Sunday 26 April 2015

Orlando Magic Kingdom

                     जब बर्फीले तूफानों के कारण वाशिंगटन में होटल से बाहर निकलना ही मुश्किल हो गया, तो किसी अच्छे मौसम वाली जगह जाने की इच्छा जोर पकड़ने लगी। ऑफिस से छुट्टी मिलना तो असंभव ही था,इसलिए जहाँ भी जाना था सप्ताहान्त में  ही जाना था। मेरी जानकारी के अनुसार अगर फ़रवरी के महीने में अच्छे मौसम की तलाश करनी हो तो या तो वेस्ट कोस्ट जाना बनता है,या फ्लोरिडा या फिर टेक्साज। वेस्ट कोस्ट इतना दूर था कि वायुयान से जाने पर भी एक बार में ही सात घंटे तो कम से कम लगने ही थे,इसलिए वेस्ट कोस्ट की तरफ के विकल्प स्वतः ही किनारे हो गए। टेक्साज जाने का बहुत ज्यादा मन नहीं था,तो एक मात्र विकल्प फ्लोरिडा राज्य का ही रहा। अब फ्लोरिडा में ही हिट लिस्ट के तौर पर दो नाम दिमाग में थे या तो मायामी का समुद्र तट या फिर ऑरलैंडो का डिज्नीलवर्ल्ड।मन  तो दोनों में से किसी को भी छोड़ने को तैयार नहीं था, क्यूंकि चुनाव करना अपनेआप में एक कठिन काम था। एक तरफ विदेशी समुद्र रेखा को छूने का मन था तो वहीँ दूसरी तरफ डिज्नी वर्ल्ड  को भी छोड़ना भी मुश्किल हो रहा था ,एवं दोनों को एक साथ देखना संभव नहीं था। काफी सोच विचार के बाद बच्चे का साथ होने के कारण मायामी जाने का विचार छोड़ दिया और इस तरह से ऑरलैंडो के नाम पर मुहर लग गयी। अब अगला काम था टिकट बुकिंग का जिसे हमलोगों ने आसान समझ रखा था पर इस काम में बड़ा लम्बा समय लग गया क्यूंकि हमारे पास एचडीएफसी बैंक का फोरेक्स कार्ड था जो  वेबसाइट पर ऑनलाइन ट्रांजकशन नहीं कर पा रहा था,धन्य है प्रभु एचडीएफसी बैंक की सेवायें। किसी को दुसरे देश भेजने के बाद कुछ खर्च कर पाना भी मुश्किल लगने लगा। परन्तु करीबन दो-तीन मेहनत लगा  कर ये पता लगा कि एक्सपीडीया नाम की वेबसाइट पर शायद कार्ड काम कर जाए,अब देर करने का तो कोई कारण ही नहीं था आनन फानन में अट्ठाइस फरवरी,२०१४ की शाम को जाने की एवं २ मार्च की रात वापसी की टिकट बुक करा दी। इस तरह से यहाँ आ कर के एक टिकट करने में भी अपनी बहुत बड़ी विजय लगने लगी थी। अब इसके साथ ही ये देखकर  मोनिमेन्टल मूवीलैंड (Monumental Movieland Hotel) होटल भी बुक करा लिया कि सभी प्रमुख आकर्षणों के लिए यहाँ से शटल चलती थी एवं एयरपोर्ट से भी ये थोड़ा नजदीक ही था। आते जाते कुछ सुन्दर से प्राकृतिक दृश्य देखने को मिले।आप भी देखिये -  


