Wednesday 19 April 2017

Araku Valley, Andra Pradesh

              अराकू, जब से उड़ीसा जाने का प्लान बना, तो गूगल देव ने आंध्रा में स्थित इस पर्वतीय क्षेत्र से अच्छा-भला परिचय करा दिया!! वैसे भी मुझे कभी ये आभास न हुआ कि आंन्ध्रा जैसी पथरी जगह में पहाड़ भी हो सकते है !! क्यूंकि अपने लिये पहाड़ का मतलब पहाड़ होता है, वो पहाड़ जो अपने में भव्यता और विशालता को समेटे हुये रहते हैं!! जिनके तले बेहिसाब हरियाली और भिन्न प्रकार की जैव विविधता पनपती है। पर जब गूगल ने बता ही दिया तो यहाँ जाना जरुरी है और उससे पहले जरुरी है अपने साथ- साथ सभी को इस जगह का एक सूक्ष्म परिचय देना।
             पूर्वी घाट की तलहटी में बसा ये क्षेत्र, आंध्रा के मुख्य शहर विज़ाग (विशाखापत्तनम) से एक सौ चौदह किलोमीटर की दूरी पर होने के साथ साथ समीपवर्ती राज्य उड़ीसा की सीमा के काफी निकट है।  इस कारण से यहाँ पर दोनों राज्यों की मिली जुली छाप देखने को मिलती है। ये भारत का एक ऐसा स्थल भी है यहाँ पर आदिवासी जन जीवन के पहलुओं को भी जाना पहचाना जा सकता है। आदिवासी संस्कृति का परिचय तो ये देता ही है उसके साथ साथ प्रकृति इस पर जम कर मेहरबान हुयी है। छोटा सा ये शहर अपने में झरने और बगीचे समेटे हुये हैं। बोर्रा केव्स ,पदमपुरा गार्डन और जनजातीय संग्रहालय यहाँ के प्रमुख आकर्षण है। इन के अतिरिक्त जगह जगह पर कॉफी के बागान होने से हरियाली  प्रचुर मात्रा में है।  पर्यटन के मानचित्र में बहुत ज्यादा उजागर नहीं होने से यहाँ पर  बनावटी पन ने अपने कदम अभी तक नहीं जमाये हैं।  यहाँ के निवासी सरल और विनम्र है। ये जगह सड़क और रेल द्वारा विज़ाग से भली भांति जुडी हुयी है। परिचय के बाद अब चलते है यहाँ की यात्रा पर।  पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा , कैसे हम विज़ाग से ट्रैन द्वारा यहाँ पहुंचे और अब चलते हैं यहाँ के दर्शनीय स्थलों की सैर पर।


