Tuesday 6 October 2015

Trek to Elephanta Beach,Havelock

                    हैवलॉक में हमारी आखिरी मंजिल एलीफेंटा बीच था,जो कि काफी रिमोट जगह पर स्थित था। यहाँ पहुँचने के दो रास्ते थे पहला स्पीड बोट द्वारा जिसमे करीबन दस मिनट लगते हैं और दूसरा रास्ता था जिसमें लगभग आधे घंटे तक जंगल में ट्रैकिंग करनी थी।अब तक हम पानी स्पीड बोट सबकुछ काफी बार कर चुके थे और टाइम भी हमारे पास पर्याप्त ही था क्योंकि प्लान के मुताबिक आज के दिन में हमें सिर्फ यही देखना था, हालांकि कयाकिंग का मन था पर तनाज जी से संपर्क नहीं हो पाने के कारण इस प्लान का गुड गोबर हो गया। आज के दिन का प्रारम्भ होटल के ब्रेकफास्ट में मिले आलू के पराठों के साथ हुआ,ऐसे पराठे खिलाये की खाना वाला खता ही रह जाये और साथ के साथ बिल भी बढाता जाये।आज शाम हमें हैवलॉक को अलविदा भी कहना था मतलब कहीं बाहर निकलने से पहले चेक आउट की औपचारिकता भी पूरी  करके जाना था क्यूंकि वापस आने तक तो चेक आउट का समय निकल ही जाता। जल्दी जल्दी सामान समेट कर दोनों कमरे खाली किये और चाबी के साथ साथ अपना सामान भी होटल के मालिक को पकड़ा दिया ये बोल कर कि वापस आते समय ले जायेंगे। अब हम शांत दिमाग से बाहर बैठकर निरंजन जी का इन्तजार कर रहे थे जो हमें उस जगह तक छोड़ने वाले थे जहाँ से एलिफेंटा बीच का ट्रैक शुरू होता है।इस जगह पर एक झोपड़ी बानी हुयी है जिसपर लिखा है ट्रैक टू  एलिफेंटा बीच और एक गेट भी बना हुआ है जिसमे धुंधले से शब्दों में लिखा है वेलकम टू  एलिफेंटा बीच-

मुख्य द्वार एलिफेंटा बीच जाने के रास्ते का 
                     यहाँ पर कई सारे एजेंट टाइप के लोग बैठे रहते हैं जो कि बोलते हैं हम गाइड का काम करेंगे रास्ते पर चलने के लिए और बीच पर जा के स्नोर्कलिंग भी करा देंगे तीन सौ या चार सौ रूपये में अब हमें तो  करना नही था ,तो किसी तरह मना किया फिर भी एक लड़का हम लोगों के साथ हो लिया ये बोल कर कि मत करना स्नोर्कलिंग में वहां तक छोड़ देता हूँ,अगर वहां पहुँच के मन हो जाये  तो करवा देंगे। लाख मना करने के बाद भी वो हमारे साथ रास्ता लगा गया। अब वो आगे आगे हम पीछे पीछे ,हालाँकि हम उससे बात नहीं कर रहे थे फिर भी उसके आगे चलने से एक दो जगह फायदा ही हुआ होगा। आधे घंटे के इस ट्रैक में उतार सब देखने को मिले।इसके साथ- साथ सब जगह हरियाली का साम्राज्य  देखने मिला। अगर किसी को पहले  हो तो ये अनुमान लगाना मुश्किल है कि  रास्ता कहाँ  छोड़ने वाला है। रास्ते के कुछ फोटो-
 

ये पगडण्डी तो किसी हिल स्टेशन के गावं जैसी लग रही थी। 
दिशा निर्देश 
रास्ते पुल भी पड़ा था। 
                         इतनी हरियाली को पार करने के बाद अगर सामने से रेतीला मैदान दिखे तो देखना वाला तो अचम्भे में पड़ ही जायेगा कि अचानक से ये क्या हो गया। हमारे साथ  भी यही हुआ एक दम से लगा कि कहीं किसी रेगिस्तान में तो नहीं  पहुँच गए। थोड़ा और आगे बढे तो गन्दी सी दलदली रेत के साथ समुद्र भी दिखने लगा-
ये था वो दृश्य 
                      चाहे जमीन कैसी भी हो पेड़ों की जडे साँस लेने का रास्ता ढूंढ ही लेती हैं,इस चित्र में देखिये जड़ें किस तरह से जमीन से ऊपर आ  गयी हैं,क्यूंकि वो नमकीन पानी के दलदल में साँस नहीं ले पा रही थी।      
साँस लेने के लिए बाहर आई हुयी पेड़ों की जड़ें। 
                 थोड़ा और आगे बढ़ तो मंजर ये था रेतीली जमीन , एक दो गिने चुने हरे पेड़ और थोड़ा सा दिखता नीला समुद्र 
  
