Saturday 15 February 2014

Water sports in Goa वाटर स्पोर्ट्स बागा बीच: गोवा का अलोकिक सौंदर्य...........४

                 इस वृतांत में आपको-गोवा के प्रमुख आकर्षण यहाँ के वाटर स्पोर्ट्स के बारे में जानकारी दी जायेगी। हमारा गोवा आने का प्रमुख कारण भी वाटर स्पोर्टस ही थे, जो प्रमुख वाटर एक्टिविटी हम लोगों को करनी थी उनमे जेट- स्की (Jet -Ski ),पेरासेलिंग(Para-sailing) थे और एक महत्वपूर्ण काम समुद्र के पानी और हवाओ का आन्नद उठाना भी था। हम सभी यहाँ के ओल्ड गोवा दर्शन में रुचि नहीं रख रहे थे क्यूंकि हमारे पास मात्र तीन दिन थे वो भी गोवा जैसी जगह के लिए। तब तक आप एक अच्छा सा गोवा का चित्र देखिये और विस्तार में पढ़ने के क्लिक करिये -
पेरासेलिंग समुद्र और आसमान  दोनों एक साथ 


            इस तरह से गोवा  में हमारे दूसरे दिन कि शुरुवात हुयी होटल के ब्रेकफास्ट के साथ और सब के सब जल्दी जल्दी तैयार हो गए क्यूंकि आज का दिन हम सभी के लिए बहुत खास था। हम सभी का ये विचार था कि इन गतिविधियों के लिए कालंगुटे या बागा  बीच दोनों में से कोई  भी सही रहेगा जो कि गूगल देव की  कृपा से विदित था।  तो देर किस बात कि और हम चल पडे कालंगुटे की भव्यता के दर्शन के लिए जो कि हमारे होटल से ज्यादा दूर नहीं था मात्र तीन किलोमीटर कि दूरी पर, किन्तु जब तक हम वहाँ पहुंचे तब तक सूर्य देव लगभग अपने चरम पर ही पहुँच गए थे तो तुरंत ही सब के लिए हैट ख़रीदे गए जो कि गोवा कि पहचान भी है।जितना सुना था कालांगुटे बीच उसे कहीं ज्यादा भव्य और भीड़ से भरा हुआ निकला। ये देखिये भीड़ से भरे कालानगुटे बीच की  एक तस्वीर-
भीड़ से भरा कालांगुटे बीच बादलों के  मध्य समुद्र और आसमान का रंग लगभग एक सा ही लग रहा था।  
                   यहाँ पहुँच कर मन तो बहुत था कि समुद्र में उतर पड़े पर मुख्य काम ये पता लगाना था कि वाटर एक्टिविटि कहाँ पर हो रही हैं, कितने कि हैं, कहाँ से टिकट लेना है। धुप भी बहुत तेज पड रही थी और किसी ने बताया कि ये सब यहाँ नहीं हो रहा है, बागा  बीच जाओ तो हम वहीँ कि और चल पड़े। बागा बीच यहाँ से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर है ,या कहिये कालांगुटे बीच का ही एक्सटेंशन है। वहाँ पहुँच कर हमारा इन्तजार ख़त्म तो हो गया। पर चार लोगों के लिए जेट-स्की और पेरासेलिंग के पूरे पांच हजार लग गए जो कि काफी ज्यादा थे ,और अगर डॉल्फिन देखने जाना हो तो उसके तो हजार रुपया एक आदमी का लग रहा था शायद। खैर जब तक हम लोग पहुंचे डॉल्फिन देखने का समय तो निकल ही चूका था तो करने के लिए जेट-स्की और पेरासेलिंग ही बची एवं डॉल्फिन अगले दिन के लिए छोड़ दी वैसी भी उसके लिए जितना पैसा मांग रहे थे वो जरुरत से ज्यादा ही लग रहा था।  शायद इसके दो कारण थे एक तो अभी सीजन सही से शुरू नहीं हुआ था और कलनगुटे,बागा बीच जरुरत से ज्यादा ही महंगे थे।
                टिकट लेने के  बाद ये निश्चय हुआ कि जेट-स्की एक -एक कर के और पेरासेलिंग दो लोग साथ में करेंगे और बचे हुए बच्चों को देखेंगे। जेट -स्की करना अपनेआप में एक मजेदार और साहसिक अनुभव रहा।  वो लोग लाइफ जैकेट पहना के आपको तैयार करते हैं और एक आदमी साथ में चलता है उसे चलाने को। मतलब पूरी तरह से तैयार कर के भेजते हैं ,समुद्र की लहरों में एक तेज गति के स्कूटर में घूमना बहुत ही रोमांचकारी अनुभव रहा ,किस तरह से लहरों को चीरते हुए आप आगे बढ़ते हो और कैसे लहरे आ कर के आपको पानी से सराबोर कर जाती है।  कुल मिलकर मन प्रसन्न हो गया जी। देखिये एक नजारा कि कितनी तैयारी के साथ और कितने लोग मिलकर एक जेट -स्की को भेजते हैं -
जेट -स्की 
               ये तो थी साहसिक जेट- स्की  इसके बाद पेरासेलिंग का नंबर था , जब तक हम बड़े अपने कामों में व्यस्त थे तब तक  हमारे  तो  छोटे पार्टनर कैसे बिजी थे देखिये, वो भी अपने लिए रेत के छोटे छोटे घर बना रहे थे-

                 अब पेरासेलिंग के लिए हम दो -दो कर के दो ग्रुप्स में गए। फिर वही लाइफ जैकेट मिल गयी,और हम उसे पहन कर तैयार थे जी जाने के लिए। अबकी बार हमें एक मोटर बोट में बैठाया गया। जो कि समुद्र कि लहरों को पार कर के एक स्पीड बोट तक ले गयी जिन्हे पेरासेलिंग बोट बोलते थे। इस तरह से हम लोगों कि बोट  चेंज हुयी और उस स्पीड बोट में बैठकर समुद्र में काफी आगे तक चले गए। यहाँ पर पहले से प्रशिक्षित लोगों ने हमें तैयार किया पैराशूट के साथ बांधकर और एक निश्चित ऊंचाई तक ले जा कर नीचे उतारा।सचमुच ये बड़ा ही रोमांचकारी अनुभव था कि एक तरह तो आप आसमान कि ऊंचाई छू रहे हो, और वहीँ दूसरी और नीचे देखो तो विशालकाय समुद्र दिखता है, बस ऊपर नीचे जहाँ देखो वहाँ विशालता ही विशालता, वो भी इतनी कि कहीं कोई छोर ही नहीं दिखे , दिखे तो बस आसमानी नीला रंग ऊपर आकाश में भी और नीचे समुद्र में भी।बहुत ही आनन्द  का अनुभव हो रहा था ,यही वो  मुख्य कारण  था जिसकी वजह से मन में गोवा आने के लिए बेताबी थी। 
               इन सब के बाद अब नंबर था समुद्र के पानी में उतरने का, तो बस आज तो मन ये था कि बस समुद्र कि लहरों के सहारे बैठे रहो ,और पानी में सरोबार हो जाओ बार-बार। होटल वापस जाने का तो मन ही नहीं था। पर वापस तो जाना ही था तो मन मार के चल पड़े,अगले वृतांत में आपको गोवा की शाम के बारे में जानकारी देते हैं,तब तक के आज्ञा दीजिये। 
गोवा के सफर की सभी कड़िया एक साथ निम्नवत हैं-



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