वैसे तो मनाली शहर हिमनगरी ही है पर यहाँ का प्रसिद्ध रोहतांग पास साल भर हिमाच्छादित रहने कारण सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहता है। इस बर्फीली घाटी में पूरे साल बर्फ रहने के कारण सिर्फ गर्मियों के मौसम में मई माह के दूसरे हफ्ते से नवम्बर तक जाना ही संभव हो पाता है। बाकि के दिनों के लिए रोहतांग पास के विकल्प के रूप में गुलाबा घाटी को रखा जाता है। ऊंचाई कम होने के कारण इस जगह पर हमेशा जाया जा सकता है और साथ में बर्फ का लुफ्त भी उठाया जा सकता है। मई के शुरुवाती दिनों में जाने के कारण से आशा के अनुरूप रोहतांग पास बंद मिल, इसलिए स्वतः गुलाबा हमारी डेस्टिनेशन में सम्मिलित हो गया था। अब रोहतांग तो जा ही नहीं पाये तो उसके बारे में क्या कह सकते हैं ,परन्तु गुलाबा ने भी निराश नहीं किया। मुझे तो गुलाबा जा कर ऐसी अनुभूति हुयी कि अगर कहीं धरती पर स्वर्ग है तो यहीं है। वास्तव में बर्फ से ढके पहाड़ इतने नजदीक से देखने का अनुभव निराला ही होता है।
बर्फ से ढकी ये वादियां बार बार बुलाती हैं। |
एक परिचय गुलाबा का- जम्मू कश्मीर के राजा गुलाब सिंह के नाम पर इस जगह को गुलाबा कहा जाता है। जब रोहतांग पास बर्फवारी के कारण बंद होता है ,तो मनाली से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुलाबा पर्यटकों को यूँही वापस नहीं जाने देता, बल्कि ढेर सारी बेशकीमती यादों के साथ भेजता है, जो उनके रोहतांग नहीं जा पाने के अफ़सोस को काफी हद तक कम कर देती हैं।
अब चलते हैं यात्रा वृत्तांत की तरफ। अत्यधिक थकान के कारण एक बार सोये तो फिर सुबह देर से ही हुयी। हमें गुलाबा स्नो पॉइंट तक ही जाना था जो मनाली से बहुत ज्यादा दूर नहीं था इसलिए होटल से नाश्ता करने के बाद ही बाहर निकले। इस समय माल रोड की शांति देखने लायक थी, लगभग सभी दुकाने बंद थी और पर्यटक भी गायब थे। बस इक्का दुक्का गाड़ियां दिखाई पड़ रही थी। माल रोड से निकलते ही व्यास नदी ने दर्शन दिए जो कि पूरे रास्ते होते रहे।
अब चलते हैं यात्रा वृत्तांत की तरफ। अत्यधिक थकान के कारण एक बार सोये तो फिर सुबह देर से ही हुयी। हमें गुलाबा स्नो पॉइंट तक ही जाना था जो मनाली से बहुत ज्यादा दूर नहीं था इसलिए होटल से नाश्ता करने के बाद ही बाहर निकले। इस समय माल रोड की शांति देखने लायक थी, लगभग सभी दुकाने बंद थी और पर्यटक भी गायब थे। बस इक्का दुक्का गाड़ियां दिखाई पड़ रही थी। माल रोड से निकलते ही व्यास नदी ने दर्शन दिए जो कि पूरे रास्ते होते रहे।
व्यास नदी ,तेरा मेरा साथ रहे। |
ये खाली सड़कें और एक प्यार भरी चेतावनी, गाड़ी तेज ना चलाएँ। |
अभी हम मनाली लेह हाइवे पर आगे बढ़ रहे थे, थोड़ा और आगे जाने पर अदभुत हिमालय श्रंखला के भव्य दर्शन भी होने लगे। इन मनभावन दृश्यों का आनंद हुए हम पलछन तक पहुँच गए। पलछन में रास्ता दो भागों में विभक्त हो जाता है के सोलांग वैली की तरफ तो दूसरा मनाली लेह हाईवे मे रोहतांग पास की तरफ। सोलांग वैली वापस आते समय जाने का कार्यक्रम था ,इसलिए हम हाईवे पर आगे बढे।
