Wednesday 22 July 2015

Trip to Andaman:Courtesy Spicejet 499 sale

              अप्रैल २०१४ में अमेरिका से वापस बंगलौर आने के बाद थोड़ा समय दुबारा से सब कुछ पहले की तरह व्यवस्थित करने में लग गया,जब तक सब हुआ तब तक बरसात प्रारम्भ हो गयी और हमें उत्तराँखण्ड जाये हुए भी एक जमाना सा हो गया था.तो एक ठीक ठाक सी डील देख कर के दीपावली में घर जाने के लिए टिकट बुक करवा लिए, सोचा त्यौहार परिवार के साथ ही मनायेंगे। अभी एक बुकिंग करवाये हुए ज्यादा टाइम नहीं हुआ था कि स्पाइस जेट ने फटाफट सस्ते टिकट वाली सेल निकालनी शुरू कर दी।कुछ सेल तो इसी साल के लिये थी जिनमे जाना हमारे लिए संभव नहीं था, क्यूंकि दीपावली में घर जाने का मतलब लम्बी छुट्टी का जुगाड़ होना चाहिए इसलिए हमारे पास सिर्फ दिसम्बर  में क्रिसमस के अवकाश में ही कहीं घूमने का विकल्प था,और ये समय मौसम के लिहाज से उत्तर भारत की जगह दक्षिण भारत घूमने के लिए ही उपयुक्त था, सो इसमें हम पहले ही हैदराबाद जाने का प्लान बना चुके थे। इसलिए हमने कोई टिकट बुक नहीं  करवायी। अचानक एक दिन फिर से सेल आ गई और पता लगा कि गोवा के टिकट पांच सौ में है, पर जब तक मैंने देखना शुरू किया तब तक गोवा वाली सारी टिकट निकल गयी जो मिल रही थी उनका रेट प्रति व्यक्ति हजार रुपया था, मतलब तीन लोगों के आने जाने में छह  हजार रुपया तो लगना ही था, हम मन बना ही रहे थे तभी ख्याल आया गोवा तो पास में ही है,कभी भी कार या ट्रैन से चले जायेंगे और पिछले साल ही गए हैं,अब जब जाने का मन बना ही लिया है तो कहीं और के टिकट देखते हैं।एक बार फिर सर्च इंजन लग गया पूरे जोर-शोर से अपने काम पर। हम जिन महीनो में बुकिंग कराने के इच्छुक थे वो थे फरवरी,मार्च,अप्रैल या मई, सबसे पहले सोचा सिक्किम चले जाते हैं बगडोरा की फ्लाइट सर्च करी तो पता लगा महँगी है।फिर हिमाचल जाने के लिए चंडीगढ़ का सोचा वो भी तीन हजार की थी,फिर सर्च कर के देखा तो चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जाने वाली फ्लाइट की कीमत ने आंखों मे एक चमक ला दी, हमने कभी सपने में भी ये नहीं सोचा था कि अंडमान जैसी सुन्दर जगह जाने के लिए इतना सस्ता टिकट भी मिल सकता है,क्यूंकि स्पाइस जेट प्रति व्यक्ति मात्र दो हजार रूपये में चेन्नई से अपार जलनिधि के ऊपर उड़ा कर पोर्ट ब्लेयर पहुचाने के मात्र दो हजार रूपये ले रहा था और चेन्नई से बंगलौर दूर ही कितना है केवल तीन सौ पचास किलोमीटर। हालाँकि ये हमारा आखिरी विकल्प था क्यूंकि हमलोगों ने ये सोचा था कि छोटे बच्चे का साथ होने के कारण यहाँ किसी और परिवार के साथ ही जायेंगे,जिससे पानी में होने वाली गतिविधियों का आन्नद आराम से ले सकें। जिनके साथ जाने का सोचा था तो वो लोग अभी अपने कामों में व्यस्त थे। इतना सस्ता टिकट और अंडमान की सुंदरता को देखते हुए हमने शनिवार और रविवार के साथ कुछ दिन मिला कर टिकट करा ही लिया। इस तरह से स्पाइस जेट की मेहरबानी से बारह हजार में हम तीनो का आने जाने का टिकट हो गया।कुछ इस तरह के विज्ञापन आ रहे थे उन दिनों -
