Tuesday 26 July 2016

Road trip to Hyderabad

Travel date-24th december 2014      
      हैदराबाद, आज से करीब पाँच वर्ष पूर्व जब मैं पहली बार यहाँ गयी थी तो मुझे इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि दक्षिण के पठार और मूसी नदी के किनारे बसी इस जगह में घूमने के लिए इतने सारे और सब के सब विभिन्न प्रकार के स्थान होंगे। आज के समय में आईटी के लिए जाने वाला ये शहर कभी निजामों के नजाकत और नफासत के लिए प्रसिद्ध रहा है तो कभी यहाँ पर बहुतायत में बिकने वाले मोतियों के वजह से पर्ल सिटी के रूप में। यह जगह देश के लगभग सभी बड़े शहरों से वायु, रेल और सड़क मार्ग द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है।
             हैदराबाद बैंगलोर से करीब छह सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बैंगलोर से यहाँ रेल,बस या अपनी कार किसी भी साधन से जाया जा सकता है। कभी यहाँ हमारा एक आशियाना हुआ करता था, इस वजह से कई बार इधर जाना हुआ और थोडा थोडा कर के हमने यहाँ के सभी मुख्य आकर्षण देखे। कभी ट्रेन से गए, तो कभी बस से, तो कभी अपनी गाड़ी ले कर। हर तरह की यात्रा का अपना मजा रहता है पर अपनी गाड़ी के साथ ये सुविधा बन जाती है कि जहाँ मर्जी वहाँ रुक सकते हैं। सबसे पहली बार में तो हम ट्रेन से ही गए थे और वहाँ लोकल बस का डेली पास ले कर घुमे थे। उस समय बाल बच्चे का झन्झट नहीं था साथ में तो किसी भी बस में चढ़ लेते थे और जितना मर्जी उतना पैदल भी चल लिया करते थे। खैर ये सब तो वक्त वक्त की बात होती है।
            ऐसा माना जाना है कि सन् पंद्रह सौ ईयारह में  जब गोलकोंडा  राजधानी के रूप में अपर्याप्त लगने गया तो कुली क़ुतुबदीन ने अपनी प्रेमिका भाग्यमती के नाम पर भाग्यनगर बसाया जो कि इस्लाम धर्म अपनाने के बाद हैदर महल के नाम से जानी जाने लगी और भाग्यनगर भी अपनेआप हैदराबाद के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
             हैदराबाद के प्रमुख आकर्षण,हैदराबाद में बहुत सारी  जगहें हैं देखने के लिए, इतनी की एक ट्रिप में देखना किसी भी हालात में सम्भव नहीं हैं। अलग अलग यात्रा में हमें अलग अलग जगहें देखी। पहली बार, मतलब सितम्बर २०११, में हमने रामोजी फिल्म सिटी,थ्री डी मूवी दिखाने वाला आई मेक्स, एनटीआर गार्डन और चार मीनार के दर्शन करे। इस समय हम ट्रेन से गए थे और वहां की लोकल बस में पास ले कर घूमे। दूसरे चक्कर में अपनी गाड़ी ले कर दो दिन के लिए गए थे। इस समय मेरे मम्मी- पापा भी साथ में थे तो उनके साथ एक बार फिर से रामोजी और लुम्बिनी पार्क का लेज़र शो के दर्शन किये। वैसे भी फिल्म सिटी इतनी बड़ी तो है ही कि एक बार में पूरा नहीं देख सकते हैं। अगला दिन गोलकोंडा के ऐतिहासिक किले के नाम रहा, लेकिन सालारजंग का संग्रहालय एक बार फिर रह गया। तीसरी बार में हम बस से गए और वहां घूमने  लिए लोकल ट्रेन का इस्तेमाल किया।  इस बार में हमने पिछली बार से छुटा हुआ सालारजंग का संग्रहालय एवं जहाँ का चिड़ियाघर देखा। जाने को तो बिरला मंदिर भी गए थे पर वाहन के लोगों ने सामान जमा कराने का जो नाटक करा उसके बाद हम मैं गेट से ही वापस लौट आये। 
