Tuesday 13 August 2013

Unplanned trip to Chennai Trip-चेन्नई ट्रिप

           इस ट्रिप के बारे में पढ़कर आपको इस बात का अंदाजा तो हो ही जायेगा कि हम दोनों किस तरह के घुमक्कड़ है।अब बताते हैं किस तरह ये प्लान अचानक से बन  गया। शनिवार को दिन भर घप बैठ कर बोर होने के बाद सोचा अब कुछ ओर तो किया नहीं जा सकता और कहीं घुमने जाने का समय भी निकल सा ही गया था तो यूँ ही गाड़ी में बैठ कर निकल पड़े थे होसूर की ओर को।काफी देर यूँ ही इधर उधर करने के बाद जब घर वापस आने का समय हो गया था तब ही अचानक से प्रस्ताव आया चेन्नई चलती है और बस मन बना लिया कि चलते ही हैं।साथ के साथ चेन्नई में रहने वाले एक दोस्त को कॉल करके पक्का कर लिया कि वो घर पे है या नहीं।फिर अब जैसा की लोकल घुमने के इरादे से निकले थे तो पास में पैसा भी पर्याप्त नहीं था तो एटीएम जा कर के पैसा निकाला और पास की एक दूकान से पीने का पानी और खाने के लिए कुछ सामान पैक करा लिया क्यूंकि रास्ते में बार बार रुकने का समय हम लोगों के पास नहीं था पहले ही साधे छह बज गया था तो बस इसी समय हम निकल पड़े चेन्नई की ओर को।तो चेन्नई ट्रिप के बारे में ज्यादा पढने के लिए क्लिक करिए-

           अब आपको बैंगलोर से चेन्नई की दूरी का अंदाजा करा देते हैं,कुल जमा तीन सौ पैतालीस किलोमीटर।यूँ तो हाईवे अच्छा तो है पर जगह-जगह पर मिलने वाले डायवर्जनस शायद लगभग हर पांच सौ मीटर पर तो होंगे ही तो इस तरह से हम लोग रात को बारह बजे तक ही पंहुच पाए और जा कर के गरमा-गरम पुलाव खा कर के एक बजे के ऊपर ही सो पाए।बैंगलोर में रहने की आदत होने के कारण गर्मी भी कुछ ज्यादा ही लग रही थी इसलिए उठते-उठते भी देर होना तो स्वाभाविक ही था।अब जैसा की अनायास ही निकल पड़े थे तो हम दोनों के पास कुछ सामान भी नहीं था सिवाय बच्चे के सामान के, जो पहले से फ़ोन कर के खरीदवा लिया था,तो जरुरी सामान के लिए बाहर जाना पड़ा।साउथ में हिंदी भाषा वालों के लिए सब जगह ही परेशानी है पर तमिलनाडु में तो कुछ ज्यादा ही है,क्यूंकि किसी माल में तो नहीं गए थे तो छोटी दुकानों से सामान लेना बड़ी ही परेशानी का सबब है क्यूंकि वो लोग अंग्रेजी भी नहीं समझते।किस तरह से छोटा-मोटा जरुरत का सामान लिया होगा आप समझ सकते हैं।बस किस तरह से ले कर वापस पहुंचे और फ्रेश होने के बाद घुमने के लिए निकलने का प्लान बनाया
         अब थोडा चेन्नई के बारे में बात कर लेते हैं,चेन्नई जिसे पूर्व में मद्रास के नाम से जाना जाता था, तमिलनाडु की राजधानी है एवं इसे दक्षिण भारत का गेटवे भी कहा जाता है और यहाँ पर बहुत सारी कम्पनी स्थित होने के कारण  पूरे भारत के लोग ही यहाँ मिल जाते हैं।हिंदी संगीत के सरताज रहमान(A. R. Rahman) जी का नाम तो किसने नहीं सुना है, चेन्नई उनकी जन्मस्थली भी है।चेन्नई को मंदिरों और चर्चों का शहर भी कहा जाता है और यहाँ के बीच(समुद्र तटों) के बारे में तो सभी जानते है।अब जैसा की हम बस एक दिन के लिए ही गए थे तो ज्यादा समय नहीं था घुमने के लिए,इसलिए सिर्फ तीन जगहों का चुनाव किया जिनमे एक्सप्रेस एवेन्यु(Express Avenue) मॉल, मरीना बीच(Marina Beach) और बेसंटनगर बीच (Besant Nagar Beach) शामिल थे।तो इन जगहों की जानकारी इस प्रकार से है,परन्तु अबकी बार अनायास ही जाने के कारण चित्रों का अभाव है क्यूंकि कैमरा तो पास में था ही नहीं,बस एक दो जो मोबाइल से ले पाए वो ही हैं-
-एक्सप्रेस एवेन्यु(Express Avenue)-चेन्नई आ कर के इस माल में जाना तो जरुरी ही है क्यूंकि ये अपने आप में ही एक बहुत बड़ा टूरिस्ट स्पॉट टाइप का है और भारत के बड़े मॉलस में से एक है।करीब दस एकड जगह में फैले इस माल का ३.५ एकड  भाग बिल्डिंग का तथा बचा हुआ भाग पार्किंग और गाड़ियों के आने जाने के रास्तों के लिए है।यहाँ पर होटल,मनोरजन के साधन और कारपोरेट ऑफिस,फ़ूड कोर्ट सभी कुछ है।इसकी भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की यहाँ पर छब्बिस तो लिफ्ट ही हैं।कुल मिलकर के इसे देखकर बैंगलोर के मॉल कुछ भी नहीं लगे,इसलिए चेन्नई जा कर के यहाँ जाना तो बनता ही है
२-मरीना बीच(Marina Beach)-चेन्नई  के बीच सुन्दर और आकर्षक तो बहुत है परन्तु पानी में उतरने के लिए बिलकुल भी  उपयुक्त नहीं है।मरीना बीच बारह किलोमीटर लम्बा है इस वजह से रेत पर एक लम्बी वाक का बहुत अच्छा मौका देता है और यही नहीं ये विश्व का दूसरा बड़ा समुद्री छोर है।यहाँ पर पतंग उड़ाते हुए लोग भी आपको दिख जायेंगे। बस इतना ही है कि ये बीच उतना साफ नहीं है और चेन्नई के लोकल लोगों की भीड़-भाड से भरा हुआ,पर अपने आप में समुद्री किनारा बहुत अच्छा है
३-बेसंटनगर बीच (Besant Nagar Beach)-इस बीच को इलियट बिच के नाम से भी जाना जाता है,जो की बेसंटनगर में स्थित है,इस बीच को नाईट बीच भी कहा जाता है।जो लोग भीड़-भाड़ से बचना चाहते है वो इधर की ओर रुख करते हैं।ये मरीना बीच का दक्षिणी किनारा है,जो की चेन्नई का सबसे साफ बीच है।यहाँ पर भी कोई साहसिक कार्यों की सुविधा नहीं है तो ये भी लम्बी वाक के लिए उपयुक्त है।यहाँ पर एक चर्च और मंदिर भी है।कुल मिलकर यहाँ पर जाना ज्यादा अच्छा रहा और अगले दिन सुबह चेन्नई से रवानगी के साथ-साथ जब दिन के १२ बजे बैंगलोर वापस पहुंचे तो बहुत ही जल्दी में बने इस चेन्नई ट्रिप का सुखद समापन हुआ।ये देखिये इस ट्रिप की एक मात्र फोटो-
बेसंटनगर बीच 