स्पाइस जेट की मेहरबानी 
                       टिकट कराने के बाद हमने अपने रिश्तेदारों को बताया कि सस्ता टिकट आया था और हम अंडमान जा रहे हैं , तो उन लोगों ने भी जाने की मंशा जाहिर कर दी और ये बात हुई कि अगर दुबारा से सेल आई और वो ही फ्लाइट उन लोगों को भी मिल जाती है तो उनका टिकट भी करा दिया जायेगा। कमाल की बात ये रही कि उनसे बात करी ही थी और अगले दिन रात वो ही सेल फिर से आ गयी। इस तरह से स्पाइस जेट ने एक बार फिर मेहरबानी कर के हमको साथ दिला दिया और उन लोगों को अंडमान घूमने के मौका।अब अगस्त महीने के अंतिम दिनों  में टिकट कराया था और जाना था अट्ठाइस फ़रवरी का तो हमारे पास प्लानिंग के लिए छह महीने का समय था हालाँकि इस बीच में हमें एक ट्रिप उत्तराखंड का और हैदराबाद का लगाना था।यहां की सैर आपको कभी और करवाते हैं,उससे पहले अंडमान के दर्शन हो जाएँ।भारत के नक़्शे में चिंदी से दिखने वाले इन द्धीप समूह को देखकर लगता था कि  इतने बड़े महासागरों के मध्य ये छोटे-छोटे दिखने वाले द्धीप कैसे टिके हुए होंगे और अब उन्हें अपनी आँखों से देखने का मौका मिल रहा है ये सोच कर ही मन उत्साह से भरा जा रहा था और साथ में सपने भी सजाने लगा था कि आखिर कैसा होगा अंडमान द्धीप समूह। मन भी आखिर सपने क्यों नहीं सजाता क्यूंकि ये आश्चर्य वाली बात ही थी कि भारत की मुख्य भूमि के सबसे नजदीक सिरे चेन्नई से भी तेरह सौ सत्तर किलोमीटर दूर अंडमान का भारत का हिस्सा होते हुए भी किसी हमारे लिए किसी विदेश से काम नहीं था। कैसा होगा वहां का रहन सहन और कैसी होगी वहां की दुनिया? ये भारत  के मुकाबले म्यांमार और इंडोनेशिया से ज्यादा नजदीक है। यहाँ से अंडमान की दूरी मात्र एक सौ नब्बे और डेढ़ सौ किलोमीटर की है। अंडमान का नाम दुनिया की प्रमुख रिमोट जगहों में से एक है। अंडमान के करीब तीन सौ द्धीप समूहों में से सिर्फ नौ द्धीप समूह पर्यटकों के लिए खुले हुए हैं और मुख्य घूमने वाली जगहें पोर्ट ब्लेयर तथा हैवलॉक द्धीप में ही हैं। यहाँ कई जगह जाने के लिए फारेस्ट डिपार्टमेंट से परमिट लेना पड़ता है ,और हैवलॉक से पोर्ट ब्लेयर जाने का विकल्प या तो पानी का जहाज या फिर हेलीकॉप्टर होता है। भारत की मुख्य भूमि से पोर्ट ब्लेयर सिर्फ चेन्नई और कोलकाता से नियमित विमान सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है,अगर कोई चाहे तो पानी के जहाज से भी जा सकता है पर समय बहुत ज्यादा लगेगा। ये तो था यहाँ कि भौगोलिक स्थिति एवं जाने के साधनो का मोटा अनुमान। अब शुरू करते हैं अपनी पांच दिवसीय अंडमान यात्रा की। 