            इस लेख में  चलते हैं बैंगलोर  से हैदराबाद के रोड ट्रिप पर।  क्रिसमस के दिनों यहाँ बच्चो-बड़ों सभी की छुट्टियां निकल ही आती है। ये समय दक्षिण भारत में घूमने के लिए सर्वोत्तम रहता है। जब पूरा देश शीट लहर झेल रहा होता है, उस समय यहाँ पंखे चल रहे होते है। कहाँ जाएँ कहाँ जाएँ सोचते सोचते हमने हैदराबाद जाने काम न बना लिया। 25 दिसंबर2014 की सुबह पौने छह पर हम लोग अपने घर इलेक्ट्रॉनिक सिटी से निकल पड़े। हालाँकि बहुत ज्यादा ट्रैफिक नहीं था फिर भी सिटी क्रॉस करने में ही एक घंटे से ऊपर लग गया। आठ बजे तक थोडा चाय पीने की सी इच्छा होनी लगी तो नजरें किसी रेस्तरां को ढुंढ़ने लगी और काफी इंतजार करने के बाद एक जगह नजर आई, जगह क्या थी समझो एक तरह का मुर्गी बाड़ा ही कह सकते हैं। जगह जगह घूमती हुयी मुर्गियां और तमाम जगह पड़ी उनकी गंदगी। यहाँ पर रुकना एक तरह की मज़बूरी सी ही हो गयी था। क्योंकि अब तक घर से निकले हुए तीन घंटे हो चुके थे और चाय की इच्छा अति प्रबल हो गयी थी। इस बात की थोडा जानकारी पहले से ही थी कि इस हाई वे पर खाने के विकल्प उतना ज्यादा नहीं मिलेंगे। इसलिए कुछ पराठे और गोभी की सब्जी हम घर से ही पैक कर के लाये थे। पर इस जगह की गंदगी देख कर खाना बाहर निकालना तो दूर की ही बात थी, चाय भी किसी तरह गले से नीचे उतारी।पर गंदगी जितनी भी रही हो चाय बनाई बहुत अच्छी थी। 
            चाय पीकर एक बार फिर से गाड़ी में बैठ गए और हाईवे पर आगे बढ़ना शुरू किया। बैंगलोर हैदराबाद हाईवे में भले खाने के विकल्प ना हो पर ये देखने में बहुत सुन्दर है और रोड कंडीशन भी अच्छी है। इस अच्छी रोड का किराया भी सरकार बहुत अच्छे से ही वसुलती है। करीब करीब हम पचास किलोमीटर में एक टॉल तो पड़ ही रहा था और आज के ज़माने में पचास रूपये ऐ कम तो कुछ होता ही नहीं है।यहाँ से हैदराबाद तक करीब साढ़े चार सौ का टॉल दे दिया था। खैर टोल देते देते और बाहर के दृश्य देखते देखते हम अनंतपुर पहुँच गए। अभी तक का रास्ता तो पता ही नहीं चला, बीच बीच मे बेटी की नौटंकी भी चलती रही, अभी तक भी ये प्रॉपर बात करना नहीं सीखी थी। पूरा रास्ता पानी की बोतल के लिए पाइं पाइं कर के हल्ला करती रही। अब तक कुछ समझ बढ़ गयी थी, अगर कहीं से बोतल का नाम कानों में पड़ गया तो समझो खैर नहीं।अनंतपुर में हम एक बार फिर खाने के लिए रुके और घर से लाये अपने पराठे और गोभी की सब्जी चम्पत कर ली।अभी तक भी बाहर कोहरा ही लगा हुआ था तो कुछ भी देखने को नहीं मिला। 
       इस बार गाड़ी में बैठने से पहले ही तय कर लिया था कि अब सीधे हैदराबाद जा कर के ही रुकेंगे।अगर गाड़ी चलाते चलाते हलकी नींद आ गयी तो सोते से उठाने के लिए खूब सारे स्पीड ब्रेकर भी बनाये गए हैं। इसी के साथ हम हैदराबाद की सीमा पर पहुँच गए और सिटी के अंदर दाखिल होने से पहले गाड़ी का एमिशन टेस्ट कराया। क्या गजब का टेस्ट किया बन्दे ने। पचास रूपये लिए और बिना गाड़ी को देखे सर्टिफिकेट बना दिया। शाम के सात बजे तक हम पुराने हैदराबाद में स्थित होटल निर्मल एक्सेलेंसी पहुँच गए। सामन कमरे में ड़ालकर हम लुम्बिनी पार्क में शाम को साढ़े आठ बजे संचालित होने वाले लेज़र शो को देखने पहुँच गए।
            इसी भाग में, आपको हैदराबाद से बैंगलोर वापसी के बारे में भी बताते हैं। २८दिसम्बर २०१४ को हम सुबह पाँच बजे होटल से निकल गए। रास्ते में हम दिल्ली दरबार नाम के रेस्तरां पर रुके एवं पूरी सब्जी का भोग लगाया। यहाँ पर खाने की गुणवत्ता काफी अच्छी थी। इस ब्रेक के बाद हम लगातार चलते रहे और कुरनूल के पास कृष्णा नदी देखी। एक बार फिर चलना शुरू किया और अनंतपुर के  पास चाय पीने के लिए रुके। इसके बाद अगला ब्रेक थोड़ा जल्दी हो गया क्योंकि अनन्तपुर से तीस चालीस  जब हमको विंड मिल दिखाई पड़ी।एक बार दिखनी शुरू हुई तो फिर काफी आगे तक दिखाई ही पड़ती रही। इधर हमने एक दो बार  कर फोटो खींचे।  हाई वे में लगाए गये सुन्दर से फूल भी अपनी तरफ खूब ध्यान आकर्षित कर रहे थे। 
इस रोड ट्रिप के चलचित्र-
इसी मुर्गी बाड़े में रुके थे  चाय के लिए। 
कृष्णा नदी। 
जहाँ पर एक बार फिर चाय पी। 
विंड मिल। 
विंड मिल। 
सड़क पर दौड़ती गाड़ियाँ। 
विंड मिल। 
विंड मिल। 
हाई वे। 
रास्ते भर फूल ही फूल। 

