अल्मोड़ा को मंदिरों के साथ-साथ उसकी संकरी सी मालरोड और उनमे फर्राटेदार गति से चलते वाहनों से भी जाना जाता है। कोई बाहर से आने वाला मुसाफिर इस बात का अनुमान भी नहीं लगा सकता कि इतने छोटे से स्टेशन और भीड़ भाग वाली सड़कों के शहर अल्मोड़ा में प्रकृति के कई खजाने भी छुपे हुए हैं। इस श्रृंखला में मैं आपको अल्मोड़ा के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करा रही हूँ। पिछली पोस्ट में आपने गोलू देवता के दर्शन करे और अब इस पोस्ट में हम लोग अपना रुख करते हैं कसार देवी मंदिर की तरफ। ये जगह धार्मिक महत्व की होने के साथ साथ अल्मोड़ा निवासियों के लिए एक बहुत बड़े पिकनिक स्पॉट के रूप में भी विख्यात है। यहाँ पर आपको हर तरह के लोग दिख जायेंगे। कोई भगवान की आस्था में लीन होंगे तो कोई प्राकृतिक नजारों को देखने में। प्रेमी युगलों के लिए ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं, यहाँ के शांत वातारण में बैठकर वो एक दूसरे के साथ समय व्यतीत कर सकते हैं और शहर से दूर होने के कारण उन्हें पहचाने जाने का खतरा भी नही रहता है। इसके अतिरिक्त एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण है इस जगह की प्रसिद्धि का। अब रास्ते पर निकल ही पड़े हैं तो धीरे धीरे कारण भी पता लग ही जायेगा।
 |
कसार देवी |
अल्मोड़ा बागेश्वर हाईवे पर कसार नामक गांव में स्थित ये मंदिर कश्यप पहाड़ी की छोटी पर एक गुफानुमा जगह पर बना हुआ है। शायद पहले देवी की मूर्ति एक गुफा के अंदर ही रही हो, पहले क्या आज भी गुफा के अंदर ही है पर उसके बाहर से एक मंदिर का निर्माण कर दिया गया है। इस मंदिर में देवी, माँ कौशिकी के रूप में स्थापित है जिन्होंने शुम्भ निशुम्भ नाम के दानवों का नाश किया था। अल्मोड़ा शहर के अंदर की सड़कें काफी संकरी हैं इसलिए यहाँ पर वन वे का बड़ा लोचा है। अलग अलग जगह से जाने वालों के लिए कसार देवी जाने के अलग अलग रास्ते हैं। जो लोग मुख्य बाजार की तरफ से आते हैं उन्हें यहाँ जाने के लिए धारानौला स्टेशन जाना पड़ता है और वहां से फलसीमा बैंड होते हुए बस या शेयर टेक्सी द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है। जो लोग अल्मोड़ा रानीखेत रोड की तरफ से अपने वाहन द्वारा आ रहे हों तो वो लक्ष्मेश्वर से होते हुए सीधे नारायण तिवाड़ी देवाल होते हुए अल्मोड़ा बिनसर रोड में चलते हुए कसार देवी पहुँच सकते हैं।
 |
रूट A |
 |
रूट B |
आज आपके साथ पिछले वर्ष अक्टूबर में कसार देवी की सैर के अनुभव साझा करते हैं। सुबह सुबह हम चार लोग भाई की गाडी से कसार देवी जाने को तैयार हो गए और हमारे घर की लोकेशन के हिसाब से लक्ष्मेश्वर वाला रास्ता सही पड़ता है। घर से निकल कर लक्ष्मेश्वर, धार की तूणी होते हुए आगे बढ़ रहे थे। धार की तूणी, बड़ा जबरदस्त नाम है ना। जितना जबरदस्त उतना ही इसके नामकरण का कारण रहा है। पुराने समय में जब शहर उतना फैला हुआ नही था, तो जगहों की पहचान करना मुश्किल होता था। पर अब पहचान तो करनी ही थी तो इस तरह से दिमाग लगाया गया कि इस जगह एक ढलान सी है और यहाँ पर तूणी के पेड़ थे, तो बस रख दिया गया नाम धार की तूणी। अब तो ना वो पेड़ रहे और ना ही जगह की पहचान करने की मुश्किल। बस रह गया तो बस ये पुराना नाम। वैसे गजब की धार है यहाँ पर, खड़ी चढ़ाई है इस रोड पर। इस रोड पर आगे बढ़ते जाओ तो एक पीर की मजार पड़ती है उससे आगे बढ़ने के बाद पहुँचते है नारायण तिवाड़ी देवाल।
ये जगह अल्मोड़ा शहर का महत्वपूर्ण पॉइंट है क्योंकि ये शहर को कई सारी आकर्षक जगहों से जोड़ता है जैसे चितई मंदिर,कसार देवी और बिनसर इसमें प्रमुख हैं। जागेश्वर जाना हो तो भी इस पॉइंट को तो पार करना ही होता है। यहाँ से कसार देवी की दूरी मात्र चार किलोमीटर की है और सड़क पर ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होने की वजह से हम मात्र दस मिनट में कसार देवी के एक प्रवेश द्वार पर पहुँच गए। यद्धपि मंदिर का मुख्य द्वार यहाँ से कुछ दूरी पर था। लेकिन हमने इस गेट से पैदल जाने का निर्णय लिया। इस रास्ते में चीड़ के पेड़ों के मध्य काफी चढ़ाई और उतार थे। यहाँ से ऊपर नीचे देखते और फ़ोटो खींचते हुए हम कसार देवी के उस प्रवेश द्वार तक पहुँच गए, जहाँ से खड़ी चढ़ाई शुरू होती है।