                  चेन्नई से अट्ठाइस फ़रवरी को सुबह साढ़े नौ बजे की फ्लाइट होने के कारण  बंगलौर से हमारी यात्रा सत्ताईस की रात को ही प्रारम्भ हो गयी। कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था तो पहले से टिकट करा लिए थे,इसलिए बंगलौर सिटी जंक्शन से ट्रैन में बैठे या कहिये मजे से नींद निकलते हुए कब चेन्नई पहुंचे पता ही नहीं लगा। स्टैशन में उतर कर एक एक चाय पीने के बाद ओला कैब में बैठकर सीधे एयरपोर्ट को रवाना हो गए और वहीँ चेन्नई हवाई अड्डे के वातानुकूलित वातावरण  में बैठकर आराम से घर से लाया हुआ खाना निपटाया, भला हो कि हमारे यहाँ आने  के निर्णय का वरना चेन्नई की गमी,तौबा-तौबा, सुबह सुबह ही पसीने में नहा जाते।सामान चेक इन और सुरक्षा जाँच कराते कराते फ्लाइट में बैठने यानिकी बोर्डिंग का समय भी हो गया था। एक मुख्य बात बताना तो रह ही गयी अगर अंडमान जाना हो तो सभी यात्रियों को अपना पुख्ता पहचान पत्र ले जाना अति आवश्यक है। दो घंटे की इस यात्रा में लग रहा था कि समुद्र के साथ ही उड़ना है देखें कैसा दिखेता है पर कुछ दूरी तक चेन्नई के मरीना बीच ने हमारा साथ दिया और फिर वो भी आँखों  से ओझल हो गया। अब बस या तो नीला आसमान था था साथ निभाने को को या फिर बादलों की सफ़ेद चादर। इधर उधर करते हुए डेढ़ घंटा हुआ ही था कि घोषणा हुई विमान उतरने वाला है अपनी कुर्सी की पेटी बांध ले और यहाँ हम अपने मोबाइल का कैमरा खोल के तैनात हो गए क्यूंकि ये सुना था कि सफर में हुयी बोरियत को अंतिम पंद्रह मिनट में दिखने वाले दृश्य पीछे छोड़ देते हैं। सच में कमाल के दृश्य थे,पहले तो आकर्षक नीले-हरे रंग का समुद्र दिखने लगा,फिर थोड़ी देर में नीले सागर के मध्य सुन्दर से हरे-हरे छीटें दिखने लगे,ये छींटे कुछ और नहीं अंडमान के छोटे छोटे द्धीप ही हैं  और उनके चारो ओर जो सफ़ेद रेत की चादर थी उसने तो दृश्यों में चार चाँद ही लगा दिए। उतरते हुए जो नयनाभिराम दश्य हमने देखे उनका शब्दों में वर्णन कर पाना मेरे लिए तो मुश्किल ही नहीं असंभव भी है। यहीं से अंदाजा हो गया था कि क्यों लोग मुख्य भूमि से इतना दूर होने के बाद भी अंडमान  की तरफ खींचे चले आते हैं, इसका कारण कुछ और नहीं वहां का अप्रतिम सौन्दर्य ही है।कभी कभी मेरा मन ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि कैसे भगवान किसी जगह को इतना सुन्दर बना देता है और कैसे उसने यहाँ के समुद्री जल को इतना आकर्षक नीला रंग दिया होगा और कैसे बीच बीच में हरे हरे द्धीप समूहों को छितराया होगा। कुल मिलाकर उतरते हुए जो सुन्दर नीले और हरे रंग का समायोजन दिखा वो छटा आँखों में ऐसी बसी कि उसे यादों से निकाला नहीं जा सकता, हालांकि मैंने फोटो खींचने की बहुत कोशिश की  पर जो नजारा सामने से  दिख रहा था उसका  दस प्रतिशत भी चित्र में नहीं आ पाया। फिर भी एक दो दृश्य आप लोगों के लिए प्रस्तुत है -
नीला सागर,सफ़ेद रेट और काहिया से दिखता द्धीप 