बढ़िया पूरी सब्जी मिली थी यहाँ। 

10 comments:

  1. Very beautiful written post and pic also

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  2. हैदराबाद तो आपकी प्रिय जगहों में से एक हो रही है ! चाय पीने के लिए बढ़िया जगह चुनी आपने ! हैदराबाद का परिचय भी अच्छा लगा !!

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  3. बहुत सुंदर वर्णन किया

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  4. बहुत सुंदर वर्णन किया

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  5. मैंने देखा नहीं है हैदराबाद पर देखाने की तमन्ना है । कहते है यहाँ का खाना जोरदार होता है

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    1. हैदराबाद की बहुत सी चीजें प्रसिद्ध हैं जिनमे से कुछ पेराडाइज की बिरयानी, कराची बेकरी के बिस्कुट, और दिलखुस नगर की चाट मेरे पसन्दीदा है। एक जगह की शिकंजी भी बहुत प्रसिद्ध थी पर उसका नाम नहीं याद आ रहा।

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    2. App ke knowledge ke like jab aap Hyderabad jao tho in sab ko try karna Hyderabadi biryani , karchi bakery ke fruit biscuit, double ka mitha , kumani ka halwa, ramzan mei haleem, irani chai .....:-)

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  6. Hyderabad acchi jagah hai ghumne ke liye ....golkunda fort ka light n sound show bhi gazab ka hai.

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  7. बढ़िया...सड़क यात्रा भी अपने आप में अविस्मरणीय होती है।

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