झील के टापू,जो कि है या नहीं ये पता लगाना मुश्किल था। 

पानी से बाहर निकले पेड़ों की जडे और उन पर बैठे पक्षी। 

                              यहाँ पर इतना कुछ है देखने को ,कि अगर अच्छे से देखने लगो तो पूरा एक महीना भी कम हो जाये। तो दो दिन के लिए आने वाला किस तरह से और क्या क्या देख पाया ये जानने के लिए आगे क्लिक करिये-
                         ऑरलैंडो को थीम पार्क की सुनहरी दुनिया कहा जाता है !!डिज्नी वाल्ट ने ही यहाँ पर चार पार्क बनाये हैं जिन्हे मैजिक किंगडम, एपकोट, एनिमल किंगडम एवं डिज्नी हॉलीवुड स्टुडिओ के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा फिल्मो के शौक़ीन लोगों के लिए यूनिवर्सल स्टूडियो एवं पानी में  रूचि रखने वालों के लिए सीवर्ल्ड और वेट एंड वाइल्ड नाम के दो वाटर पार्क हैं। अब देखने को इतना कुछ और समय है दो दिन का,पूरे दो दिन भी नहीं क्यूंकि रविवार की शाम तो वापस ही जाना था डिज्नी वोल्ट द्वारा निर्मित जादुई दुनिया के शहर में आये थे तो चार में से एक पार्क तो देखना बनता ही था और सबसे पहले नंबर पर मैजिक किंगडम को ही बताया जाता था तो वहीँ जाने का मन बना लिया। ऐसा करते करते जाने का दिन भी आ गया। जाते समय की उड़न रोनाल्ड रीगन से तथा वापसी की डलस एयरपोर्ट से भरनी थी।रोनाल्ड रीगन हमारे वहां से ज्यादा दूर नहीं था सो टेक्सी बुक करा ली थी और डलस एयरपोर्ट से वापसी के लिए शेयर्ड कैब करायी परन्तु उसका किराया भी  नहीं था पूरे पैतालीस डॉलर। खैर हमारी टेक्सी समय से आ गयी थी और हम निर्धारित समय पर एयरपोर्ट पहुँच गए। इसके बाद अब सुरक्षा जाँच शुरू हुयी,वो ही सब जूते उतारो, जैकेट उतारो। किसी तरह से थोड़ा का पानी  बच्चे के पीने ले लिए ले जाने की अनमति मिली। फ्लाइट का समय हालांकि दो घंटे का ही था पर हमेशा से डेल्ही बैंगलोर की फ्लाइट की तरह ही बोरियत से भरा हुआ था,पर समय तो कट ही जाता है सो कट ही गया। साथ में केवल केबिन बैग होने के कारण हम लोग जल्दी से बाहर निकल गए और वहां पहले से ही टेक्सी ड्राइवर हमारा इन्तजार कर रहा था। उसने जल्द ही हमें होटल पहुंचा दिया। चेक इन की औपचारिकता के बाद जब कमरे में पहुंचे तो मौसम कुछ जाना पहचाना सा लगा,जी हाँ वहां का मौसम बैंगलोर का जैसा होता है। अब तो प्रसन्नता का कोई ठिकाना ही नहीं था। अमेरिका के होटल की ये बात सबसे अच्छी लगी कि वहां हर कमरे में माइक्रोवेव और चाय/कॉफ़ी बनाने की सुविधा दी जाती है,हमने तुरंत फुरन्त चाय बनाई और वाशिंगटन से लाया खाना गर्म करके खा लिया और सो गये!!एक तो बहुत थके हुए थे और दूसरे दिन के लिए भी ताकत बचा के रखनी थी। अच्छे मौसम की वजह से अमेरिका में पहली खिड़की खोल कर सो रहे थे इसलिए ऐसी नींद आई कि पता ही नहीं चला कब सवेरा हो गया। 
                       सुबह तैयार होने बाद होटल के रिसेप्शन में पहुंचे तो पता लगा शटल में अपने जाने का समय बदल लिया,समय तो बदला माना जा सकता है उसके बाद निर्धारित समय पर भी नहीं आई। करीबन दो ढाई घंटे का समय इससे हमारा बरबाद हुआ। अब तक भूख भी लगने लगी तो सोचा पिज़्ज़ा हट जा कर पिज़्ज़ा ले आते हैं,परन्तु जब तक वापस आये तब तक शटल आ चुकी थी। पिज़्ज़ा साथ में ले के जाने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं था। शटल ने पूरे होटलस में घूमने की वजह से यहाँ आधा घंटा लगना था वहां एक घंटा लगाया!! बहुत समय बरबाद किया,इससे ये सबक मिला कि अगले दिन के लिए शटल पर निर्भर रहने की बेवकूफी नहीं करनी है। ये कोई सुविधा नहीं देगी अपितु और परेशानी ही पैदा करेगी। शटल ने हमको एपकोट के बाहर छोड़ दिया। ये भी डिज्नी का थीम पार्क है जो आकर में मैजिक किंगडम का दुगना होगा,यहाँ की थीम मनुष्य के एचीवमेंट एवं नए अविष्कार थे या फिर टूमॉरोलैंड भी कह सकते हैं। अब तक हमलोगों को काफी भूख लग आई थी तो पहले पेट पूजा की सोची। एपकोट की पार्किंग के पास बने एक टिन शेड में बैठकर पेट की भूख मिटाई। यहाँ से पैदल चलकर हम लोगों को मोनोरेल के स्टेशन तक जाना था।यहाँ से जाने के लिए दो तरीके थे या तो बस या मोनोरेल। यहाँ बस की पहचान ये होती है कि इन पर डिज्नी लिखा रहता है। मोनोरेल से हमको टिकट सेंटर तक जाना था और आगे का रास्ता फेरी बोट से आसपास के दृश्य देखते हुए तय करने का मन बनाया था।देखिये डिज्नी की बस-
डिज्नी पार्क की बस 
                     मोनोरेल, ये एक तेज गति से चलने वाली ट्रैन है जो डिज्नी के सभी पार्कों को एक दुसरे से जोड़ती है ,इस्सके द्वारा एपकोट से मैजिक किंगडम का सफर पांच मिनट में तय किया जा सकता है। पदयात्रा करते हुए मोनोरेल के स्टेशन तक जा ही रहे थे कि एपकोट में स्पेस शिप के दर्शन भी हो गये। 
स्पेस शिप अर्थ 
थीम पार्क के ऊपर दौड़ती हुयी मोनोरेल 
                       मोनोरेल  ने हमें फेरी बोट के स्टेशन तक पहुँचाया यहाँ से अब मैजिक किंगडम की दूरी सिर्फ पांच मिनट की रह गयी थी। ये रहा फेरी बोट के स्टेशन का गेट एवं फेरी बोट -
फेरी बोट स्टेशन         
फेरी बोट
                           फेरी बोट से क्लिक करे हुए कुछ दृश्य-
सिंड्रेला का महल 

