Friday 19 February 2016

CITCO Chandigarh,चंडीगढ़ द्वारा संचालित बस से सिटी टूर

यात्रा दिनांक-६ मई २०१५  
            पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार आज का दिन चंडीगढ़ भ्रमण के लिए निर्धारित था ।यहाँ घूमने के लिए हमारे पास प्रातः नौ बजे से शाम के चार बजे तक का समय था ।गूगल में काफी रिसर्च करने के बाद हमने यहाँ घूमने के लिए चंडीगढ़ सरकार द्वारा चलने वाले आधे दिन के हॉप ओन हॉप ऑफ ट्रिप को लेने का विचार था। इसका प्रति व्यक्ति किराया पचास रुपया था और ये लगभग शहर के सभी दर्शनीय स्थलों की सैर करा रही थी।बैंगलोर से निकलने से सोचा था कि एक बार फ़ोन में बात करके पूछ लेंगे और टिकट आरक्षित होता हो तो करा लेगें ,परन्तु वहां से जवाब आया "अजी दस मिनट पहले आ जाना उसी समय टिकट मिल जायेगा।" इसलिए  हम सेक्टर सत्रह पर स्थित आइसबीटी  में सामान समेत पहुँच गए और यहाँ पर स्थित क्लॉक रूम में अपना सामान रखा दिया। इसके बाद थोड़ी पूछताछ करने पर ज्ञात हुआ ये टूर तो यहाँ से कंडक्ट ही नहीं होता ,होटल शिवालिक से होता है।अब मरता क्या ना करता वाली हालत थी तो जाना तो था ही वहां।इधर पहुचे तो देखा ड्राईवर साहब गैरहाजिर हैं और हम गाड़ी के पास में ही पेड़ की छावं देखकर प्रतीक्षा में बैठ गए।लेकिन बहुत देर तक किसी यात्री को नही आता देखकर मन में कुछ अचरज भी होने लगा था। कुछ देर बाद एक सरदार जी आये तो वो बोलने लगे अब क्या दो लोगों के लिए गाड़ी चलाऊं, गाड़ी की सफाई भी नहीं हुई है।फिर हमलोग बोले अब इतनी दूर से आये हैं कैसे घूमेंगे बोलने लगा टेक्सी से चले जाओ ।फिर हमने बोला कि जब टूर कंडक्ट ही नहीं करना था तो इंटरनेट में जानकारी क्यों दे रखी है,इस प्रकार येन केन प्रकारेण वो चलने को तैयार हो गए।हमारे आज के सफर की मंजिलों में  रोज गार्डन,और कुछ म्यूजियम और रॉक गार्डन शामिल थे ।इस यात्रा का अनुभव कुछ अलग ही था,इतनी बड़ी डबल डेकर बस और यात्री सिर्फ हम दो
               अपनी मुश्किलें गिनाते गिनाते सरदार जी ने यहाँ से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित रोज गार्डन या कहिये तीस एकड़ भूमि में फैले हुए जाकिर हुसैन रोज गार्डन पहुंचा दिया।यहाँ पर अलग अलग सौलह सौ प्रजातियों के गुलाब पाये जाते हैं।हालाँकि पहाड़ों में पीला बढे होने के कारण मुझे भ्रम था कि मई के महीने में गुलाब तो खिला रहता होगा ,पर यहाँ एक भी गुलाब नहीं दिखाई दिया।प्रवेश द्वार में पहुँचते ही एक बोगनबेलिया से लदा हुआ पेड़ दिखाई दिया,जिसने  कर लिया। यहाँ के उम्दा किस्म के रख रखाव और साफ़ सफाई के बारे में तो मेरे पास कहने को शब्द ही नहीं हैं। यहाँ पर करीने से लगे पेड़ों की छावं ने  राहगीरों को अपने आँचल में आशियाना दे रखा था। खैर हम यहाँ ज्यादा देर नहीं रुके क्यूंकि गुलाबों की अदभुत छटा जिसे देखने की कल्पना कर के हम आये थे वो यहाँ कि गरम आबोहवा के कारण पहले ही मुरझा चुकी थी,और गर्मी अलग थपेड़े लगा रही थी। इसके अतिरिक्त हमें इस बात का भय भी था कि कहीं गाड़ी हमें बीच सफर में छोड कर चले न जाये। यहाँ से फटाफट बाहर निकले तो अपनी डबल देकर को खड़ा देख कर जान  में जान आई। इसके बाद अगली मंजिल थी सेक्टर  स्थित गवर्नमेंट म्यूज़ियम और  गैलरी।
                       इस वर्गाकार ईमारत की रूपरेखा भी कार्बूजियर द्वारा ही तैयार की गयी थी।१६५*१६५ किलोमीटर के आकर के इस भवन के निम्न भाग है-
१-गवर्मेन्ट म्यूज़ियम एवं आर्ट गैलेरी-यहाँ पर गांधार कला एवं पौराणिक भारत की विभिन्न प्रकार के मूर्ति शिल्प,हस्त कला एवं कलाकृतियों के नमूने रखे हुए हैं।यहाँ पर इस संग्रह की संख्या करीब दस हजार से भी अधिक है। 
२-नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम-डायनासोर की कुछ नयी प्रजातियां भारत में भी पायी गयी थी। यहाँ पर डायनासोर की विभिन्न प्रजातियों,उनके प्रजनन के बारे में,अंडे और फ़ॉसिल्स के बारे में मॉडेलनुमा जानकारी प्रदान की गयी है। यहां पर मुख्य रूप से ये दर्शाया गया है कि भारत में कितने प्रकार के डायनासोर पाये जाते थे और किस प्रकार का भोजन ग्रहण करते थे। इस तरह का एक भव्य म्यूज़ियम में वाशिंगटन में देख चुकी थी,इस वजह से उतना आंनद नहीं आया लेकिन ये किसी भी द्रष्टिकोण से कम भी नहीं था।
३-नेशनल गैलरी ऑफ़ पोर्ट्रेट- यहाँ पर भारत की कई महान विभूतियों के चित्रों का संकलन है। 
                    ये म्यूज़ियम काम्प्लेक्स सुबह दस बजे से शाम के साढ़े चार बजे तक सोमवार के अतिरिक्त अन्य दिनों पर खुला रहता है और प्रति व्यक्ति दस रूपये का टिकट पड़ता है।इसके आलावा बारह वर्ष तक के बच्चों और वृद्ध नागरिकों के लिए कोई शुल्क नहीं पड़ता। यहाँ के दर्शन के बाद हमें रॉक गार्डन के लिए निकलना था। म्यूज़ियम काम्प्लेक्स एवं रोज गार्डन के दृश्य -
डबल डेकर बस 
रोज गार्डन 


