पिछले कुछ वर्षों से लाल बाग में हुए फ्लावर शो की झलकियां तो आप लोग पहले ही देख चुके हैं। इस पोस्ट के माध्यम से आपको ले चलते है गणतंत्र दिवस 2016 के अवसर पर लगे हुए दस दिवसीय फ्लावर शो के दर्शन के लिये । एक कहावत है इंसान अपनी गलतियों से ही शिक्षा प्राप्त करता है तो हम भी इससे अछूते कैसे रह पाते , ये ही हमारे साथ भी हुआ। एक बार की बात है, उस साल शायद फ्लोरल हाउस बोट बनाई गयी थी, ऐसे ही किसी छुट्टी के दिन सोचा कि चलो जा ही आते हैं और घर से निकलने तक ही दोपहर का एक बज गया और पहुँचते पहुँचते दो। पहले तो टिकट काउंटर पर ही बहुत माथा पच्ची हो गयी, उसके बाद अंदर तो आदमियों का मेला सा लगा हुआ था। जिधर देखो उधर भीड़, खैर अब जब घर से गए ही थे तो किसी तरह से भागमभाग में देख के वापस आ गए। इसलिए अबकी बार हमने सोचा सोमवार को सुबह सुबह चले जाते हैं आराम से लाल बाग के फ्लावर शो के दर्शन के साथ साथ बर्ड वाचिंग भी हो जायेगी। हम अपने घर से सुबह आठ बजे रास्ता लग गए और पौने नौ पर हम लाल बाग के अंदर थे। इस समय बहुत ही गिने चुने लोग यहाँ पर थे और अभी ग्लास हाउस के खुलने का समय भी नहीं हुआ था,क्योंकि वो नौ बजे से शाम पांच बजे तक खुलता है,इसलिए अभी गार्डन के दूसरे हिस्से को देखने का सोचा, अभी मौसम भी हल्का ठण्ड वाला हो रहा था तो घूमने में आनंद भी आ रहा था। रास्ते में हलकी हलकी फूलों की सजावट देखते हुए हम सबसे पहले पहुंचे लाल बाग में स्थित लेक तक, यहाँ पर हमारा स्वागत कमल के पुष्पों ने किया।
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लेक में खिले कमल के फूल |
कमल के पुष्पों की अदभुत छटा देखने के बाद चिड़ियों के चहचहाने की प्रतिध्वनि ने अपनी और बरबस ध्यान आकर्षित कर ही लिया। एक दो फ़ोटो इनके लेने के बाद हम एक बार फिर ग्लास हाउस की तरफ आ गए। अब तक टिकट मिलना शुरु हो गया था जिसकी कीमत इस साल से पचास रुपया प्रति व्यक्ति कर दी गयी है। ग्लास हाउस में तो जहाँ तक नजर जा रही थी वहां तक फूल ही फूल थे, लाल, नारंगी, हरा, नीला, पीला, सफ़ेद जी हाँ समझिये इंद्रधनुष के सात रंग अपने अगल अलग रूप में इन पुष्पों में उतर आये हों। हर कौने का अपना अलग आकर्षण था,हर जगह अलग तरह के पुष्पों का एक नए तरह का संयोजन हर जगह इंतजार कर रहा था। इस साल का मुख्य आकर्षण फूलों से बना एक घर था जिसके चारो तरफ विभिन्न रंगों के फ्लोरल कारपेट बिछे थे। हर देखने वाले के मन में शायद ये बात तो आ ही रही होगी काश इतने सुन्दर से घर में कम से कम एक दिन ना सही कुछ घंटे ही मिल जाते बिताने को। अब जब घर इतना सुन्दर होगा तो स्वागत भी कुछ खास तरीके से ही होगा, ये कहिये घर के दूसरी तरफ दिल की आकृति में बड़े बड़े प्रवेश द्वार बने हुए थे।एक कौन पर फ्लोरल बेड भी बना हुआ था। अबकि बार यहाँ आ कर बच्चे भी निराश नहीं हुए क्योंकि यहाँ पर उनकी पसंदीदा बैगनी रंग के फूलों से बनी एक बार्बी डॉल भी थी। इस बार के लाल बाग़ में पिछली बार से एक अन्तर ये भी था कि अब वहां घूमने के लिए बैटरी चलित स्कूटर भी उपलब्ध थे। अब हमें तो जरुरत थी नहीं तो रेट भी नहीं पूछ पाये। एक नजर डालिये यहाँ के सुन्दर दृश्यों पर-
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लाल और पीले के साथ हरे रंग का संयोजन |
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खिले खिले फूलों से हरी भरी वादी |
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कौन सा ज्यादा अच्छा है ? |
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घर के पिछवाड़े बना फ्लोरल बेड़ |
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समझ नहीं आ रहा इनकी तारीफ में क्या कहा जाये!! |
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बड़े बड़े स्वागत गेट,जैसे किसी ने अपना दिल रास्ते में बिछा दिया हो। |
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केकटस को कैसे भूल सकते हैं। |
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क्या कहने हैं इनके |
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बैजंती माला |
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सुर्ख लाल,उस पर गिरा एक मोती अदभुत |
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बार्बी |
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शो का मुख्य आकर्षण फूलों का घर |
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रेड कारपेट वेलकम |
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फूलों की टोकरी |
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कमल दल फूले |
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लाल बाग लेक |
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एक चिड़िया, अनेक चिड़िया |
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लाल बाग लेक |
लाल बाग़ के लेख-
ReplyDeleteफोटो बहुत खूबसूरत हैं लेकिन फोटो के नीचे कैप्शन में क्या लिखा है ? समझ नही आ रहा
Lovely pics.
ReplyDeleteहाँ हर्षिता जी ! बहुत सही ! शानदार ! तब कैप्शन में क्या लिखा था ये समझ नही आ पा रहा था ! धन्यवाद आपका
ReplyDeleteBeautiful tour of the flower show. I have not yet been here this time.
ReplyDeleteलाल बाग के फूलों की छटा मन को प्रसन्न कर गई।
ReplyDeleteNice and beautiful! Love the flowers and I missed it.
ReplyDeleteAbsolutely stunning sights, and the pictures do justice too! I have had the opportunity to attend one in Noida long back and just loved the experience!
ReplyDeleteफूलो के फोटो अच्छे लगे....पोस्ट से लाल बाग को जानने को मिला
ReplyDeleteसुन्दर फूल जैसे दास्ताँ कहते हुए प्राकृति की ...
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