हाई टेक सिटी बैंगलोर में सब कुछ है बड़े बड़े बाजार हैं, शॉपिंग मॉल है , कई सारे थिएटर और सिनेपोलिस की चकाचौंध है। पर इन सबके के अतिरिक्त एक और विशेषता भी है यहाँ कि वो हैं यहाँ के गार्डन, जिनकी वजह से इसे गार्डन सिटी का ख़िताब मिला हुआ है। बैंगलोर के दर्शनीय स्थलों में सर्वप्रथम विधान सौदा, इन्दिरा गांधी म्यूजिकल फॉउंटेन, लाल बाग, कब्बन पार्क, बानेरघट्टा नेशनल पार्क (चिड़ियाघर), नंदी हिल्स के अतिरिक्त कई सारी झीलों के नाम भी आते हैं। यहाँ की भाषा में अगर बोलूं तो कई जगहों के नाम झीलों के अनुसार भी हैं । कन्नड़ा में झील को केरे कहा जाता है तो नाम भी ऐसे ही रखे गए हैं जैसे अरेकेरे,कलेना आगरहारा केरे । बात तब उस समय की है जब मैं शुरू शुरू में बैंगलोर आयी थी तो कई बार घर में बोर हुआ करती थी । फिर शुरू होता था इस क्रम में कहाँ जाएँ का सिलसिला। सोचते विचारते एक दिन हम लाल बाग की तरफ गए। इसका निर्माण मैसूर के राजा हैदर अली ने कराना शुरू किया था, पर इसे पूरा बनाने का श्रेय टीपू सुल्तान को जाता है। आज इस यात्रा को चार साल से ज्यादा हो गए होंगे और इसके बाद कई बार लाल बाग दुबारा जाना हुआ। आज अचानक लाल बाग की याद आने का विशेष कारण यहाँ स्वाधीनता दिवस और गणत्रंत दिवस के समय पर दस दिवसीय फ्लावर शो का आयोजन होता है। जिसे देखने के लिये दूर दूर से लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। आज भी एक बार फिर से दस दिन चलने वाले इस फ्लावर शो का शुभारम्भ होने जा रहा है। इसीलिए यहाँ पिछले कुछ वर्षों में आयोजित हुए फ्लावर शो और लाल बाग से आप लोगों को रूबरू करवाना तो तो अति आवश्यक है।
विल्सन गार्डन के समीप स्थित चार प्रवेश द्वार वाले लाल बाग को बोटैनिकल गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। दौ सौ चालीस एकड़ में फैले एक गार्डन में कई सारे ट्रॉपिकल पौधों का संकनल होने के साथ साथ यहाँ वनस्पतियों की भी एक हजार से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती है। इसके एक बड़े भूभाग में फैली हुयी है यहाँ पर स्थित झील जिसका पूरा एक चक्कर लगाना भी बड़ी हिम्मत का काम है, हालांकि पेड़ों की छाँव और थोड़ी थोड़ी दूरी पर बनी बेंचो की वजह से आसानी हो जाती है। इसके अतिरिक्त एक आकर्षण यहाँ पर स्थित चट्टानें भी हैं, जिन्हें तीन हजार सालों से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। इन्हे देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी पठार की चढ़ाई करनी हो। इसके अतिरिक्त एक ग्लास हाउस है जिसके अंदर ही फ्लावर शो का आयोजन करा जाता है। हर बार के शो में एक अलग थीम रखी जाती है और पूरे शो में फूलों से बना हुआ एक मुख्य आकर्षण रहता है। जैसे कभी फूलों से लाल किला बना देते हैं, तो कभी मैसूर पैलेस या बैंगलोर पैलेस। एक बार तो फूलों की हाउस बोट और उसके बाद पुष्पों से लदी हुयी मेट्रो ट्रेन की आकृति बनाई गयी थी। पिछले वर्ष तक यहाँ का सामान्य टिकट दस रुपया प्रति व्यक्ति था, पर शायद इस बार के फ्लावर शो से बढ़ाया जा रहा है। इस बार का मुख्य आकर्षण क्या है ये तो वहां जाने के बाद ही बता पाऊँगी, पर इससे पहले आप लोग लाल बाग और वहां पिछले कुछ समय में हुए फ्लावर शो की झलकियाँ देखिये-
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लाल बाग का प्रवेश द्वार |
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ग्लास हाउस जिसमे फ्लावर शो का आयोजन होता है। |
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चट्टान पर बना मंदिर |
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पेड़ों की छाँव की बीच का रास्ता और लगी बेंच |
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लाल बाग झील |
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अगस्त २०१३ में बनी हाउस बोट |
