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हरी घास का मैदान |
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हिमालय दर्शन |
इसके बाद अगला पड़ाव था वो दुकान जहाँ से कपडे और जूते लिए थे। वहां पहुँच कर सामान वापस किया और आगे बढ़ लिए। पलछन पहुँच कर सीधा रास्ता न जाकर हमने सोलांग वैली वाला रास्ता पकड़ लिया। यहाँ से सोलांग वैली चार किलोमीटर की दूरी पर था।
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सोलांग से पहले दुकाने |
करीब दस मिनट में हम सोलांग वैली पहुँच गए, पहली झलक में मुझे ये जगह उतनी अच्छी नहीं लगी। मुझे लगा शायद इस जगह से कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगा रखी थी मैंने। इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि अभी घास पूरी तरह से उग नहीं पायी हो ,क्यूंकि हम मई के शुरआती दिनों में ही यहाँ पहुँच गए थे इसीलिये हरीतिमा अपने शबाब पर ना पहुँच पायी हो।
यहाँ पर कदम रखते ही सबसे पहले नजर आया एक बड़ा सा मिटटी का मैदान और उसमे खड़े लोगों की भीड़, तो लगा ये क्या जगह हुयी। पर जब आ ही गए थे तो आगे तक जाकर देखने का सोचा और धीरे धीरे आगे चले गए। जैसे जैसे आगे बढ़ते गए तो भीड़ का कारण पता लगा। ये भीड़ पैरा ग्लाइडिंग करने वालों की थी जो की आसमान से उड़कर जमीन पर टपक रहे थे। यहाँ पर थोडा ध्यान से देखकर चलना पड़ रहा था क्योंकि सर पर ही ना गिर जाएँ इस बात की प्रबल सम्भावना थी। अजी इनका क्या है ये तो हवा के हिसाब से अपनी दिशा परिवर्तित कर लेगें पर चोट तो हमें ही लगेगी ना। ये तो थी मजाक की बात अब यहाँ पर से ढलवा मैदान शुरू हो रहा था। मैदान पर चलते चलते हम कुछ ऊंचाई पर पहुँच गए और इस स्थान से दृश्य भी उत्तम थे तो हम वहीँ पर विराजमान हो गए। यहाँ आ कर के पता लगा सोलांग वैली की क्या विशेषता है। यहाँ से नजर आ रहा था एक चमकदार सफ़ेद पहाड़ और उसके बीच बीच में रंग बिरंगे पैराशूट कुछ ऐसे लग रहे थे जैसे भांति भांति की चिड़िया आसमान में उड़ रही हो। इस तरह के हजारों दृश्य थे यहाँ पर। ऐसा समा था जिसे देखने में समय का पता ही ना चले। वैसे भी किसी गतिमान चीज को देखने में हमेशा मजा ही आता है चाहें वो कोई ट्रेन ही क्यों ना हो।
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जॉर्बिंग की बॉल और मटेला मैदान |
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भीड़ |
इस तरह के खेलों में कभी रिस्क भी हो सकता है ये भी यहीं देखने को मिला। इतना तो ऊपर बैठकर के अंदाजा आ ही रहा था कि नीचे उतरते समय शायद थोडा सा चोट लग रही है पर हल्का फुल्का तो चलता ही है। पर हमारे सामने सामने ही एक पैराशूट ने अपनी दिशा बदल दी और वो उड़ने की जगह सीधे नीचे ही उतर गया और उसमे सवार व्यक्ति को काफी चोट लग गयी। तुरंत एम्बुलेंस बुलवा कर उसे हॉस्पिटल ले जा जाया गया। इस बात से एक सबक ये मिला की इस तरह के खेलों को उसी व्यक्ति के साथ ही करना चाहिए जिसने सर्टिफाइड कोर्स किया हो । इस बारे में मुझे पहले से जानकारी थी कि मनाली में पैराग्लाइडिंग करना उतना सुरक्षित नही है । इस कारण हमारा हवा में उड़ने का विचार पहले से ही नहीं था और अभी अभी इसका जीता जागता उदाहरण भी नजर आ गया।
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नीचे गिरे हुए पैराशूट |
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सोलांग |
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आज मैं ऊपर जमाना है नीचे। |
होने को तो यहाँ रोप वे भी था पर वो भी काफी महंगा ही था, थोड़ी सी दूरी के चार सौ रूपये प्रति व्यक्ति मांग रहे थे। इसलिए ये भी करने का उतना मन नहीं था वैसे भी बैठकर देखने में जो मजा आ रहा था शायद वो और कहीं नहीं आता। और हाँ एक चीज और थी जो यहाँ हो रही थी वो थी जॉर्बिंग। इस खेल में सफ़ेद रंग की एक पारदर्शक बॉल के अंदर दो लोगों को बांधकर नीचे को लुढ़का दिया जाता है। शायद ये अनुभव भी बहुत रोमांचकारी होता होगा। अब तक हमें एक जगह पर जमे हुए काफी समय हो गया था, तो सोचा एक बार जा के तो देखें आखिर पैराग्लाइडिंग वाले नीचे को उड़ान ले कहाँ से रहे हैं और क्या ये जगह वो ही है जहाँ पर रोप वे द्वारा ले जाया जा रहा है । बस सोचने भर की देरी थी, मन जाने के लिए मचल गया और हम चढ़ने को तैयार हो गए। पर साथ में जो लोकल बंदा था उसने सलाह दी कि पैदल मत जाओ दूर है ,फिर वापस आने में बहुत टाइम लग जायेगा और ऊपर एक बहुत सुन्दर जगह है वहां नहीं जा पाओगे ,बेहतर रहेगा रोप वे से ही चले जाओ। गजब के नज़ारे थे रोप वे से भी और सोलांग घाटी के तो अद्भुत दृश्य नजर आये।
