Tuesday 2 July 2013

तालाकावेरी:कावेरी का उद्गम स्थल (Talakaveri: Origin of Kaveri River)

          रात को इतनी अच्छी नींद आई कि सुबह चार बजे ही आँख खुल गयी, और पांच बजे तक तो हम अपने होमस्टे से चेक-आउट कर के निकल पड़े  भागमंडला होते हुए तालाकावेरी के लिए। मदिकेरी से भागमंडला तक के चालीस  किलोमीटर तो आराम से निकल गए क्यूंकि वहां तक मंगलौर हाईवे था, पर उसके आगे के आठ किलोमीटर तक रोड की हालत सही नहीं थी,पूरे साढ़े तीन घंटा लग ही गया तालाकावेरी तक पहुँचते पहुँचते।यहाँ इतनी तेज हवा बहती है कि मनो गाल पर थप्पड़ ही लगा रही हो।तो कार के अन्दर ही पहले सान्वी को ब्लैंकेट में लपेटा और फिर बाहर निकले।तालाकावेरी एक धार्मिक महत्व की जगह है। 
           भागमंडला दक्षिण की  काशी के नाम से भी विख्यात है। भगंद ऋषि ने  यहाँ शिवलिंग की स्थापना की गयी थी,तब से ये जगह  भागमंडला के नाम से प्रसिद्ध हुयी।यहाँ पर कई छोटे बड़े मंदिर और तीन नदियों कावेरी, कनिका और सुज्योती का संगम होने के कारण ये जगह  धार्मिक महत्व की है, और यहाँ से आगे तालाकावेरी में कावेरी नदी का उद्गम स्थल भी है जो  कि ब्रह्मगिरी पहाड़ के ढलान पर स्थित है।यहाँ की समुद्र तल से ऊंचाई चार हजार पांच सौ फीट है।यहाँ पर कुंड के पीछे ब्रहाम्कुंडिका से कावेरी नदी का उद्गम होता है।कुर्ग के लोग कावेरी नदी की पूजा करते हैं और दूर दूर से इस कुंड में स्नान करने आते हैं।
तालाकावेरी का कुंड 
              कुंड से थोडा ऊपर मंदिर है,जिसके सामने से सीढियाँ जाती है,जोतालकावेरी की चोटी पर ले जाती हैं। एक बार चढ़ना शुरू कर दो तो ये ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेती। मन करता है की अब तो रूक ही जाओ, पर हम लोग चार महीने के बच्चे के साथ जैसे तैसे चढ़ ही गए।
सीढियाँ जो की अंतहीन सी लग रही थी 
           ऊपर पहुँचने के बाद हवा का वेग इतना महसूस हो रहा था कि मानो उडा ही ले जाएगी।दृश्यों के बारे में तो कहना ही क्या, एक तरह कुर्ग हरियाली ही हरियाली,तो दुसरी तरफ केरल की पहाड़ियां। नजर घुमाओ तो दिखती है ब्रह्मगिरी की पहाड़ियों पर घुमती हुयी पवन चक्कियाँ।कुल मिलकर इतनी सीढियां चढने से जो थकान लगी तो वो पलभर में गायब हो गयी।






         इन सब नजारों को देख ही रहे थे कि याद आया हमें और आगे तक जाना है और फिर तालाकावेरी से विदा ले कर उतर आये। नीचे उतर कर आसपास में नाश्ता किया और कन्हागढ़ कासरगोड रोड में आगे बढ़ गए,क्यूंकि बेकाल फोर्ट तो देखना ही था,तो फिर मिलते हैं बेकाल फोर्ट और मंगलौर मे. 

4 comments:

  1. कावेरी का उद्गम स्थल के बारे में पहली बार जानकर अच्छा लगा....धन्यवाद!!

    सफ़र है सुहाना
    http://ritesh.onetourist.in/

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  2. भले नदियों का उद्गम स्थल अलग अलग न हो किन्तु उस स्थान तक पहुंचना एक नया जोश देता है , आल्हादित कर जाता है। कावेरी के उद्गम स्थल को देखकर , इसके विषय में जानकर अच्छा लगा। दक्षिण की काशी के विषय में पहली बार जाना !

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  3. सुंदर ओटो-ब्लॉग.

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  4. सफर की मुश्किलें ओर घर जैसा आराम एक घुमक्कड़ को कैसे मिलेगा।

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