अमेरिकी वीसा प्राप्ति के सुखद अनुभव के बाद अब बारी है लगभग चौबीस घंटे की सफल हवाई यात्रा द्वारा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी की ,जो की पूर्ण रूप से बर्फ की सफ़ेद चादर से ढकी हुयी थी।
बैंगलोर से वाशिंटन डीसी की लगभग चौबीस घंटे की यात्रा की शुरुवात एतिहाद एयरवेज द्वारा प्रातः चार पैतालीस पर हो गयी थी, और जब हम डीसी पहुंचे तो घड़ी में टाइम हो रहा था शाम के पांच बजे का। हमारी डायरेक्ट फ्लाइट नहीं थी, सो बीच में पूरे चार घंटे का स्टॉप था अबु धाबी में। ये तो थी विमान के बैंगलोर से जाने और डीसी पहुँचने के समय की बात। अब भारत के अंदर तो हम विमान यात्रा करे हुए थे, अंतर्राष्ट्रीय विमान यात्रा होने के कारण सीटिंग अरेंजमेंट थोड़ा अलग सा लगा, इन विमानों को दो कि तीन हिस्सों में विभाजित किया होता है, दोनों खिड़कियो की तरफ दो-दो एवं मध्य में पांच लोगों के बैठने की जगह होती है , इतना ही नहीं हर यात्री के पास अपना अलग टीवी होता है,जिसमे पहले से डाली गयी फिल्मे,गाने और गेम खेल सकते हैं एवं भाषा की भी कोई समस्या नहीं होती,आप जिस भाषा में देखना चाहें उसका विकल्प चुन सकते हैं , बड़े तो बड़े छोटे बच्चों के लिए कार्टून की सुविधा भी रहती है :) , और अगर मन में जिज्ञासा हो कि हम कहाँ पर उड़ रहे हैं अभी तो वो भी देख सकते हैं।कुछ चित्र आप लोगों के लिए सलंग कर रहे हैं-
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विमान के अंदर का सीटिंग अरेंजमेंट एवं सभी यात्रियो के टीवी (चित्र गूगल द्वारा ) |
इस तरह विमान की सहायता से करंट लोकेशन दिखायी जाती है |
इसलिए जो महाशय हमको लेने के लिए आने वाले थे उनका इन्तजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। थोड़ी देर में वो मिल गए और हम लोग उनके साथ एयरपोर्ट से बाहर निकले,ये हमारी ठण्ड से पहली मुलाकात थी। एयरपोर्ट के गेट से कार तक जाने तक में ही हाथ एक दम ठण्ड से जम गए थे। कार में बैठने के बाद थोड़ा जान में जान आई,करीबन आधे घंटे में हम लोग अपने होटल एक्सटेंड स्टे अमेरिका पहुँच गए थे। इतनी लम्बी यात्रा के कारण थकान ऐसी थी कि बिस्तर पर पड़े और कब आँख लगी पता ही नहीं लगा। चौबीस घंटे की इस थकाने वाली यात्रा के इस अनुभव को विराम देते हुए, अगली पोस्ट पर जल्द ही मिलने के वादे के साथ आपसे विदा लेते हैं, ये यात्रा वृतांत आप लोगों को कैसा लगा जरूर बताइयेगा।
तीन महीने के अमेरिका प्रवास की समस्त कड़िया निम्नवत हैं-
यात्रा वृतांत अच्छा लगा..... कोशिश कीजिये की कुछ और ज्यादा लिख सको एक लेख में...
ReplyDeleteट्राली में पैसे देने का अनुभव पहली बार मुझे भी टोरंटो के एयरपोर्ट पर उतरने पर हुआ था। पता नही् था सो ट्राली खींचे जा रहा था पर वो निकल ही नहीं रही थी। बाद में किसी ने इशारा किया तब बात समझ में आई।
ReplyDeleteबड़ा ही विचित्र सा अनुभव था पैसे देकर ट्रॉली लेने का,या शायद हमें आदत नहीं इसलिए लगा हो
DeleteNice click
ReplyDeleteहाँ यहाँ हवा छोड़ कर मानो हर किसी चीज का शुल्क देना होता है.
ReplyDeleteऐसी लम्बी यात्राओं के लिए मेरी नज़र में परुषों के लिए सबसे अच्छी पोशाक है धोती-कुर्ता और चप्पल. थकान कब महसूस होती है और सुरक्षा जांच आसानी से हो जाती है.
ReplyDeleteसही कहा आपने हवा को छोड़कर सभी चीजों का शुल्क देना पड़ता है,भारतीय परिधान तो अपने आप में हर तरह से अच्छे साबित होते हैं
ReplyDeleteशानदार यात्रा विवरण ! हम भी आपके साथ बंगलोरे से आबूधाबी होते हुए अमेरिका पहुँच गए हैं !
ReplyDeleteitni badi videsh yatra to ab tak sapna hi hai lekin aapki post ke madhyam se kafi had tak jigyasa shaant hui
ReplyDeleteबहुत खूब। हम भी फ्री में अमेरिका पहुँच गए।
ReplyDeleteआगे की यात्रा का आनन्द उठाओ फिर अब
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