|
किले के झरोखों से कुछ ऐसा दिखाई दे रहा था। |
यहाँ पर सीढ़ियों से नीचे उतर कर इधर उधर के दृश्य देखने के बाद हम यहाँ की प्रसिद्ध तोप को देखने के लिए वापस आ गए।कुछ इस तरह के राजा जयसिंह द्वारा निर्मित होने के कारण इस किले को जयगढ़ फोर्ट और इस तोप जयवाण नाम दिया दिया गया था। ऐसा माना जाता है सन् सतरह सौ बीस में बनाई गयी इस पचास कुन्तल वजन की तोप को बहुत सारे हाथियों की सहायता से हिलाया डुलाया जाता था। यहाँ हाथियों की उपस्थिति कुछ समझ नहीं आयी, हाथी तो पानी के निकट रहने वाले जानवरों में से है।इतनी विशालकाय तोप की मारक क्षमता के विषय में कई उक्तियाँ प्रचलित हैं जिनसे एक ये है कि जब जयसिंह ने इसे परीक्षण के लिए चलाया था तो यहाँ पर इसका गोला गिरा वहां पर एक तालाब बन गया था और एक अन्य अनुमान के आधार पर ये माना जाता है कि ये चालीस किलोमीटर की दूरी तक वार कर सकती है। इस बात में तथ्य कम अतिश्योक्ति ज्यादा नजर आती है, अगर ऐसा होता तो इसके सामने आज की बोफोर्स भी फेल हो जाती। एक बार परीक्षण के बाद इसका उपयोग कभी नही किया गया क्यूंकि उस समय काफी नुकसान हो गया था।
|
अर्जुन सिंह राजपुताना कैब। |
|
जयवाण। |
|
जयवाण। |
|
तोप को इस तरह से सुरक्षा घेरे में रखा गया है। |
|
जयवाण तक जाने वाली सड़क। |
जयवाण के दर्शन के बाद हम किले के उस हिस्से में पहुंचे जहाँ पर महाराज बैठकर जनता की पुकार सुना करते होंगे, मतलब हम दीवाने ए आम पहुँच गए। यहाँ से आगे बढ़कर दीवाने ए खास आ गया जहाँ पर गुप्त मंत्रणाएं होती होंगी। इसके बाद एक जगह ऐसी पड़ी जहाँ पर राजा और रानी बैठकर नर्त्य नाटिकाएं देखती रही होंगी। इसके बाद एक भुलभुलईया से गुजरते हुए पाक शाला और राजा रानियों के खाने के स्थान पर पहुंचे। यहाँ पर राजा-रानी और खाना बनाने वाली दास-दासियों के प्रतीक रखे गए हैं। कभी जगहों पर असली की महफ़िलें जमा करती होंगी, अन्तर ये है कि तब उन महफ़िलों को कोई देख नहीं पाता होगा।
|
दीवाने ए आम। |
दीवाने ए खास।
|
जयगढ़ को आमेर से जोड़ने वाला गुप्त रास्ता। |
|
खाना बनाने वाली दासियाँ। |
|
भोजन करती हुयी रानियां। |
|
आमेर पैलेस। |
|
जयगढ़ किले की जड़ पे बना हुआ तालाब। |
यहाँ से आगे जा कर राजा के ग्रीष्मकालीन आवास में पहुंचे जिसे ललित महल के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर सामने से एक बगीचा है जिसमें कुछ कुछ मुग़ल शैली का प्रभाव भी झलक रहा था। गाइड के अनुसार इस जगह पर अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत लाल बादशाह पिक्चर का चित्रण हुआ था। वो बता रहा था यहीं पर फांसी लगवाई थी, अब हमने तो ये पिक्चर देखी ही नहीं तो इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते।
|
इस गार्डन में लाल बादशाह की शूटिंग हुयी थी। |
