Wednesday 7 August 2013

दुबारे एलीफैंट कैंप (Dubare Elephant Camp:Coorg attraction)

         सुबह उठ कर सोचा बैंगलोर पहुँचने में ज्यादा समय तो लगना नहीं है, तो आराम से पहले रेंज फील्ड (Range Field) के नज़ारे देख कर ब्रेकफास्ट करने के बाद दुबारे के लिए निकलेंगे और वहां से वापस जाते हुए मैसूर का वृन्दावन गार्डन देखते हुए ही घर पहुंचेंगे, तो आप भी देखिये रेंज फील्ड  की सुबह हमारे साथ-

यहाँ तो टेंट भी है 

              दुबारे एलीफैंट कैंप के अनुभव के बारे में पढने के लिए क्लिक करिए-
 इसके बाद निकल पड़े एलीफैंट कैंप की और को, ज्यादा दूर तो यहाँ से नहीं था पर रोड की हालत उतनी ठीक नहीं थी उबड़ खाबड़ सी रोड ,जिस पर गाड़ी से जाने के मुकाबले पैदल चलना ज्यादा आसान था।दुबारे एलीफैंट कैंप कावेरी नदी के किनारे पर स्थित है, यहाँ प्रकृति  प्रेमियों के लिए सबकुछ है, हरे भरे पेड़, कलकल कर के बहती कावेरी नदी, ढेर सारे हाथी और चहचहाती हुयी चिड़ियों की आवाज। यहाँ पर हाथी की सवारी के साथ साथ इन्हें खाना खिलाया और नहलाया भी जा सकता है।तो दुबारे दुबारा आना तो बनता ही है।
             तो अब यहाँ पहुँचने के लिए पहला सवाल की पहुंचा कैसे जाये क्यूंकि गाड़ी पार्क करने के बाद सामने दिखती है कावेरी नदी, ये भी कोई पूछने वाली बात है या तो राफ्टिंग की सुविधा का आन्नद उठाओ या फिर बोटिंग कर के जाओ। हम भी लग गए फिर बोटिंग के लिए लाइन पर,लेकिन गलत चयन के कारण हमारा नंबर एक घंटा देर से आया,चलो कोई नहीं जाना तो था ही, तो पहुंचे किसी तरह से एलीफैंट कैंप तक काफी लम्बे इन्तजार के बाद।अब जब तक वहां पहुंचे तो टिकट  लेने के लाइन में लगे हाथी की सवारी के लिए पर हमारी किस्मत वहां भी लंच टाइम हो गया। अब तो कावेरी नदी के और पानी में नहाते हाथियों के दर्शन करने ही बनते है।


राफ्टिंग का आन्नद उठाते हुए लोग 


ये क्या बच्चे तो नहा भी रहे हैं 
ये गया हाथी अपनी थकान मिटाने 
                 बहुत देर तक प्राकतिक द्रश्यों का आन्नद उठाने के बाद हमारा नंबर हाथी की सवारी के लिए भी आ गया और इस तरह से मचान ट्री जिस पर हमें पहले नहीं चढ़े थे पर भी चढ़ गए क्यूंकि हाथी की सवारी  के लिए ऊपर चढ़ना तो जरुरी था वरना बैठ नहीं पाते,और इस तरह से हमारी गुडिया भी मात्र चार महीने की उम्र में हाथी पर बैठ गयी।
हाथी  मेरे साथी 
        यहाँ मजा तो खूब आया पर यहाँ से निकलते निकलते काफी देर हो प्लान में नहीं चाहते हुए भी परिवर्तन करते हुए  वृन्दावन गार्डन जाने का प्लान कैंसिल करना पड़ा और हम लोग दुबारे दुबारा आने का वायदा करके यहाँ से बैंगलोर के लिए चल पड़े, इस तरह से शाम के आठ बजे हम लोग घर पहुंचे और इस ट्रिप के एक हजार किलोमीटर भी पूरे हो गए।

3 comments:

  1. बढ़िया है ! हाथी की सवारी मुझे तो बहुत डरावनी लगती है !!

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    1. हमको तो हाथी की सवारी बहुत बढ़िया लगी थी

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