पोर्ट ब्लेयर जाने वाली फेरी में बोर्डिंग में थोड़ा समय बचा था ,तो सोचा यहीं इधर उधर टहल कर हैवलॉक की थोड़ी और यादें समेट लें और साथ के साथ कुछ नाश्ते का बच्चे के लिए कुछ नाश्ते का सामान पारले जी बिस्कुट ,थोड़े बहुत चिप्स और कुछ छोटे छोटे फ्रूटी के डब्बे भी रख ले,जो आगे सफर में काम आएं। इस समय हमारा घूमने का एरिया जेट्टी के आसपास का ही था, तो वहां सब पोर्ट ब्लेयर वापस जाने वाले लोगों की भीड़ दिखाई दे रही थी। वहीँ पास में एक बस स्टेशन था और पास के पार्क में कुछ झोपड़ीनुमा बैठने की जगह बनी हुयी थी जिनमे बैठकर कुछ और नहीं तो कम से कम तपती हुयी धूप से तो बचा ही जा सकता था।यहाँ घूमते-घूमते एक मंदिर के दर्शन भी हो गए। घूम फिर के हम फिर वापस जेट्टी पर आ गए क्यूंकि अब बोर्डिंग का समय भी हो गया था। जाते जाते जेटी का एक फोटो भी खींच ही लिया,हालांकि जो देख के आ रहे थे उसके आगे ये दृश्य कुछ भी नहीं था -
बीच नंबर १
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राधानगर बीच को जाने वाली बस |
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पार्क |
जेट्टी से फेरी में बैठने के बाद आधा घंटा लगभग हमने वहां के माहौल से अभ्यस्त होने में लगाया,उसके बाद थोड़ा बैचेनी सी होने लगई। बात ये थी कि अब जब फेरी ओपन डेक है तो हम नीचे बैठकर क्या कर रहे हैं,इसलिए हम पांच यात्रियों में से दो डेक में किस तरह का माहौल है ये देखने के लिए चले गए। अब एक बार डेक पर पहुंचे तो वहां जा कर जो भीड़ दिखी उसमे अचम्भे में डाल दिया,क्यूंकि लगभग सभी लोग डेक पर मौजूद थे। कोई खड़ा था तो कोई बैठा था और सब लोग नीले रंग की महिमा देख रहे थे,नीचे देखो तो नीला पानी,सर उठाकर के ऊपर देखो तो नीला आसमान। जब तक हैवलॉक नजदीक था तब तक थोड़ा हरा रंग भी दिख रहा था,उसके बाद तो कुछ दिख रहा था तो बस नीला समंदर। अब तक हमारे अन्य साथी भी डेक पर आ गए थे।पूरे सफर में बहुत खूबसूरत नज़ारे देखे , खूब फोटोग्राफी की,यहाँ के खूबसूरत दृश्यों की प्रशंसा में कसीदेकढ़े। इसके साथ साथ जब लहरों के बीच जब जहाज हिचकोले खा रहा था तो अपने समय में आने वाले बच्चों के सीरियल का टाइटल सांग भी याद आ रहा था "अगर मगर डोले नैय्या ,लहर लहर जाये रे पानी ,डूबे न डूबे न मेरा जहाजी " ।
ओपन डेक वाली फेरी में बच्चों के साथ ट्रेवल करने से बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है,क्योंकि बच्चे इधर उधर ज्यादा करते हैं तो थोडा रिस्की हो जाता है,हम लोगों को इस मामले में ज्यादा परेशानी नहीं हुई क्योंकि छोटा पार्टनर सो गया था।बहुत देर तक नीले समंदर और नीले आकाश के मध्य हिचकोले खाने के बाद सूर्यास्त का समय हो आया और यहाँ पर अंडमान का दूसरा बेहतरीन सनसेट दिखा गया ,जिससे हमारा राधनगर में सनसेट नहीं देख पाने का अफ़सोस थोडा कम हो गया।यहाँ पर सूर्य देवता ने खुले आसमान के साथ अपना हर रंग दिखाया।कभी आग का गोला जैसा तो कभी सुनहरे आसमान के मध्य एक चमकदार बिंदु जैसा।सूर्य देव तो सूर्य देव आज तो चंद्रमा भी हम पर मुक्त हस्त से कृपा बरसा रहे थे।जी हाँ पुर्णिमा के पूर्ण गोलाकार चंद्रमा ने भी यहाँ हमें दर्शन दे ड़ाले।पर सूरज और चंद्रमा दोनों के एक साथ दिखने के बावजूद भी उन्हें फ़ोटो में एक साथ नहीं ले पाये,क्योंकि दोनों की दिशाएं आशा के अनुरूप अलग अलग थी।