व्यास नदी और हिमालय श्रंखला। |
ऐसी ही किसी जगह अगर घर हो अपना तो मजे ही आ जाएँ। |
आगे कुछ गर्म कपड़ों और बर्फ में चलने वाले जूतों की दुकाने थी। यहाँ पर दुकानो को नाम की जगह नंबर से जाना जाता है। एक दुकान से हमने भी कुछ सामान लिया और आगे बढ़ गए। जितना आगे बढ़ रहे थे हिमालय उतना ही करीब आता जा रहा था। सांप की तरह घूमने वाले मोड़ कभी विशालकाय पहाड़ों के दर्शन करा रहे थे, तो कभी गहरी खाइयों के। रास्ते में जगह जगह कई छोटे बड़े वाटरफॉल भी दिख रहे थे , पर गुलाबा पहुँचने की जल्दी के कारण अभी हम कहीं पर भी नहीं रुके। विशालकाय हिमालय श्रंखला के दर्शन करते करते आख़िरकार हम गुलाबा पहुँच ही गए। अब यहाँ पर पगडंडियों से होते हुए उस जगह पर जाना था जहाँ पर स्कीइंग और अन्य गतिविधियाँ हो रही थी। यहाँ पर कई सारे खच्चर वाले भी बैठे हुए थे जो कि उस स्थल तक ले जाते हैं। धीरे धीरे हम लोग भी उस ऊंचाई तक पहुंच ही गए जहाँ पर मई में भी बर्फ का साम्राज्य था। सच में बहुत अदभुत दृश्य था। इन प्राकृतिक दृश्यों को तसल्ली से देखने के लिए कुछ देर हम वहीँ पर एक चट्टान नुमा पत्थर पर बैठ गए।
स्नोपॉइंट तक जाने का रास्ता। |
ये वादियां ,ये रास्ते। |
बर्फीले पहाड़। |
इन मनमोहक दृश्यों को देखने के बाद उस ऊंचाई तक जाने का मन हुआ जहां पर पहाड़ों पर पड़ी बर्फ और आसमान के बादलों के मिलन का सा आभास हो रहा था। इस मिलन स्थल पर तो सपनो के पंख लगाकर ही जाया जा सकता था लेकिन जहाँ तक सम्भव हुआ चले गए। वहां से नीचे की तरफ देखो तो लोगों की भीड़ चीटियों का एक समूह जैसा प्रतीत हो रहा था। यहाँ से पहाड़ों का जो दृश्य दिख रहा था वो बहुत मनभावन था , आँखों के सामने हलकी हरीतिमा और स्याह रंग लिए हुए पहाड़ थे जिनकी चोटियों पर सफ़ेद बर्फ विराजमान थी, नीचे नजर डालो तो लोगों का मेला था और क़दमों टेल बर्फ की श्वेत चादर बिछी थी। इस ऊंचाई पर पर सभी लोग खूब आनंद उठा रहे थे ,कोई बर्फ में खेल रहा था, तो कोई स्नो टयूबिंग कर रहा था। कोई स्कीइंग में जोर आजमा रहा था तो कुछ लोग बर्फ के पहाड़ में फिसल कर नीचे जाने का प्रयत्न कर रहा था। कुछ देर यहाँ बैठने के बाद हम भी बर्फ के पहाड़ में फिसलते हुए नीचे उतर गए।
नीचे लोगों का मेला। |
स्नो टयूबिंग |
मुसाफिर चढ़ता जा। |
हम साथ साथ हैं। |
नीचे उतरने के बाद बेटी ने कहा मैगी खाना है, तो उसके लिए एक प्लेट आर्डर करवा दी। हम लोगों को इतनी भूख नहीं थी और मैगी का रेट सुनकर जो हलकी फुलकी रही होगी वो भी गायब थी। पर एक बात देख कर बहुत दुःख भी हुआ और लोगों की लापरवाही देखकर गुस्सा भी आया। मैगी वाले से मैंने पूछा कि खाली प्लेट कहाँ डालनी है तो उसने कहा कहीं भी डाल दो। इन्ही कारणों की वजह से हमारे पहाड़ उतने सुन्दर नहीं रह जाते। समझ सकती हूँ जब गुलाबा ही इतना सुन्दर था तो रोहतांग कैसा होगा, वहां नहीं जा पाने का अफ़सोस तो हमेशा रहेगा। अब तक ना चाहते हुए भी अलविदा कहने का समय आ गया था और हम यहाँ से सोलांग घाटी की तरफ चल पड़े।
