Tuesday 21 April 2015

Dora Kelley Nature Park ,Washington Dc

                   चेरी ब्लॉसम के गुलाबी नजारो के बाद अब बारी थी उन सड़कों की जो ठण्ड के दिनों में वीरान सी दिखती थी,जब से वाशिंगटन में बसंत ऋतू आई ऐसा लगने लगा की उन सड़कों ने, उन घरों ने तो रंग ही बदल दिए हो ,चारों तरफ हरे मखमली कालीन एवं सुन्दर रंगीन फूलों से लदे पेड़ दिखाई देते थे .ऐसे खुशगवार मौसम में कहीं न कहीं घूमने निकलना तो बनता ही था .परन्तु इसके लिए सही जगह का चुनाव भी जरूरी था ,जब हम बस से पेंटागन सिटी जाते थे तो रास्ते में एक जगह गेट पर लिखा दिखता था वे तो डोरा कैली नेचर्स पार्क। ये जगह हमारे होटल से काफी नजदीक थी तो यही जाने का मन बना लिया .होटल से एक गेट तक लगभग बीस मिनट की पदयात्रा करनी होती थी और उसके बाद करीबन चार किलोमीटर की यात्रा करनी थी जिसमे प्रकृति के कई रंगों के दर्शन खुदबखुद हो गए,
सड़क के दोनों तरफ इसी तरह के हरे मैदान एवं फूलों से लदे पेड़ दिखने लगे थे 

सफ़ेद फूलों से लदे पेड़
डोरा कैली नेचर्स पार्क का प्रवेश द्वार एवं जाने के लिए बना हुआ लकड़ी का पुल 
                       ऐसे अन्य नजारों एवं यहाँ की सड़कों एवं घरों के दर्शन के लिए क्लिक करिये-


                     डोरा कैली नेचर्स पार्क,शायद ये जगह बहुत ज्यादा विख्यात नहीं है ,लेकिन बस से वाशिंगटन आते-जाते एक दिन बाहर देखने पर यहाँ का गेट नजर आ गया, तब लगा कि  अगर जाने से पहले समय आज्ञा देगा तो इसे भी देख लेंगे।हमारे होटल से इस पार्क की दूरी करीबन दो किलोमीटर से तीन सौ मीटर कम थी,मतलब आराम से चलने पर पौने घंटे पैदल रास्ता था,हम बच्चे के साथ थे तो हमारा एक घंटा लग गया,किन्तु गुनगुनी धुप में सुन्दर से दृश्यों को देखते हुए रास्ता कब निकल गया पता ही नहीं लगा।

           
भौगोलिक दूरी 

               किसी जगह को अगर अच्छे से देखना हो तो दो पहिये की गाड़ी के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है, पूरे रास्ते हम लोग अलग अलग प्रकार के दृश्यों को देखते हुए सड़क किनारे चलते रहे,कहीं पर हरे भरे सुन्दर पेड़ थे तो कहीं पर सफ़ेद रंग के फूलों ने छटा बिखेर रखी थी तो कहीं पर माहौल गुलाबी हुआ जा रहा था। सड़कों की साफ सफाई का तो कहना ही क्या थे, जब तक वहाँ रहे तो महसूस नहीं हुआ क्यूंकि चहुँ ओर स्वच्छता के ही दर्शन होते थे ,ये बात भारत आने के बाद महसूस हुई कि कितने स्वच्छ वातावरण में रहकर आये है। रास्ते में यहाँ के कई प्रकार के घर दिखे,जिनके आगे हरी घास के खुले मैदान दिखाई पड़ते थे। यहाँ पर घर लेना बहुत ही अधिक जिम्मेदारी का काम होता है,हर घर के मालिक को अपने घर की घास खुद ही काटनी या कटवानी होती है,अन्यथा जुरमाना भरना पड़ता है। 



शायद से इंडिविजुअल हाउस है 
एक उसी प्रकार का घर र परन्तु उसके आगे पेड़ नहीं है,बस घास का मैदान है
                   इस तरह के घरों को देखने से ये मत सोचियेगा कि यहाँ अपार्टमेंटनुमा मल्टीस्टोरी घर नहीं होते, क्यूंकि अगला दृश्य एक बड़े अपार्टमेंट का है। 

एक बड़ा अपार्टमेन्ट 
इन घरों के मुख्य द्वार की सजावट 
इन घरों के मुख्य द्वार की सजावट