स्वच्छता 


बोगनबेलिया 
रास्ते में एक प्रतीकात्मक एफिल टावर के दर्शन भी हो गए। 

म्यूज़ियम काम्प्लेक्स 
डायनासोर  
डायनासोर  के अंडे 
मानव जाति के विकास का क्रम               
मॉडल्स 
नेशनल गैलरी ऑफ़ आर्ट 
नेशनल गैलरी ऑफ़ आर्ट 
नेशनल गैलरी ऑफ़ आर्ट 





10 comments:

  1. काफी अच्छा लगा पढ़ के ।मे भी यहा कई बार आया हु ।फोटो लाजवाब काफी सुन्दर लगे।

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  2. मई के महीने में चंडीगढ़ ही क्या पूरा उत्तर भारत ही गर्मी के मारे त्राहिमाम करता हुआ दिखाई देता है ! लेकिन चंडीगढ़ में फिर भी थोड़ा सुकून मिल जाता होगा शिमला के पास होनी की वजह से ! तो क्या पूरे रास्ते आप दो लोग ही सवारी बनके घूमते रहे हर्षिता जी ? फोटो अच्छे लग रहे हैं

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    1. हाँ जी पूरे रस्ते डबल डेकर बस हम दोनों को ले के घूमती रही।

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  3. थैंक्स,आपकी पोस्ट मैंने पढी हुयी है।

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  4. कुछ आजीब सा नहीं लगा हर्षिता जब सिर्फ आप दोनों अकेले बस में बैठे थे। हा हा हा मैंने चण्डीगढ़ नहीं देखा।फोटु लाजवाब हैआगे क्या हुआ जानने को बेताब -- हुमलोग !!!

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  5. अजीब सा तो था ही इतनी बडी बस और यात्री सिर्फ दो,पर इस बस की इतनी बदहाली देख कर बहुत दुःख हुआ।गाडी भी है ड्राईवर भी है सस्ती भी है, पर यात्री नही हैं जाने वाले

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  6. कार्बूजियर के सपने और नेकचन्द जी की कल्पनाशीलता का अद्भुत संगम है चंडीगढ़ और उसके दर्शनीय स्थल ! मुझे तो बिलकुल भी अंदाज़ा नही था कि रॉक गार्डन के पीछे इतनी शानदार और जीवटता वाली कहानी है ! चित्र बहुत ही सुन्दर हैं लेकिन इतना जल्दी में निपटाया आपने चंडीगढ़ ! यात्रा वर्णन सच में बांधे रखता है ! और ये एक विशिष्टता है इस पोस्ट की ! चंडीगढ़ दो तीन बार जाना हुआ है लेकिन कभी इसके पीछे की कहानी नही समझी ! हौसले और कल्पनाशीलता को नमन !!

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    1. चंडीगढ़ तो करबुजियर और नेक चंद्र की कल्पनाशीलता का अद्भुत संगम है।

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