समझ नहीं आ रहा है कि कहाँ पर कौन सा रंग है। 

एक और झलक,हालाँकि चलते विमान से अच्छे चित्र नहीं आ पाये हैं। 

                   थोड़ी ही देर में विमान स्वन्त्रता सेनानी दामोदर सावरकर जी के नाम पर बने वीर सावरकर हवाई अड्डे की जमीं पर था। अगर आप किसी मेट्रो सिटी से आ रहे हैं तो हवाई अड्डे के आकार की कल्पना भी नहीं कर सकते , क्यूंकि ये इतना छोटा है कि ये समझ लीजिये बस विमान से निकले और बस  दो कदम चल कर के सीधे बाहर पहुँच गए। यानि कि बस से जाने की भी जरुरत नहीं है,हुयी ना मजेदार बात। यहाँ आने से पहले ही हमने ट्रिपएडवाईज़र की रेटिंग देखकर चौखट बेड एंड ब्रेकफास्ट  बुक कराया हुआ था, और यहाँ लोकल घूमने के लिए एक प्राइवेट टेक्सी की बात कर रखी थी।जिसके चालक राजू जी (मोबाइल संपर्क-9933264173 ) हवाई अड्डे के बाहर हमारा इन्तजार कर रहे थे,होटल नजदीक ही था तो   जल्दी से पहुंच गए।एक तस्वीर इनकी भी लगा देते हैं,क्या पता कभी किसी के काम आ जाये  -
राजू जी (मोबाइल संपर्क-9933264173 )
               राजू जी ने ना केवल एक परिवार के सदस्य की तरह हमें पोर्ट ब्लेयर घुमाया,वहीँ कई सारी जगहों के टिकट और जॉली बॉय का परमिट भी आसानी से दिलवा दिया। होटल पहुँचने के बाद वहां एक वेलकम ड्रिंक दिया गया, और यहाँ की हर्ता कर्ता(मालिक) वृंदा जी की जितनी प्रशंसा करी जाये उतनी कम है।उन्होंने बहुत ही दिमाग से आम आदमी की जरुरत  के हिसाब से एक-एक सामग्री को कमरे में उपलब्ध करा रखा  था ,चाहें वो आल आउट की मशीन हो,या एक छोटी सी कैंची या फिर बिजली से चलने वाली केटल। और तो और एक दम घर का जैसा खाना भी यहाँ उपलब्ध हो गया था।  कुल मिलाकर पुरे नंबर थे जी होटल के,अगर कभी जाना हो तो एक बार  तो जरूर सोच ले यहाँ रहने के बारे में। थोड़ा थके हुए थे इसलिए थोड़ी देर सुस्ताने के बाद ही बाहर निकलने का मन बनया।इस पोस्ट में इतना ही,अगली पोस्ट में मिलते हैं पोर्ट ब्लेयर के  दर्शनीय स्थलो की सैर  पर।
अंडमान का सफर एक नजर में -



4 comments:

  1. बहुत सुंदर शुरुआत हर्षिता जी. "जब आगाज़ इतना खूबसूरत है तो अंजाम कैसा होगा?" हम पूरी तरह से तैयार हैं आपके साथ अंडमान की सैर करने के लिए. वैसे आपने पोस्ट में बताया नहीं आपके साथ आपके और कौन रिश्तेदार गए थे. चलिए आयेज की पोस्ट्स में अपने आप पता चल ही जाएगा.

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  2. स्पाइसजेट की मेहरबानी और आपका भाग्य, दोनों जब साथ काम किया तब मिला आपको अंडमान का टिकिट | लेख की शुरुआत अच्छी सस्ती टिकिट मिलने कहानी अच्छी रही है |

    फोटो और कमेंट के फॉन्ट कुछ छोटे रह गये है .... इन्हें थोडा बड़ा कर लीजिये....

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  3. अंडमान यात्रा का दिलचस्प वर्णन ।

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  4. अंडमान जैसी जगह के सुंदर यात्रा वृतांत को पढ़ना उत्साहित करने वाला है। ऐसी विमाननं कंपनियों ने भारत के आम आदमी तक अपनी पहुँच बनाने में ऐसी योजनाओं , स्कीम्स का बहुत बड़ा योगदान है ! अभी शुरुआत है और एक बेहतरीन और आकर्षक जगह की यात्रा में वाले आनंद की कल्पना की जा सकती है !!

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