रोप वे में बैठकर ऊपर पहुँचने पर सोलांग घाटी के एक नये रूप के दर्शन हुए। यहाँ से तो सब कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा था। जिन पैराशूटों को हम आसमान की ऊंचाई में मंडराते हुए देख रहे थे, उनमे से कुछ यहाँ से ही अपनी उड़ान भर रहे थे। जिन्हें और ऊंचाइयां छूने की चाहत थी वो थोडा और आगे जा कर छलांग लगा रहे थे। हम भी यहाँ से अपनी मंजिल अंजनी महादेव की तरफ बढ़ गए।
ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर ही माता अंजनी ने भगवान शिव जी की आराधना कर के हनुमान जी को पुत्र रूप में पाया था। यहाँ पर प्राकृतिक रूप से शिवलिंग के ऊपर झरने का पानी पड़ता है । जो सर्दियों के समय में नीचे गिरते ही जम जाता है और इस तरह से यहाँ पर बर्फ के शिवलिंग का निर्माण हो जाता है। इस दृश्य को मार्च के महीने तक देखा जा सकता है।
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डगर अंजनी महादेव की |
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अंजनी महादेव। |
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मंदिर तक जाने वाली सीढियाँ |
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बर्फ का शिवलिंग। (गूगल द्वारा साभार) |
स्वतः बनने वाले इस शिवलिंग के कारण इस स्थान को छोटा अमरनाथ या अभिनव अमरनाथ का नाम भी दिया गया है।
कुछ समय बिताने के बाद हमने यहाँ से विदा ली और आगे के सफर में आगे बढ़ गए। इसी क्रम में हमने यहाँ पर वशिष्ट मंदिर के दर्शन किये । यहाँ पर एक सल्फर के पानी का कुण्ड है, ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर स्नान करने से सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं। यहाँ पर हम लोगों ने सिर्फ हाथ मुंह धो लिए, क्यूंकि स्नान पहले दिन कलथ नाम की जगह पर कर चुके थे। इसी के साथ मनाली श्रंखला का समापन होता है।
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वशिष्ठ मंदिर। |
इस श्रंखला की अन्य पोस्ट -
हर्षा बहुत बढ़िया...यही प्रवाह बना रहे। सच में आनंद आया। बहुत खूब।
ReplyDeleteहर्षिता जी सोलांग वैली बहुत ही सुंदर जगह है, अच्छा लगा फोटो देखकर व लेख पढकर।
ReplyDeleteहर्षिता जी सोलांग वैली बहुत ही सुंदर जगह है, अच्छा लगा फोटो देखकर व लेख पढकर।
ReplyDeleteगुलाबो का हुश्न तो बेमिसाल है हम भी यही तक गए थे और 2 बजे ही लोट आये थे। पर आज सोच रही हूँ की उस ड्रायवर ने हमको सोलांग धाटी के बारे में क्यों नहीं बताया था ।हम भी देख लेते।पर हर्षा तुम्हारी आँखों से भी देखना अच्छा लगा।
ReplyDeleteसोलांग वैली ने दिमाग में घर बना लिया है , खूबसूरत नज़ारे और पैराग्लाइडिंग देखकर किसका मन न ललचाएगा ? सानवी को खिलाना आपके लिए बड़ी महाभारत है !! वृतांत अच्छा चल रहा है , इंतज़ार रहेगा अगली पोस्ट का !!
ReplyDeleteअच्छी लगी सलोंग घाटी. वो जोर्बिंग के बारे मैंने हाल ही में टीवी पर भी देखा था, रोमांचक होता होगा.
ReplyDeleteTRAVEL WITH RD
अच्छी लगी सलोंग घाटी. वो जोर्बिंग के बारे मैंने हाल ही में टीवी पर भी देखा था, रोमांचक होता होगा.
ReplyDeleteTRAVEL WITH RD
बहुत बढ़िया हर्षिता जी...... सोलांग वैली जयादा अच्छी नही तो जयादा बुरी जगह भी नही है | प्राकृतिक सौन्दर्य का लुत्फ़ यहाँ पर बहुत आता है |
ReplyDeleteलेख पढकर अपने यहाँ पर बिताये पलो याद किया हमने
बहुत सुन्दर मनोरम फोटोज के साथ सोलांग वैली के चित्रण हेतु धन्यवाद !
ReplyDeletevery well written post !
ReplyDeleteBeautiful and very picturesque location.
ReplyDeleteसुंदर फोटो!
ReplyDeleteआदरणीय ,बहुत सुन्दर यात्रा वृतांत आभार। "एकलव्य"
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteसुन्दर फोटोग्राफी..
Hindi me Travel posts padhne me bada mazzaa aata hai!! Manali mera bhi favorite travel location hai ... THanks for sharing.
ReplyDeletewww.bootsandbutter.com
bahut accha likha didi aapne photo to lajawab hai
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