकते हैं। ठीक शिवलिंग के सामने पैतीस फ़ीट ऊंचे नंदी इस प्रकार जमे हुए हैं जैसे बरसों से ध्यान में मग्न हों।
         पंद्रह एकड़ के विशाल परिसर में बने इस मंदिर का निर्माण स्वामी सम्भू शिवमूर्ति ने स्वयं भोलेनाथ की आज्ञानुसार उन्नीस सौ अस्सी में करवाया और करोड़ शिवलिंग की स्थापना का संकल्प लिया। इसी कारण इस मंदिर को कोटिलिंगेश्वर का नाम दिया गया। तब से यहां श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग की स्थापना का क्रम लगातार चला आ रहा है। अब तक यहाँ पिचानब्बे लाख शिवलिंग की स्थापना हो चुकी है और इस संख्या में निरंतर वृद्धि जारी है।  शायद इस लेख को लिखने तक उनकी संख्या एक करोड़ भी हो गयी हो। यहां शिव जी के मंदिर के अतिरिक्त छोटे बाद ग्यारह मंदिर और हैं जिनमे ब्रह्मा, विष्णु, गणेश, अन्नपूर्णा, राम लक्ष्मण सीता, वेंकट रमना स्वामी, पांडुरंगा स्वामी प्रमुख हैं। इन सबके अतिरिक्त यहां पर निर्धन कन्याओं का विवाह भी मंदिर समिति द्वारा मात्र दो सौ रुपये ले कर कराया जाता है। श्रद्धालुओं के रहने के लिये एक अतिथि गृह भी बनाया गया है। शिवरात्रि के समय यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और उस दिन यहां की छटा देखते ही बनती है। मंदिर परिसर सुबह छह बजे से रात के नौ बजे तक खुला रहता है। मंदिर परिसर में सुबह शाम दो टाइम छह बजे प्रतिदिन आरती की जाती है। यहाँ आने वाले लोग मनोकामना पूर्ती हेतु यहाँ उपस्थित वृक्षों पर पीले धागे बांधते हैं। यहाँ शिवलिंग की स्थापना का संकल्प लेने से विशेष तौर पर विवाह संबंधी कार्यों में आ रहे व्यवधान दूर हो जाते हैं। 
कब जाएँ- वैसे तो यहाँ का मौसम सालभर सुहावना रहता है तो कभी भी जाया जा सकता है पर जाड़ों में बिलकुल भी ठण्ड नहीं होने के कारण आना उपर्युक्त रहता है। 
कैसे जाएँ-कोलार में स्थित कोटिलिंगेश्वर बैंगलोर से सत्तर किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ के मुख्य स्टेशन बंगारपेट बैंगलोर से बस, टेक्सी एवं ट्रैन तीनो से भली प्रकार जुड़ा हुआ है।  बंगारपेट से मंदिर लोकल बस या फिर टेक्सी द्वारा जाया जा सकता है। 
क्या देखें- यहाँ आस पास में मंदिर के अतिरिक्त कोलर के खाने,चिक्का तिरुपति,बंगारू तिरुपति और अंतर्गंगा के दर्शन किये जा सकते हैं।











4 comments:

  1. बढिया जानकारी व सुंदर फोटो ,हर हर महादेव

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  2. हिमालय से दूर रहकर भी आप हिमालय के देव को जगह जगह मिल आती हो...हर हर महादेव

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  4. Kotilingeshwar Temple,Kolar is a religious place. Har har mahadev. Thanks for sharing. Keep sharing more posts like this. If you are moving to some another place and want to transfer your things then once think about MoversandpackersinHyderabad

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