Tuesday 8 September 2015

Jolly Bouy Island, Andman

                      गूगल में जहाँ कहीं भी खोजबीन करी  पोर्ट ब्लेयर के प्रमुख आकर्षण के बारे में,तो यही देखने को मिला कि वहां जॉली बॉय आइलैंड ने धूम मचा रखी थी,मतलब पहले स्थान में था। ठीक है मान लिया पहले स्थान में है और चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ भी है,पर आखिर ये है क्या ? इस सवाल का जवाब ये है कि ये आइलैंड पोर्ट ब्लेयर से उन्तीस किलोमीटर दूर वानडूर नामक  जगह में दो सौ एकासी दशमलव पांच वर्ग किलोमीटर में फैले हुए महात्मा गांधी मरीन नेशनल पार्क जो कि खुले समुद्र एवं पंद्रह छोटे बड़े द्वीपों से मिलकर बना है ,का एक छोटा सा द्वीप है।ये पार्क को विश्व के श्रेष्ट मरीन पार्कों में से एक माना जाता है। ये जगह ग्लास बोट एवं स्नोर्कलिंग के द्वारा समुद्री धरोहर को देखने के उत्कष्ट मानी जाती है। इन पंद्रह में से सिर्फ दो आइलैंड जॉली बॉय एवं रेड स्किन ही छः-छः महीने के अंतराल में पर्यटकों के लिए खोले जाते हैं। हालाँकि मैंने ये सुना है कि रेड स्किन के मुकाबले जोली बॉय ज्यादा प्राकृतिक धरोहर को अपने में समेटे हुवे हैं और किस्मत से जिस समय पर हमलोग गए थे ये जगह पर्यटकों के लिए खुली हुई थी। यहाँ जाने के लिए वन विभाग से परमिट लेने की आवश्यकता होती है जो कि संडे को छोड़कर बाकि सभी दिन सुबह साढ़े आठ बजे से मिलता है और परमिट सिर्फ जाने के दिन ही मिल सकता है जिसके लिए आपके पास वैलिड पहचान पत्र होना अति आवश्यक है,वरना नहीं मिलेगा। इसकी कीमत पचास रुपया प्रति व्यक्ति है।प्रातः नौ बजे वानडूर जेटी से बोट जाती है और तीन बजे वापस आती हैं, सभी बोट एक साथ प्रस्थान करती है ,इसलिए यहाँ साढ़े आठ बजे पहुंचना अनिवार्य है,एक मुख्य बात और कि यहाँ  किसी भी प्रकार का प्लास्टिक ले जाना निषेध है,अगर कुछ ले जाना आवश्यक ही हो जाये तो प्रति सामान सौ रूपये की सुरक्षा राशि जमा करनी होती है और पीने के पानी के लिए कुछ पैसा ले कर वन विभाग के लोग मिल्टन की बोतल देते हैं जिनमे अपने द्वारा लिया हुआ पानी भरना होता है और वापस आ कर बोतल लौटाने पर पैसे वापस हो जाते हैं,हालाँकि इस सुविधा के कुछ मामूली पैसे कटते है,परन्तु किसी अच्छी जगह को अच्छा बनाये रखने के लिए ये आवशक भी है,वर्ना ये प्राकृतिक धरोहर भी प्रदूषण का शिकार हो जाएगी,और पानी में प्लास्टिक जाने से जलीय जीव जंतुओं के लिए भी हानिकारक साबित होगा।अब ये सब सावधानियां देखकर मन में ये सवाल तो उठता ही है,कि जिस जगह की इतनी सुरक्षा की जा रही है आखिर वो देखने में कैसी होगी। साफ़ स्वच्छ नीला पानी और सफ़ेद रेत एवं उसके साथ साथ हरियाली,कुल मिलाकर बहुत ही आकर्षक जगह है-
             
क्रिस्टल क्लियर नीला रंग लिया हुआ समुद्री पानी 
                  जॉली बॉय जाने के लिए हम होटल से तगड़ा ब्रेकफास्ट कर के प्रातः आठ बीस में वानडूर में स्थित जेटी पर पहुँच गए थे,परमिट और टिकट के लिए एक लम्बी लाइन लगी हुई थी पर हमारा काम टेक्सी ड्राइवर ने आसान कर दिया था। प्रति व्यक्ति आठ सौ रूपये के टिकट में एक ग्लास बोट ट्रिप फ्री मिलनी थी,और इसके अतिरिक्त जो कुछ देखना हो उसके लिए वहीँ जा कर के पेमेंट करना था। इतना करते कराते बोर्डिंग का समय भी आ गया और हमें एक बोट में बैठा दिया गया। बैठने के बाद बोट में घोषणा हुई कि सब लोग अपनी अपनी सुरक्षा  बेल्ट बांध ले,और उसमे बोट वालों का नाम एम. एल. रशमीत भी लिखा हुआ था और जिसे हमें याद रखना था क्यूंकि हम वापस भी सिर्फ उसी बोट में आ सकते थे और आइलैंड में जो भी कोई एक्टिविटी करनी थी वो भी इन्ही लोगों से करवानी थी और बाकि कोई भी बोट वाला दूसरी बोट के यात्रियों को अटेण्ड नहीं कर सकता था। करीब एक घंटे तक नीले हरे रंग का आनन्द लेते हुए हम जॉली बॉय आइलैंड पहुँच गए,और सामने से  हमें सफ़ेद सी रेत, हरे भरे पेड़ और सुन्दर साफ़ सुथरा नीला सफ़ेद आकर्षक समुद्र दिखा पर अभी भी हम वहां जा नहीं सकते थे,क्यूंकि इस बोट के बाद हमें लेने एक नयी बोट आ रही थी जो कि ग्लास बॉटम थी,मतलब उसके निचले सिरे पर ग्लास लगा हुआ था और उसके निचे एक मैग्नीफाइड लेन्स लगा होता है जिससे बोट में बैठ कर लोग आराम से मछलियों, सीपियों और जलीय सम्पदा के दर्शन कर सकें। कुछ इस तरह के दृश्य देखने को मिले वानडूर  से जॉली बॉय तक के सफर में-
शायद पानी का रंग आसमान से ज्यादा नीला था।  
रास्ते में एक बोट दिखा तो उसका फोटो ले लिया,ऐसी ही बोट में हम  आये थे। 
जॉली बॉय आइलैंड की रेतीली जमीन दिखने लगी।