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२६ जनवरी २०१४ में पुष्पों से बनायीं गयी फलों और सब्जियों की आकृतियां |
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अगस्त २०१५ में बनाया गया मैसूर दशहरे का अाकर्षण |
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२६ जनवरी २०१५ में बना लाल किले का प्रतीक |
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बैंगलोर पैलेस |
इस बार के शो में टिकट बढ़ने के साथ साथ एक और परिवर्तन किया गया है। वो ये हैं कि अब लाल बाग में पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है। शांतिनगर बस अड्डे या विल्सन गार्डन से करीब एक किलोमीटर पैदल चल कर जाना पड़ेगा। अगली पोस्ट में देखते हैं इस बार के शो में कैसे सजा है लाल बाग,तब तक के लिए आज्ञा दीजिये।
लाल बाग़ के लेख-
लाल बाग़ के बारे विस्तार से बताने के लिए धन्यवाद्। मेरा भी पिछले साल वहां जाना हुआ थोड़ी देर के लिए लेकिन ज्यादा जानकारी नहीं मिल पायी थी।
ReplyDeleteअगली पोस्ट में और विस्तार से बताती हूँ
Deleteबहुत अच्छी जानकारी दी आपने पोस्ट के द्वारा, हर्षिता जी। बहुत बढ़िया पोस्ट।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबढ़िया सैर करवायी आपने लाल बाग की। फ़ोटो बहुत खूबसूरत हैं। अगले भाग का इंतज़ार रहेगा।
ReplyDeleteलाल बाग की सैर सुबह के समय बहुत बढ़िया रहती है।
Deleteसुंदर पोस्ट !
ReplyDeleteधन्यवाद बहुत बहुत
Deleteक्या बात !कया बात!! .... मैंने भी देखा है अपने 1986 के तिरुपति प्रवास के दौरान लाल बाग़ और ये बोटेनिक गार्डन , यहाँ उस समय एक फूलो की घड़ी भी होती थी जो मुझे आज भी याद है। खेर, बहुत ही सुंदर है ये फूलो की बनी आकृतियां ... आगे की क़िस्त का इंतजार रहेगा ।
ReplyDeleteफूलों की घडी तो आज भी है,पर मेरे पास उसका फ़ोटो नहीं है। अभी एक दो दिन में फ्लावर शो देखने जाउंगी तो उसका भी फ़ोटो लेते आउंगी
DeleteWow! very beautiful pics....Amazing....
ReplyDeleteThanks :)
Deleteलाल बाग का नाम खूब सुना था , आपने दीदार भी करा दिया. अगली पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहेगा
ReplyDeleteअगली पोस्ट जल्दी ही आएगी
Deleteलाल बाग देखकर मन प्रसन्न हो ऊठा, यहां पर सभी लोग आकर निराश नही होंगे, बहुत कुछ है देखने के लिए यहां पर।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पोस्ट हर्षिता जी।
अगली पोस्ट देखकर आपको और अच्छा लगेगा
DeleteMein pehle gaya hun par aap ne tho alagh hi lal bagh dikhya :-)bahuth sunder
ReplyDeletehttp://maheshndivya.blogspot.in/2014/07/a-day-in-lalbagh-botanical-garden.html
Thanks
DeleteBeautiful images from the flower show.
ReplyDeleteWithout the parking facility in the park it will be difficult.
Yeah,its bit difficult.today we went there before nine in the morning.there is no rush and its easy going.i guess if you will go in morning they can allow parking too
DeleteThanks a lot :)
ReplyDeleteहर्षिता जी बंगलौर में इतनी खूबसूरत इवेंट को देखकर मन प्रसन्न हो गया ! आपने इसे वास्तविक रूप में देखा और हमने वर्चुअल , फोटो देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितना आनंद आया होगा इसे देखकर ! फोटो बहुत सुन्दर लग रहे हैं विशेषकर 26 जनवरी पर लालकिले के दर्शन ! वर्णन भी उत्तम है !!
ReplyDeleteबैंगलोर लाल बाग का नाम काफी सुन रखा है, तरह तरह जीव और पक्षियों का घर भी है | आगे की पोस्ट में आपके साथ इस स्थान के बारे में और जानने को मिलेगा ...
ReplyDeleteलाल बाग तो मैने देखा और बहुत अच्छा भी लगा था, पर आपने तो उसके एक अलग ही स्वरूप के दर्शन करा दिये। आपका आभार!
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