Wednesday 7 August 2013

दुबारे एलीफैंट कैंप (Dubare Elephant Camp:Coorg attraction)

         सुबह उठ कर सोचा बैंगलोर पहुँचने में ज्यादा समय तो लगना नहीं है, तो आराम से पहले रेंज फील्ड (Range Field) के नज़ारे देख कर ब्रेकफास्ट करने के बाद दुबारे के लिए निकलेंगे और वहां से वापस जाते हुए मैसूर का वृन्दावन गार्डन देखते हुए ही घर पहुंचेंगे, तो आप भी देखिये रेंज फील्ड  की सुबह हमारे साथ-

यहाँ तो टेंट भी है 

              दुबारे एलीफैंट कैंप के अनुभव के बारे में पढने के लिए क्लिक करिए-
 इसके बाद निकल पड़े एलीफैंट कैंप की और को, ज्यादा दूर तो यहाँ से नहीं था पर रोड की हालत उतनी ठीक नहीं थी उबड़ खाबड़ सी रोड ,जिस पर गाड़ी से जाने के मुकाबले पैदल चलना ज्यादा आसान था।दुबारे एलीफैंट कैंप कावेरी नदी के किनारे पर स्थित है, यहाँ प्रकृति  प्रेमियों के लिए सबकुछ है, हरे भरे पेड़, कलकल कर के बहती कावेरी नदी, ढेर सारे हाथी और चहचहाती हुयी चिड़ियों की आवाज। यहाँ पर हाथी की सवारी के साथ साथ इन्हें खाना खिलाया और नहलाया भी जा सकता है।तो दुबारे दुबारा आना तो बनता ही है।
             तो अब यहाँ पहुँचने के लिए पहला सवाल की पहुंचा कैसे जाये क्यूंकि गाड़ी पार्क करने के बाद सामने दिखती है कावेरी नदी, ये भी कोई पूछने वाली बात है या तो राफ्टिंग की सुविधा का आन्नद उठाओ या फिर बोटिंग कर के जाओ। हम भी लग गए फिर बोटिंग के लिए लाइन पर,लेकिन गलत चयन के कारण हमारा नंबर एक घंटा देर से आया,चलो कोई नहीं जाना तो था ही, तो पहुंचे किसी तरह से एलीफैंट कैंप तक काफी लम्बे इन्तजार के बाद।अब जब तक वहां पहुंचे तो टिकट  लेने के लाइन में लगे हाथी की सवारी के लिए पर हमारी किस्मत वहां भी लंच टाइम हो गया। अब तो कावेरी नदी के और पानी में नहाते हाथियों के दर्शन करने ही बनते है।


राफ्टिंग का आन्नद उठाते हुए लोग 


ये क्या बच्चे तो नहा भी रहे हैं 
ये गया हाथी अपनी थकान मिटाने 
                 बहुत देर तक प्राकतिक द्रश्यों का आन्नद उठाने के बाद हमारा नंबर हाथी की सवारी के लिए भी आ गया और इस तरह से मचान ट्री जिस पर हमें पहले नहीं चढ़े थे पर भी चढ़ गए क्यूंकि हाथी की सवारी  के लिए ऊपर चढ़ना तो जरुरी था वरना बैठ नहीं पाते,और इस तरह से हमारी गुडिया भी मात्र चार महीने की उम्र में हाथी पर बैठ गयी।
हाथी  मेरे साथी 
        यहाँ मजा तो खूब आया पर यहाँ से निकलते निकलते काफी देर हो प्लान में नहीं चाहते हुए भी परिवर्तन करते हुए  वृन्दावन गार्डन जाने का प्लान कैंसिल करना पड़ा और हम लोग दुबारे दुबारा आने का वायदा करके यहाँ से बैंगलोर के लिए चल पड़े, इस तरह से शाम के आठ बजे हम लोग घर पहुंचे और इस ट्रिप के एक हजार किलोमीटर भी पूरे हो गए।