बेकाल के बाद हमारा लक्ष्य था सोमेश्वर और उल्लाल समुद्र तट होते हुए मैंगलोर पहुँचने का।तो एक बार फिर से शुरू करते हैं,सोमेश्वर पहुँचते पहुंचते सूर्य देवता अपने प्रचंड रूप को अलविदा कह चुके थे तो मौसम कुछ अच्छा हो गया,समुद्र को देखने और आन्नद उठाने के लिए।मैंगलोर के सुन्दर समुद्र तटों के बारे में पढने के लिए क्लिक करें-
सोमेश्वर बीच मैंगलोर का सबसे सुन्दर बीच के रूप में जाना जाता है,और यहाँ पर सूर्यास्त देखने के लिए बहुत से लोग आते हैं।हमारा प्लान भी ऐसा ही था।ये जगह मैंगलोर से ९ किलोमीटर पहले उल्लाल टाउन के आसपास है।गूगल पर रिसर्च करने के बाद ऐसा लगा था कि सोमेश्वर और उल्लाल दो समुद्र तट है देखने के लिए, पर जाने के बाद एक ही मिला,लोग कह रहे थे कि एक ही जगह है, शायद बायीं तरह उल्लाल बीच है और दायीं तरफ सोमेश्वर। जा कर के बहुत ही सुन्दर लगा पर हम सूर्यास्त से पहले ही पहुँच गए तो सूर्यास्त का आन्नद नहीं ले पाए।समुद्र के मध्य में एक बड़ी सी चट्टान है, जिसे रूद्र शिला के नाम से जाना जाता है।इससे टकरा कर वापस जाने वाली समुद्र की लहरें प्रकृति की ताकत का एहसास कराती है। कम भीडभाड से भरा हुआ बहुत ही आकर्षक बीच है ये,जहाँ की सुनहरी रेत पर चलना भी अपनेआप में एक सुनहरा अनुभव है।यहाँ पर एक बहुत ही पूराना मंदिर भी है, कहा जाता है की उसके अन्दर मीठे पानी का एक स्रोत है।यहाँ की सुन्दरता के कुछ नज़ारे आप भी देखिये-
आकर्षक समुद्र के साथ साथ बादलों की सुन्दरता |
समुद्र और सुनहरी रेत |
यहाँ के बाद मैंगलोर के लिए रवाना हुए और होटल नालपड रेजीडेंसी में चेक-इन कर के कुछ देर आराम करने के बाद सोचना शुरू किया कि सूर्यास्त देखने के लिए जाएँ तो कहाँ जाएँ?माल पे और कापू बीच बहुत दूर थे तो लगा बस सूर्यास्त तक ही पहुँच पाएंगे तो होटल में पता करने से ज्ञात हुआ कि पनाम्बूर जाना ज्यादा उचित रहेगा क्यूंकि वो मैंगलोर से सबसे नजदीक में है मात्र तेरह किलोमीटर की दूरी में।
इस बीच को पनाम्बूर का नाम इसके पोर्ट के नजदीक होने के कारण दिया गया है,पनाम का मतलब होता है पैसा। शहर से नजदीक होने के कारण ये यहाँ के सभी समुद्र तटों से ज्यादा भीड़-भाड़ से भरा हुआ है।ये समुद्र तट पोर्ट के नजदीक और इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित है।यहाँ पर एक दो कोल् फैक्ट्रीयों के होने के कारण यहाँ की रोड ऐसी लगती है जैसे काली ग्रीस सडक में गिरी हो।पर समुद्र तट सड़क के बहुत ही नजदीक है और बीच लोगों की भीड़ से भरा हुआ।यहाँ पर बच्चों के खेलने के लिए भी बहुत इंतजाम है,और बहुत से वाटर स्कूटर भी थे,हम तो बच्चे के साथ नहीं जा पाए।
लहरों का आन्नद उठाते हुए और सूर्यास्त देखने के बाद ख्याल आया कि वापस होटल चलना चाहिए, और रात को कादल में डिनर करने के बाद अगले दिन के लिए प्रोग्राम बनाते हुए सो गए, क्यूंकि हमारे प्लान में दुबारे जाना भी जुड़ गया था,तो अगली पोस्ट में मिलते हैं दुबारे में।
इस यात्रा की सभी कड़ियाँ-
कुर्ग (Coorg)
तालाकावेरी:कावेरी का उद्गम स्थल (Talakaveri: Origin of Kaveri River)
बेकाल फोर्ट( Bekal Fort)
मैंगलोर आकर्षण :सोमेश्वर और पेनाम्बूर समुद्र तट (Mangalore attractions: Someshwar and Panamboor beach)
निसर्गधाम(Nisargdham)
पेनाम्बूर समुद्र तट का सूर्यास्त |
रेतमें आती हुयी लहरें |
लहरों का आन्नद उठाते हुए और सूर्यास्त देखने के बाद ख्याल आया कि वापस होटल चलना चाहिए, और रात को कादल में डिनर करने के बाद अगले दिन के लिए प्रोग्राम बनाते हुए सो गए, क्यूंकि हमारे प्लान में दुबारे जाना भी जुड़ गया था,तो अगली पोस्ट में मिलते हैं दुबारे में।
इस यात्रा की सभी कड़ियाँ-
कुर्ग (Coorg)
तालाकावेरी:कावेरी का उद्गम स्थल (Talakaveri: Origin of Kaveri River)
बेकाल फोर्ट( Bekal Fort)
मैंगलोर आकर्षण :सोमेश्वर और पेनाम्बूर समुद्र तट (Mangalore attractions: Someshwar and Panamboor beach)
निसर्गधाम(Nisargdham)
बहुत छोटी छोटी पोस्ट लिख रहे हो आप आजकल ? पोस्ट की संख्या बढ़ाने का विचार है ? हाहाहा , शायद बड्डा ब्लॉगर बनने के सपने आने लगे हैं आपको भी ? खैर जितना लिखा है अच्छा लिखा है !!
ReplyDeleteसंगति का असर हो रहा है शायद
Deleteबड़ी चट्टान का एक पास का फोटू होना था ☺
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