                     इस तरह के दृश्यों को देखते हुए जाने कब हमलोग डोरा कैली के प्रवेश द्वार तक पहुँच गए अंदाजा ही नहीं आया,और सामने से अंदर जाने का रास्ता दिखाई देने लगा 
डोरा कैली का प्रवेश द्वार 

आगे जाने के लिए बनी हुई लकड़ी की पुलिया 
                         पुल को  पार करने के थोड़ी देर बाद एक छोटी सी नदी पड़ती है, या  फिर नहर ही कह सकते हैं जिसे पार कर के ही आगे जा सकते थे ,ये अनुभव भी अपनेआप में अलग था। थोड़ी देर छोटी सी पगडण्डीनुमा कच्ची सड़क पर  चलने के बाद पक्की सड़क आती है,जिसके अलग बगल सुन्दर से घर और हरे भरे दृश्य दिखाई पड़े,कुलमिलाकर यहाँ के घरों की बनावट के दर्शन आज हो ही गए। देखिये यहाँ के कुछ दृश्य -

डोरा कैली की स्मृति में राहगीरों के बैठने के लिए बनी बैंच
संकरी सी सड़क पर चलती हुयी गाड़ियां 
पगडण्डीनुमा रास्ते में पड़ने वाली छोटी सी सुरंग जिसे पार करना जरूरी था 
अंदर से ये सुरंग कछ ऐसी दिखती थी 
रास्ते में नदी के दर्शन भी हो गए 

अबकी बार गुलाबी नही सफ़ेद फूलों के दर्शन हुए
                           अरे ये क्या,एक बार फिर गुलाबी फूलों ने अपने दर्शन दिए, परन्तु ये चेरी के नहीं हैं,ये चेरी के फूलों के मुकाबले कुछ ज्यादा पंखुड़ी वाले मतलब ज्यादा गुंधे हुए होते हैं। पर इनका नाम मेरे दिमाग से निकल गया, यहाँ कहा जाता है कि अगर कोई चेरी के फूलों को पीक ब्लूम के समय देखने से वंचित रह गया हो ,तो एक सप्ताह बाद इन्हे देख ले। 

चमकदार हरी घास के साथ दिखते हुए गुलाबी नज़ारे 

थोड़ा पास से कुछ ऐसे दिख रहे थे 
थोड़ा और करीब से ऐसे !!
                        घूमते-घूमते अब भूख भी लगने लगी थी,तो पिज्जा हट की और चले गए जो कि यहाँ हमारे लिए  एक मात्र सहारा था,क्यूंकि शाकाहारी होने के कारण पेटपूजा में काफी परेशानी होती थी।इन तीन महीनो के सफर में वाशिंगटन में काफी कुछ देखा,काफी कुछ सीखा। नयी जगह के नए अनुभव बटोरे,साथ में कई नयी यादें भी जोड़ ली,वो शोपेर्स से खाने पीने का सामान लगा ,या फिर मैसीज जैसे भव्य माल में टहलना,रॉस ड्रेस फॉर लेस जो की होटल से काफी नजदीक था रोजाना वहां जाना ,या फिर बर्लिंगटन कोट फैक्ट्री से जैकेट खरीदना। हर याद अपनेआप में अनोखी और नायब थी। 
                       भारत से हमलोग ये सोचकर आये थे कि इतने समय में वाशिंगटन के साथ साथ ऑरलैंडो (थीम पार्क की दुनिया ),न्यू-यॉर्क एवं नियाग्रा जलप्रपात देख लेंगे,किन्तु ठण्ड की अधिकता के कारण हम  नियाग्रा नहीं जा पाये।
तीन महीने के अमेरिका प्रवास की समस्त कड़िया निम्नवत हैं-

5 comments:

  1. शानदार फोटो ब्लॉग हर्षिता जी ! आप अपने ब्लॉग के माध्यम से हमें भी वाशिंगटन की सैर करा रही हैं ! आपने जो लिंक दिए हैं वो भी समय मिलने पर जरूर पढूंगा !

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  2. सुंदर परिचय, मन को लुभाती बेहद खूबसूरत और अद्भुत तस्वीरें, हार्दिक आभार!

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  3. बहुत बढ़िया वृतांत.... मुफ्त में ही विदेश यात्रा का भ्रमण...
    धन्यवाद

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  4. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..

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  5. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

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