पूनम का चाँद
सूर्यास्त के बाद अचानक से अँधेरा हो गया ,और अब स्याह सा आसमान दिखने लगा।अब समुद्र की भी बस आवाजें आ रही थी,वो भी लगभग काला ही दिख रहा था। अब जब कुछ दिख ही नहीं रहां था तो डेक में बैठकर भी क्या करना था तो हम एक बार फिर अपनी सीट परजा के विराजमान हो गए। सात बजे लगभग एक बार फिर डेक पर पधारे ये दिखने के लिए कि अभी पोर्ट ब्लेयर कितना दूर दिख रहा है और रात के अँधेरे में कैसा दिख रहा है। देखते देखते कुछ फोटो भी खिंच लिए -
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जगमगाता हुआ पोर्ट ब्लेयर |
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जगमगाता हुआ पोर्ट ब्लेयर |
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माउंट हैरियट के लाइट हाउस का प्रकाश |
ये फोटो लेने तक हम पोर्ट ब्लेयर पहुँचने ही वाले थे, तो नीचे जा कर उतरने की तैयारी के साथ-साथ राजू भाई को भी फ़ोन लगा लिया जो कि पहले से ही जेट्टी पर मौजूद था,यहाँ से निकल रात के अँधेरे में खड़े हुए जहाजों को देखना बहुत अच्छा लग रहा था। इतने में राजू भाई आ गए और हम एक बार फिर उनकी गाड़ी में सवार हो कर, अगले दिन के प्रोग्राम के विषय में हुए दुबारा से चौखट पहुँच गए।
आपने सही कहा हर्षिता जी , जो देख कर आये उसके मुकाबले ये सब उतना खूबसूरत नही लग रहा होगा आपको किन्तु पढ़ने वालों को ये भी उतने ही खूबसूरत नज़ारे लगेंगे जितने पहले ! चाँद की अलग अलग क्रियाएँ खूबसूरत रंग बिखेर रही हैं ! सुन्दर वृतांत , आगे इंतज़ार रहेगा
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteसुंदर ब्लॉग!
ReplyDeleteExperience of moon liht and sunlight at the same time and to be able to capture it on camera...Beautiful!
ReplyDeleteYeah,it was a great experince in itself.Thanks for appreciating
DeleteYou were lucky that you were allowed on the deck after sunset:) We were not:(
ReplyDeleteYeah,we experinced both kind of ferry open deck and mackruze too,but the experince with open deck was excellent
Deleteचाँद तेरे क्या कहने । एक से एक बडकार । फोटोग्राफि तो ऐसी की लग रहा है तूलिका से रंग बिखेर रखे हो गजब
ReplyDeleteरात को भी पोर्ट ब्लेयर अपने शबाब पर है
चाँद और सूरज दोनों ही सुंदरता के मामले में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे थे,इसकी वजह से हमें अप्रतिम नज़ारे देखने को मिल गए
DeleteFantastic description, pictures and words used compliment each other perfectly..
ReplyDeleteAndman is must go place
ReplyDeleteधन्यवाद आपका बहुत बहुत
ReplyDeleteevening photo superb
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