Sunday 7 September 2014

How to get tourist visa for USA

             दो हजार चौदह की शुरुवात हमलोगों को एक यादगार तोहफे के रूप में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका(यूसए) की रोमांचकारी यात्रा दे गयी। जाने के साथ साथ वहाँ की राजधानी वाशिंगटन में तीन महीने के लिये रहने का सुअवसर मिला। जैसे ही ऑफिस में ये बात हुयी कि जाना है हम साथ में छोटी सी बेटी को लेकर झटपट तैयार हो गए। जहाँ एक तरफ जाने की असीम ख़ुशी थी वहीँ दूसरी तरफ डेढ़ साल की छोटी बेटी के साथ जाने का मन में कुछ ऐसा ही भय था जैसा नील आर्मस्ट्रोंग को चन्द्रमा पर जाने में लगा होगा ,ऊपर से इस वर्ष वहां पर ठण्ड भी कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी,पर जब मन बना ही लिया था जाने का तो फिर अपने मन में बैठे हुए डर से जीत पाना तो आसान ही था। इस प्रकार से हम  कई हजारों किलोमीटर दूर जाने के लिए तैयार हो गए। गूगल मैप में एक बार दूरी तो देखिये -


           इस तरह से हजारों किलोमीटर उड़ने के बाद विदेशी धरती,संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में  बिताये हुए इन तीन महीने के अनुभव को आपके साथ साझा करने की शुरुवात वीसा प्राप्ति के अनुभव के साथ करते हैं । 

         हमेशा से हम लोग सुनते आये थे कि अमेरिका का वीसा मिलना काफी कठिन होता है, तो वीसा प्राप्ति की कठिन कवायद के लिए जी जान से जुट गए। एक एजेंट से बात करी तो उसने वीसा के अपॉइंटमेंट के लिए जो तारीख बताई वो हमारे ट्रेवल डेट के बाद की थी, फिर एक तरह से मन बैठ गया कि अब तो हमारा जाना असंभव ही है, लेकिन कहते हैं ना जोअपनी सहायता खुद करते हैं भगवान भी उनकी सहायता करते हैं  और यही सोच कर के हम लोगों ने खुद से वीसा अपॉइंटमेंट लेने का सोचा। रात दो बजे तक बैठ कर के फॉर्म भरने के बाद ये तो पता लगा कि अपॉइंटमेंट तो मिल ही जायेगा पर ये पता लगा कि अपॉइंटमेंट तब ही मिलेगा जब पहले वीसा की फीस जमा करेंगे और वो ऑनलाइन नहीं की जा सकती थी,जाना तो बैंक ही पड़ेगा। चलो अब रात तो इस भरोसे पर काट ली कि कल सुबह सुबह पेमेंट कर देंगे पर अगले दिन किस्मत से बैंक हॉलिडे निकला वो भी दो दिन का। अब तो कुछ करना अपने हाथ का नहीं था तो अगले वर्किंग डे का इन्तजार करने के अलावा। पर किस्मत ने हमारा साथ दिया और हम लोगों को और हम लोगों को वीसा अपॉइंटमेंट मिल गया। इसमें भी एक गड़बड़ थी अप्पोइन्मेंट ऐसे दिनों का मिला कि दो बार चेन्नई के चक्कर लगाने पड़े। आनन फानन में चेन्नई जाने के लिए बस के टिकट कराये और चल पड़े वीसा के लिए डॉक्यूमेंट चेक कराने के लिये। अब तुरंत ही बैंगलोर वापस आना था क्योंकि जाने की तैयारी भी करनी थी। सबसे ज्यादा जरुरत गर्म कपड़ों की थी क्योंकि यहाँ रहने के कारण अपने पास उतने गर्म कपडे नहीं थे। दो दिन बाद हम फिर से चेन्नई पहुंचे इंटरव्यू के लिये।वीसा के लिए छोटे बच्चों को इंटरव्यू के लिए ले जाना जरुरी नहीं होता तो समझ में नहीं आ रहा था कि सान्वी को अंदर ले जाऊँ या नहीं। फिर लाइन में अकेले कुछ देर लगने के बाद एक गार्ड ने बताया कि आपके साथ बच्चा है तो उसे ले जाइये काम जल्दी हो जायेगा। सान्वी की वजह से सारे काम जल्दी जल्दी हो  गये और हम दोनों का पासपोर्ट वहीँ जमा हो गया। मतलब वीसा मिल जायेगा ,बस पूछिए ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। ख़ुशी-ख़ुशी हम लोग बैंगलोर वापस आ गये और जाने के लिए तैयारियाँ शूरु कर दी। इस तरह से वीसा प्राप्ति की शुरुवात के साथ हमारी यात्रा की शुरुवात हो गयी, अगली पोस्ट में आपको अंतर्राष्टीय हवाई यात्रा एवं विदेशी धरती के पहले अनुभव से रूबरू करते हैं,तब तक के लिए आज्ञा दीजिये। 
तीन महीने के अमेरिका प्रवास की समस्त कड़िया निम्नवत हैं-

6 comments:

  1. बहुत खूब...... बधाई हो इस विदेशी यात्रा के लिए....

    एक सवाल : यह यात्रा घूमने के लिए की थी या बिजेनेस / नौकरी के कारण...

    www.safarhainsuhana.blogspot.in

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    1. बहुत बहुत धन्याद
      ये यात्रा पर्यटन एवं नौकरी दोनों का मिला जुला रूप थी,एक के लिए ऑफिस तो एक के लिए पर्यटन ....

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  2. अन्य लोगों को भी इस पोस्ट से मार्गदर्शन ,मिलेगा

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  3. फिर तो सान्वी को शुक्रिया कि वीजा दिलवा दिया। अब आगे चलते हैं। बहुत सुन्दर प्रस्तावना।

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    1. धन्यवाद तो ciber sites वालों का हैं जिन्होंने ये यात्रा का अवसर दिया हमें

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