डिज्नी रिसोर्ट 

पानी के ऊपर उड़ती हुयी मोनोरेल 
                    इस तरह के दृश्यों को देखते हुए हमलगो मैजिक किंगडम के बाहर पहुँच गए।अब यहाँ सुरक्षा जाँच कराने के बाद टिकट लेना था लेकिन जैसे ही  एक बार की जाँच करा के अंदर जा सके  कि मेरी बेटी एग्जिट वाले गेट से बाहर निकल गयी। फिर वो ही सब प्रक्रिया दुबारा दोहरानी पड़ी। इतने सबसे के बाद मैजिक किंगडम का गेट देखने को मिला जो कि ऐसा दिखाई पड़ता है - 
मैजिक किंगडम 
                          ये तो थी मैजिक किंगडम के प्रवेश द्वार तक पहुँचने की बात,अगली पोस्ट में देखते हैं कि आखिर क्या ऐसे जादुई चीज हैं यहाँ जिनकी वजह से इसे मैजिक किंगडम का नाम दिया गया। तब तक के लिए आज्ञा दीजिये। 


तीन महीने के अमेरिका प्रवास की समस्त कड़िया निम्नवत हैं-

4 comments:

  1. गज़ब के आकर्षित करते चित्रों के साथ बहुत ही विस्तृत और काम का वर्णन लिखा है आपने हर्षिता जी ! वाशिंगटन जाने का मन करने लगा है लेकिन सब कुछ इतना आसान नही होता ! शानदार नज़ारे

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  2. बहुत बढ़िया पोस्ट ..... फोटो बहुत अच्छे लगे... वाशिंगटन शहर तो अच्छा लगा .... और मैजिक किंगडम भी |

    धन्यवाद

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  3. बहुत सुंदर दृश्य.इतना पढ़कर ही वहां जाने का मन करने लगा है.

    नई पोस्ट : तेरे रूप अनेक

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  4. वाह, बेहद ही रमणीय जगह। काश मैं भी जा पाती।

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