आइलैंड की तरफ ले जाती हुई ग्लास बॉटम बोट

जॉली बॉय आइलैंड की सुंदरता
पहुँच गए आइलैंड में,एक दृश्य जॉली बॉय से समुद्र का
                    कुछ देर मन भर कर के सुन्दर दृश्यों को देखने के बाद हमारा साथ के दो लोग एक बार फिर से ग्लास बॉटम बोट के मजे लेने चल दिए,क्यूंकि वो लोग स्नोर्कलिंग करने के मूड में नहीं थे। इसलिए उन लोगों को बोट में बैठकर हम एक बार फिर से समुद्री लहरों के मजे लेने के लिए बैठ गए। यहाँ कई सरे आइलैंड होने के कारण समुद्र में तेज लहरें नहीं उठतीहैं , इसलिए ये जगह तैरने के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित मानी जाती है। यहाँ  पर कपडे वगेरह चेंज करने की पूर्ण सुविधा उपलब्ध है तो किसी प्रकार की कोई दिक्क्त नहीं होती है। एक बार पानी में उतरने को तैयार हो जाओ और फिर समुद्री लहरों के साथ खेलते रहो। लगभग एक घंटे में ग्लास बोट वापस आ गयी और हमारा स्नोर्कलिंग के लिए जाने का नंबर आ गया। स्नोर्कलिंग के अनुभव के बारे में स्कूबा डाइविंग के साथ ही चर्चा करेंगे। एक घंटा लगभग स्नोर्कलिंग में भी लगा ,फिर वापस आने के बाद फिर से हम यहाँ के अदभुत दृश्यों को अपनी आँखों के कैमरे से दखने लगे,क्यूंकि सामने जो दृश्य थे नजरें उनसे हट ही नहीं पा रही थी। करते कराते फिर से घोषणा होने लगी कि तीन बज गया है और बोट वापस लेने आ गयी है।मरता क्या ना करता वाली ही बात थी, भरी मन से अपने कपडे समेटते हुए हमने वापसी की तयारी की और पानी बोट में जा बैठे। अब तक यहाँ की सुंदरता देखने में इतने तल्लीन थे की भूख प्यास कुछ नहीं लगी,पर वापस जाते समय पेट में चूहे कूदने लगे। पर पेट-पूजा के लिए कछ भी  वानडूर पहुँच के ही मिलना संभव था तो बैठे रहे चुपचाप। वापस पहुँचने के बाद यहाँ की पानी की बोतल वापस कर के अपने पैसे लिए और ड्राइवर से तुरंत किसी खाने वाली जगह चलने को कहा,तो वो बोला कि  अब तो कुछ भी  वानडूर बीच पर ही मिलेगा तो वहीँ चल पड़े सोचा खाने के साथ-साथ दर्शन भी हो जायेंगे,हालाँकि ये सब हमें बहुत जल्दी में करना था क्यूंकि हम आज का सूर्यास्त चिड़ियाटापू से देखने वाली थे।  वानडूर बीच पहुँच कर एक खोखेनुमा दकान पर चाय समोसे का आर्डर देकर हम थोड़ा बीच के नजदीक चले गए,ये जगह भी देखने अब तक देखी हुई जगहों से थोड़ा अलग थी -
वानडूर बीच
 वानडूर बीच का एक और दृश्य
                              इसके बाद चाय-पानी कर के हम चिड़ियाटापू की तरफ चल पड़े,यहाँ के बारे अगले भाग में बात करते हैं। तब तक के लिए आज्ञा दीजिये। 
अंडमान का सफर एक नजर में -



2 comments:

  1. ​शानदार यात्रा प्रस्तुति हर्षिता जी ! जॉली बॉय और वांङुर बीच की तसवीरें सच में बहुत ही खूबसूरत लग रही हैं ! लालच दे रही हैं कि तुम भी आओ !

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  2. बहुत सुन्दर फोटोग्राफी के साथ शानदार यात्रा वर्णन.......

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