ट्रेवल डेट-18 जनवरी 2017
           प्रकृति के विभिन्न रंगों के  दर्शन कराके छुकछुक गाड़ी ने अंततः अरकू रेलवे स्टेशन पहुंचा ही दिया!! बाहर निकल कर ही आभास हुआ कि ये स्टेशन तो आकार में बहुत छोटा है!! वैसे केवल एक ट्रेन के आने जाने के हिसाब से देखें तो इतना छोटा भी नही है, क्योंकि यहाँ कौन सा बहुत सारे लोगों की लाइन लगा करती होगी। रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर एक टैक्सी वाले से लोकल घुमाने के लिये बात कर ली और उसके साथ आस पास के दर्शन के लिये चल पड़े।
             छोटी सी और कम भीड़भड़ वाली जगह होने के कारण यहाँ की बाजार उतनी चकमक नही लग रही है, सीधे शब्दों में कहें तो सुनसान ही है!! वैसे तो नाश्ता ना किये होने से भूख तो बहुत लगी है पर नयी जगह घूमने का उत्साह ज्यादा है तो पहले एक दो जगह नजर मार लेते हैं , खाना तो रोज का ही काम है होता रहेगा!!
           सबसे पहले चलते हैं पदमपुरा नाम के वनस्पतिक उद्यान (बोटैनिकल गार्डन)!! इस गार्डन को यूँ ही नही बनाया गया था, इसका निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुआ था और वो भी युद्ध मे लड़ने वालों के साग-सब्जी उगाने के लिए!! जब इसके ऐतिहासिक महत्व का भान हुआ तो यहाँ से रूबरू होने की इच्छा कई गुना बढ़ गयी। प्रवेश द्वार ही मजेदार आकृति का बना है,छोटे बच्चे तो डर भी सकते हैं इसे देखकर!! अब यहाँ सब्जियाँ तो नही उगती पर कई तरह के फूल लगे हुये है और उनके साथ-साथ कुछ छोटे बड़े पुल बनाये गये है जो कि फोटोग्राफी के लिये आकर्षक हैं!! फ़ोटो के लिहाज से अलग अलग तरह की जगहे यहाँ पर है। अपनी सेल्फी स्टिक में हमने मोबाइल लगा लिया और कभी अपनी तो कभी आस पास की फ़ोटो लेना शुरू कर दिया!! बहुत बड़ा है ये गार्डन घूमते घूमते एक घंटे से ज्यादा कब निकल गया पता ही नही लगा!! चलो अब यहाँ से बाहर निकल ही जाते हैं क्योंकि इससे ज्यादा भूख सहन करना अपने लिये तो मुश्किल काम है, तो मुख्य द्वार की तरफ चलते हैं। अरे ये क्या!! यहाँ तो खिलौना गाड़ी भी है अब सान्वी ने जिद पकड़ ली कि इसमें तो  बैठना ही है तो ट्रैन वाले से पूछकर  हम बैठ गये !! करीब पंद्रह मिनट हो गये बैठे बैठे पर अभी तक कोई और पैसेंजर नही आया!! किसी तरह से बहला फुसला कर ट्रैन से उतरे और जल्दी जल्दी बाहर निकल गये!!
                   छोटी जगह होने के कारण यहाँ उतने अधिक और बढ़िया रेस्टॉरेंट की कमी नजर आ रही है!!  गूगल की कृपा से  इस कमी से मैं भली भांति परिचित थी तो बहुत रिसर्च करने से एक अन्नपूर्णा रेस्टॉरेंट के बारे में ठीक राय मिली थी। अब हम गाड़ी में बैठ कर इसकी तलाश में चल पड़े!!  कुछ दूर निकल कर एक अन्नपूर्णा नाम का होटल दिखा पर उसकी शक्ल देखकर लगा नही कि इसके इतने अच्छे रिव्यु भी हो सकते हैं!! उसे देखकर ही जाने का मन नही हुआ और हम आगे बढ़े। दायें-बाये दोनों ओर आंखे तलाश में तल्लीन हो गयी और कुछ आगे जा कर अन्नपूर्णा मिल ही गया !! इसका मतलब पीछे जो मिला था वो डुप्लीकेट रहा होगा!!  अंदर तो चले गये पर यहाँ भी रोटी उपलब्ध ना हुयी, तो दाल-चावल सरीखे आइटम से काम चलाना पड़ा!!
              अराकू जैसे आदिवासी क्षेत्र में जा के आदिवासी लोगों से रूबरू ना हुये तो इसे अराकू जाया हुआ नही मान सकते!! रूबरू होने का अवसर तो नही मिला तो कम से कम यहाँ के संग्रहालय जा कर के इनके जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचय तो कर ही सकते हैं !! यहाँ पर अधिकतर चीजें मिट्टी की बनी हुयी हैं जैसे मिट्टी के बने आदिवासियों की प्रतिमायें, उनके रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें, कपडे , गहने और भी बहुत कुछ !! इन सभी को मैं चित्रों के माध्यम से साझा करुँगी। एक जनजाति जीवन से रूबरू कराने के साथ-साथ इस संग्रहालय में फोटो खिचाने के लिये उत्सुक लोगों के लिये बहुत कुछ है। कहीं पर सामूहिक  नृत्य करती  हुयी महिलाओं का समूह बना है तो कहीं कुछ अन्य गतिविधियाँ करते लोग। इन महिलाओं के साथ फोटो खिचवाने के लिये अच्छी-खासी भीड़ जमा हुयी रहती है !! संग्रहालय के ठीक सामने एक छोटा सा तालाब बना है, वैसे मुझे उसकी गहराई देख कर तालाब कहने का मन भी नहीं हो रहा है। गन्दा- मटमैला सा पानी अपने में समेटे इस तालाब में कई लोग बोटिंग भी कर रहे हैं !! अपने बस का तो ना है इसके सामने ज्यादा देर तक खड़े रहना और हम कई सारी यादों को अपने साथ समेटे आगे बढ़ गये। 
 यहाँ के चलचित्र-
गार्डन का प्रवेश द्वार। 
गार्डन के सफर पर ले जाने वाली ग्रीन एक्सप्रेस !!
ग्रीन एक्सप्रेस के मुसाफिर !!

डायनासौर भी है यहाँ तो , भाग लो !!
जगह-जगह ऐसी झोपड़ियां बनी हुयी हैं !! 
फूल गुलाब का,जो रोशन कर दे सारी बगिया  !!
कुछ कुछ पत्तियां भी फूलो के जितना आकर्षित कर ही लेती हैं। 
एक अकेला क्या करेगा !!
स्वागत के लिये मोर भी आये हैं !!☝☝
असल रंग तो गुलाबी ही होता है !!
बच्चों के झूले में बड़ों का क्या काम और तो और साथ में  कुत्ता भी लाये हैं 😀
ये क्या !!
नक्शा तो देख ही लें !!
तीर कमान ले के न जाने किसे मारने निकले हैं 😕. 

पहुँच गए संग्रहालय 

विभिन्न कलाकृतियां!!
आदिवासी महिलाओं के साथ हम भी !!
इंसानियत का परिचय देते हुये एक महिला प्यासे को पानी पीला रही है !!
अंदर जाने का रास्ता, जहाँ फोटो नहीं ले सकते 😆
बोटिंग हो रही है। 
पानी जरूर थोड़ा मटमैला था !!
अच्छा तो साइकिल किराये पर भी देते हैं !!
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7 comments:

  1. आंध्रा की धरती के बारे आज तक कुछ पढ़ा या सुना नही था, अच्छा लगा पहली बार पढ़कर।

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  2. आदिवासी महिलाओं के साथ हम भी !!एक बारी तो मुझे ये असली सा लगा फिर दोबारा देखा ! आंध्र की धरती पर हरियाली बिखरी पड़ी है ! अच्छा नुझे आजतक ये समझ नहीं आया कि लोग अगर कहीं घूमने जाते हैं तो जो खाना उपलब्ध है उसे क्यों नहीं वरीयता देते ? आप ही नहीं बहुत से लोगों को देखा है मैंने ऐसे सोचते हुए ! यात्रा वृतांत सूचनाप्रद और बेहतरीन है

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  3. अराकू बेहद खूबसूरत है बारिश में जन्नत है...बढ़िया पोस्ट

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  4. सान्वी लायक गार्डन है हर्षा ,कम से कम डायनासोर पर धमाचौकड़ी तो बनती है। खुवसुरत जगह 👌

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