इस श्रंखला की अन्य पोस्ट -
हुस्न पहाड़ों का-Amazing Landscape of Hills
मन को भाए मनाली. Magnificent Manali
Gulaba Snow Point,Manali
Solang Valley,Manali
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हम भी रोहतांग न जाकर गुलाबो तक ही गए थे और यू ही बर्फ से खेलकर मन बहला लिए थे । इन्ही जगह बसने का ख्याल मुझे भी आया था। काश, के हम भी इस सुंदर जगह का हिस्सा होते ! बहुत बढ़िया लिखा है। अब सोलंग घाटी का विवरण पड़ेंगे जहाँ मैँ न जा सकी।
ReplyDeleteमज़ा आ गया, मनमोहक चित्र और सुंदर वर्णन
ReplyDeleteमज़ा आ गया, मनमोहक चित्र और सुंदर वर्णन
ReplyDeleteजब रोहतांग व मढी़(मरही) तक बहुत बर्फ रहती है तब पर्यटको के लिए गुलाबा खुला रहता है। यहां पर काफी बर्फ रहती है जहां लोग बर्फ के गोले व अन्य मनोंरजन की गतिविधियो मे शामिल होते है।
ReplyDeleteअच्छा लिखा आपने, फोटो बढिया है।
अच्छा लेख हर्षिता जी..... अपने रोहतांग यात्रा याद आ गयी लेख पढ़कर | फोटो से गुलाबा की गतिविधियों का अंदाजा हुआ है |
ReplyDeleteरोहतांग न जा पाए इसका मलाल तो आपको जरुर रहा होगा... :p
जी हाँ रोहतांग नहीं जाने का अफ़सोस तो बहुत था, पर मन के किसी कौने मेंये ख्याल भी था कि रोहतांग तक जाने में बेटी को परेशानी ना हो कुछ। अगर खुला होता तो जाने का लालच छोड़ नही पाते, बंद ही था तो कोई विकल्प ही नही रहा ।
Deleteशानदार जगह के शानदार नज़ारे ! मनाली और उसके चित्र सदैव ही खूबसूरत लगते हैं और आकर्षित करते हैं ! शानदार चित्रों के साथ मस्त वर्णन !!
ReplyDeleteसुंदर फोटो-ब्लॉग!
ReplyDeleteइस मिलन स्थल पर तो सपनो के पंख लगाकर ही जाया जा सकता था :) बढ़िया। प्यार भरी चेतवानी... चेतवानी में भी प्यार मिल गया। अपने पहाड़ की वैसे हर बात प्यारी है। चाहे चेतावनी ही क्यों न हो। फोटोग्राफी बहुत खूबसूरत है। आभार।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और मन भावक यात्रा वृत्तांत
ReplyDeleteसुन्दर और सजीव लेखन हर्षा जी । शानदार चित्र...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लेखन . तस्वीरें तो यूँ लग रहा की अभी बोल उठेंगी .
ReplyDeleteyour blog font change please
ReplyDeleteअद्भुत लगा ये गुलाबो .मुसाफिर चढ़ता जा वाला फोटो तो गजब है.
ReplyDeletewww.travelwithrd.com
गुलाबा तो नही देखा लेकिन रोहताग सकि बहुत हसीन वादी है आपके लेख से लगता हे गुलाबा भी कम नही हे किया agust month मे भी गुलाबा मे बरफ होगी
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