इस जगह से आमेर के किले के दर्शन भी हो जाते हैं और सामने की लेक से ठंडी ठंडी हवा के झोखें भी आते रहते हैं। यहाँ पर मन कर रहा था काश एक दो घंटे का समय होता इस ठंडी हवा का आनंद लेने के लिए, पर कमबख्त समय ही तो नहीं था अपने पास। प्राचीन समय में यहाँ से आमेर के किले में एक गुप्त सुरंग थी। अब इन रास्तों पर बिजली से जलने वाले बल्ब लगाए गए हैं पुराने समय में इनके स्थान पर रौशनी प्रदान करने के लिए मशालें रखी जाती थी।
|
आमेर पैलेस। |
|
इस बुर्ज पर ऐसा लग रहा था जैसे किसी ऐसी में बैठे हों। |
इसके बाद यहाँ पर स्थित संग्र्हालय का चक्कर काटा, यहाँ पर राजा रानी की पोशाक और कुछ पुरानी तस्वीरें रखी गयी हैं। यहाँ पर हम जल्दी जल्दी एक गेट से अंदर और दूसरे से बाहर हो गए। बाहर निकल कर देखा तो रेगिस्तान के जहाज मतलब ऊंट के दर्शन भी हो गए। चलो राजस्थान आ कर रेगिस्तान की रेत भले ना देखी कम से कम रेगिस्तान का जहाज तो दिख गया। इसीके साथ साथ हम जयगढ़ दुर्ग को अलविदा करते हुए आगे की राह पर बढ़ गये।
इस यात्रा की अन्य कड़ियाँ -
इस यात्रा की अन्य कड़ियाँ -
Pink City, Jaipur
Jaigarh Fort,Jaipur
Amer Palace,Jaipur
Hava Maha and Jantar Mantar,Jaipur
वाह शानदार जयपुर।
ReplyDeleteAs usual very well written post !
ReplyDeleteबेहतरीन जयगढ़ का किला। ओर आपने बहुत सुंदर ढ़ग से लिखा।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDeleteहम तीन बार जयपुर हो आये मगर इस किले तक नही पहुँचे । आज आपकी वजह से ये किला भी फतह हो गया ।
बहुत बहुत बधाइयाँ किला फतह होने की
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDeleteहम तीन बार जयपुर हो आये मगर इस किले तक नही पहुँचे । आज आपकी वजह से ये किला भी फतह हो गया ।
सुंदर
ReplyDeleteइसमें पानी की व्यवस्था कमाल की है
ReplyDeleteसही कहूं तो किले और उनका वैभव देखकर मुझे बड़ी बेचैनी सी होने लगती है ! इतना यश , इतना गौरव , इतना भव्य , देखने में कितना अच्छा लगता है लेकिन इनके पीछे न जाने कितने गरीब भूख से तड़पे होंगे , कितने बच्चों को दो वक्त का खाना भी नसीब न हुआ होगा लेकिन किलों की साज सज्जा में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती होगी ! ऐतिहासिक स्थलों की सैर , जयपुर के महलों की सैर हर्षिता जी बढ़िया लग रही है आपकी लेखनी और कैमरे की नजर से !!
योगीजी बिलकुल सही।
Deleteहर वैभव के पीछे एक दर्दनाक इतिहास जरूर छुपा होता है, गरीबों के बच्चे तो जरूर भूखे रहे होंगे, इसके अतिरिक्त कई और लोग भी इन सोने की चिड़िया जैसे महलों/किलों में कैद भी रहे होंगे..दर्दभरी दास्तान तो उनकी भी जरूर रही होगी .
Deleteदो बार जाने का मौका मिला है यहाँ। इन तसवीरों से जयगढ़ की पुरानी यादें ताज़ा हो गयीं।
ReplyDeleteहम तो किलो तक पहुँच ही नहीं सके ,शुक्र है तुमने दिखा दिया
ReplyDeletegarmi mei himat chahiye jaipur ghumne ke liye.
ReplyDelete