 |
सड़क का एक दृश्य। |
 |
यहाँ से चढ़ना शुरू किया। |
 |
यहाँ जा पहुंचे। |
 |
जब रास्ता ऐसा हो तो किसका मन करेगा मंजिल तक पहुँचने का। |
 |
चट्टान |
एक छोटे से ब्रेक के बाद फिर से आगे बढ़ने की शुरुआत करी और बढ़ते बढ़ते हम कसार देवी मंदिर के सामने पहुँच गए। मंदिर को देख कर के ये अनुभूति होती है जैसे देवी जी की मूर्ति को एक गुफा के अंदर रखा हुआ है और उसके बाहर से कुछ निर्माण करके उस गुफा को मंदिर का स्वरूप दिया गया है। इस मंदिर को शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है। जब हम पहुंचे तो यहाँ पर पुजारी जी नही थे। पर एक विदेशी नागरिक जो कि देशी वेशभूषा में था बोला थोडा देर रुक जाओ अभी आ जायेंगे। उसे ठीक है बोलते हुए हम और आगे बढ़ गए। हम काफी ऊंचाई पर आ चुके थे पर अभी भी हाईएस्ट पॉइंट तक नहीं पहुंचे थे। इसके लिए हमें अभी और सीढियाँ चढ़नी थी, उन्हें तय करने के बाद हम ऊपर पहुंचे। यहाँ पर एक और शिव मंदिर है जिसे शायद बाद में बनाया गया है। इस मंदिर में दर्शन के बाद हम उस जगह पर जाकर विराजमान हो गए जहाँ से अद्भुत प्राकृतिक दृश्य दिख रहे थे। कही से अल्मोड़ा शहर,कही से हिमालय श्रंखला तो कहीं से जंगल पर पड़े कई सारे गुफानुमा पत्थर दिखाई दे रहे थे। यहाँ पर आ के मन काफी एकाग्र हो जाता है। कई सारे कवि और कलाकारों ने यहाँ बैठकर अपनी कलाकृतियों को दुनिया के सामने रखा था। ऐसा माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद सन अट्ठारह सौ नब्बे के आसपास यहाँ आये थे और काफी लंबे समय तक इन्ही में से किसी कन्दरा में ध्यानरत रहे थे। ये मंदिर दूसरी शताब्दी से यहाँ स्थित है पर यहाँ पर कई सारे पाषाण युग के अवशेष और शिलालेख भी देखने को मिलते हैं।
 |
एक और गेट यहाँ से असली चढ़ाई शुरू होती है। |
 |
एक चट्टान। |
Very well described post.useful for the follow travellers.
ReplyDeleteThanks for sharing !
घर बैठे सैर का मज़ा करा दिया आपने इस पोस्ट के द्वारा। बहुत बढ़िया पोस्ट।
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत ही विस्तार से आपने सैर करा दी ।
अच्छी जानकारी और तस्वीर ।
ReplyDeleteयहाँ जाने के लिए कोई सरकारी परिवहन भी है या निजी गाड़ी से ही जाना पड़ता है ।
अच्छी जानकारी और तस्वीर ।
ReplyDeleteयहाँ जाने के लिए कोई सरकारी परिवहन भी है या निजी गाड़ी से ही जाना पड़ता है ।
शेयर्ड जीप चलती रहती हैं जो आराम से पहुंचा देती हैं।
Deleteशेयर्ड जीप चलती रहती हैं जो आराम से पहुंचा देती हैं।
DeleteNice to read, Beautiful photos.
ReplyDeleteBeautiful place, there is so much to see here.
ReplyDeleteधन्यवाद ......अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर का भ्रमण करवाने के लिए.... |
ReplyDeleteलेख और फोटो अच्छे लगे.
अच्छा लगा मंदिर तक पहुँचने का रास्ता..
ReplyDeleteअच्छी सैर कराई आपने , सारे फोटोग्राफ बहुत सुंदर है , धन्यवाद
ReplyDeleteबेहतरीन जगह का बेहतरीन वर्णन किया है आपने हर्षिता जी । ऐसे रास्तों पर चलना ही अपने आप में खुशी का कारण हो सकता है । लगता है इस बार अल्मोडा दिखा कर ही मानोगे आप ।
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी हर्षा। ऐसे ही घुमाते रहो।
ReplyDeleteसचमुच बहुत सुंदर.... और एक हम हैं कि आने के बाद पोस्ट पढ़ रहें हैं वर्ना हमारे भी फोटो इतने ही सुंदर होते.... :)
ReplyDeleteThe post was very well written, enojyed reading your blog. Thanks for sharing it
ReplyDeletevillas in Goa | book villas in Goa
बहुत बढ़िया मंदिर...अभी हाल ही में मेने भी दर्शन किये है
ReplyDelete