समुद्र से लिया गया एक दृश्य 
               रेतीली जमीन थोड़ा और नापने पर सी वाकिंग के लिए खड़ा एक जहाज दिखाई दिया,यहाँ से वो दृश्य दिखने प्रारम्भ हुए जिनके लिए अंडमान को जाना जाता है। एलिफेंटा बीच का नाम तैरने वाले हाथी के नाम पर पड़ा था,हालांकि हमें यहाँ किसी हाथी के दर्शन नहीं हुए। हैवलॉक का ये बीच मुख्य रूप से वाटर स्पोर्ट्स के लिए प्रसिद्ध है ,हम लोग गोवा में वाटर स्कूटर से ले के पैरासेलिंग तक लगभग सभी वाटर स्पोर्ट्स कर चुके थे,तो इस तरफ हमारा कोई रूझान नहीं था। लेकिन बैठकर देखने में बहुत मजा आ रहा था। पूरा तरीका आँखों के सामने था कैसे लोग अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थे,फिर नंबर आने पर उन्हें सुरक्षा कवच से सुज्जित कर के पूरी ट्रेनिंग के साथ उनकी मन पसंद राइड में भेजा जा रहा था,जैसे जंग के मैदान में जा रहे हों। बैठने तक तो सब ठीक था उसके बाद आगे बढ़ने पर पल-पल चेहरे पर आने वाले रंग बदल रहे थे। कभी डर, कभी ख़ुशी ,कभी रोमांच का अनुभव और कभी लहरों से तरबरान हो जाना। कुछ लड़कों का ग्रुप बनाना बोट कर रहा था,इसमें पांच छह लड़के एक बोट में बिठाकर आगे ले जाते हैं और फिर नाविक उन्हें पानी में पलटा रहा था,क्या गजब का शोर मचा रहे थे वो लोग। पता नहीं ख़ुशी,थी,एक्साइटमेंट था या फिर डर,जो भी हो पर बैठकर ऐसे रोमांचकारी चीजों को देखने में भी उतना ही मजा आता है,जितना करने में आता है,कई बार बैठके देखना और ज्यादा आनन्द दायक भी साबित हो जाता है। इस बीच का सबसे बड़ा सौन्दय का कारण यहाँ पर गिरे हुए कई सरे पेड़ों के तने हैं जो नीले समुद्र,सफ़ेद रेत के आकर्षण में चार चाँद लगा रहे थे। 

वाटर स्पोर्ट्स 
अचानक से इस जगह को देखकर कभी ख़ुशी कभी गम के सूरज हुआ मद्दम वाले गाने की याद आ गयी थी। 

ये रेत में दिखती हुयी लकीरें कुछ और नहीं समुद्री पानी है,है न कितना साफ़ की समझना मुश्किल हो रहा था रेत में पानी है भी या नहीं 

                 काफी देर यहाँ बैठकर नज़ारे देखने के बाद मन नहीं होते हुए भी हमने वापस चलने की सोची क्यूंकि अब तक धुप बहुत बढ़ गयी थी इसलिए आधे  घंटे का ट्रैक अब कहाँ आधे घंटे में पूरा होना था साढ़े चार बजे हमारी फेरी पोर्ट ब्लेयर के लिए भी निकल पड़नी थी और होटल से सामन भी वापस लेना था। दो तीन पानी की बोतल और एक फ्रूटी ले कर हम डेढ़ बजे के करीब वापस चल पड़े। रास्ते में दो एक जगह थोड़ा रूक कर सुस्ता लिए,और जब पहुंचे तो ग्राम पंचायत द्वारा बनाये गए यात्री विश्राम स्थल में जो अड्डा जमाया कि दस पंद्रह मिनट तक हिलने का नाम नहीं लिया। इतने पे निरंजन भी वापस हमें लेने आ गये -

निरंजन गाइड हेवलॉक कांटेक्ट नंबर-

                              यहाँ से निकल कर होटल पहुंचे और वहां एक बार फिर पानी,कोल्ड ड्रिंक के राउंड के बाद पराठे भी बनवा लिए,अब पेट पूजा तो करनी ही थी। इतना करते करते तीन बज गया और हम हैवलॉक के बीच नंबर एक मतलब मुख्य जेटी यहाँ आवागमन का काम होता हैं,में पहुँच गए। यहाँ पर हमें निरंजन जी को भी  हिसाब करके विदा कर दिया। हैवलॉक में इतना घूमाने के लिए हमने उन्हें पहले से तय किये हुए बारह सौ रूपये दिए और मन में हैवलॉक की अनूठी यादों को बसाते हुए हुए गवर्मेन्ट  फेरी में बोर्डिंग का इन्तजार करने लगे। 
अंडमान का सफर एक नजर में -




4 comments:

  1. शानदार फोटोओ के साथ सुन्दर वर्णन

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  2. अचानक से इस जगह को देखकर कभी ख़ुशी कभी गम के सूरज हुआ मद्दम वाले गाने की याद आ गयी थी। ​याद तो आनी ही थी ! थोड़े से क्षेत्रफल में ही इतना कुछ देखने को मिल गया ! दलदल , रेगिस्तान और समुद्र तो आप देखकर ही आये हैं ! ये आपने अच्छा किया कि ट्रैक किया कुछ एक्सरसाइज भी हुई और प्रकृति के रंगों को करीब से जानने का मौका भी मिल गया !!

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